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सिंचाई के बाद ही होगी रबी की खेती

सिंचाई के बाद ही होगी रबी की खेती क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा नहीं होने से बढ़ी किसानों की परेशान फोटो-1प्रतिनिधि, काशीचक प्रखंड क्षेत्र में बारिश कम हुइ है. खेत में नमी कम होने के कारण रबी फसल की बुआई में भी परेशानी हो रही है. क्षेत्र में सिंचाई की मुकम्मल सुविधा नहीं होने से […]

सिंचाई के बाद ही होगी रबी की खेती क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा नहीं होने से बढ़ी किसानों की परेशान फोटो-1प्रतिनिधि, काशीचक प्रखंड क्षेत्र में बारिश कम हुइ है. खेत में नमी कम होने के कारण रबी फसल की बुआई में भी परेशानी हो रही है. क्षेत्र में सिंचाई की मुकम्मल सुविधा नहीं होने से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ दिख रही है. प्रखंड की आबादी 75,730 है़ प्रखंड के सात पंचायतों में गांवों की संख्या 183 है़ प्रखंड के 75 प्रतिशत लोग किसान है़ं इस आबादी में किसानों की संख्या 80 फीसदी है़ सकरी अपर जलाशय योजना से प्रखंड को पानी उपलब्धता एक मात्र साधन है़ इससे निकले पइन से विभिन्न पंचायतों को पानी कोटा के अनुसार मिलता है़ मुख्य जल स्रोत से दूरी अधिक होने के कारण खेतों तक पानी पहुंचाने में काफी दिक्कत होती है़ सरकारी स्तर पर एक भी नलकूप चालू नहीं है़ किसानों को सिंचाई के लिए तालाबों व टाटी नदी के पानी पर निर्भर रहना पड़ता है़ लेकिन, इस बार हुई कम बारिस के कारण आहर व तलाबों का पानी भी सूख रहा है़ं अगर बारिश होती, तो आहर व तालाबों में पानी बांध कर रखा जाता. यह पटवन का मुख्य साधन है़ लोग अपने निजी डीजल पंप से खेतों की सिंचाई कर रबी फसल की बुआई करने की तैयारी में है़ं बोले किसानदर्जनों बार शिविर में बोरिंग के लिए आवेदन दिये गये हैं. लेकिन, स्वीकृति आज तक नहीं मिली़ निराश होकर खुद ही व्यवस्था कर रबी फसल की बुआई कर रहा हूं. यह काफी खर्चीला साबित हो रहा है़ सरकारी स्तर से बोरिंग की व्यवस्था होती, तो किसानों में खुशहाली आती. गौतम कुमार, दौलाचकअपर सकरी जलाशय योजना की बात नेताओं द्वारा कही जाती है़ इसमें वर्ष 2005 में रुपये खर्च किया गया, लेकिन काम पूरा नहीं होने से इसका लाभ किसानों को नहीं मिल रहा है़ सरकारी स्तर पर नलकूप की व्यवस्था नहीं है़ इससे स्वयं की व्यवस्था पर ही निर्भर रहना पड़ता है़ मनोज कुमार, चंडीनोवाहरेक पंचायत में सरकार द्वारा आहर व पइन की खुदाई व मरम्मत कर जल संचय किया जा सकता है़ इसके लिए लोगों को लड़ाई लड़नी होगी, तभी उनके खेतों तक पानी पहुंच सकेगा. किसानों के चेहरे पर रौनक लौटेगी़ लोग खुशहाल होंगे़ यह व्यवस्था नहीं हो रहा है.अरुण सिंह, बेलड़

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