कई गांव नहीं जुड़े पक्की सड़क से रजौली. सवैयाटाड़ पंचायत के दर्जनों गांव में आज भी पक्की सड़क नहीं है. कोडरमा जिले से सटा यह इलाका पूरी तरह से नक्सल प्रभावित है. इससे यहां के ग्रामीण अभिशप्त जीवन जीने को विवश हैं. लिहाजा दर्जन भर गांव के करीब 20 हजार लोगों को अपने प्रखंड मुख्यालय आने में 80 किमी की दूरी तय करना पड़ता है. साथ ही इन्हें आने-जाने में दिन भर का समय लग जाता है. ऐसे में अगर इनका काम इसी दिन नहीं हुआ, तो मानों इनका कलेजा कट जाता है. जंगली रास्ते से इन्हें मुख्यालय आने में महज 15 से 20 किमी की दूरी तय करना पड़ती है. सड़क के अभाव में यह लोग इस रास्ते से सफर करना मुनासीब नहीं समझते हैं. सवैयाटाड़ पंचायत के मुखिया मोहम्मद इसरायल ने बताया कि पहले भी कई डीएम व एसडीओ ने जंगल से होकर आने वाले रास्ते के पक्कीकरण के लिए आश्वासन दिया. पर, उनका स्थानांतरण होने के बाद यह योजना ठंडा पड़ गया. एसडीओ शंभु शरण पांडेय ने बताया कि उक्त जंगली रास्ता वन विभाग के अधीन है. फिर भी हम अपने स्तर से डीएफओ व रेंजर से बात कर सड़क बनाने को लेकर पहल किया है. नक्सल प्रभावित इलाकों के विकास की योजना से भी इन गांवों के लिए सुगम रास्ता बनाये जाने का प्रयास चल रहा है.
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कई गांव नहीं जुड़े पक्की सड़क से
कई गांव नहीं जुड़े पक्की सड़क से रजौली. सवैयाटाड़ पंचायत के दर्जनों गांव में आज भी पक्की सड़क नहीं है. कोडरमा जिले से सटा यह इलाका पूरी तरह से नक्सल प्रभावित है. इससे यहां के ग्रामीण अभिशप्त जीवन जीने को विवश हैं. लिहाजा दर्जन भर गांव के करीब 20 हजार लोगों को अपने प्रखंड मुख्यालय […]
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