पशु अस्पताल में दवाओं की कमी वारिसलीगंज. प्रखंड में पशु अस्पतालों के बदहाल होने से इलाके के पशुपालक परेशान हैं. ऐसे में महंगे दुधारू पशुओं का ईलाज गैर अनुभवी चिकित्सकों से कराना पड़ता है. गर्भाधान कराने की उचित सुविधा नहीं हाने के कारण नुकसान हो रहा है. ऐसे तो प्रखंड में तीन प्रथमवर्गीय पशुपालक अस्पताल हैं. परंतु, सुविधा के नाम पर सभी हाथी के दांत साबित हो रहे हैं. अस्पतालों में पदस्थापित दो चिकित्सकों में से एक विभागीय कार्यवश गैर चिकित्सीय काम में ही व्यस्त रहते हैं. दूसरे चिकित्सक कर्मचारियों के अभाव में सही सुविधा उपलब्ध नहीं होने की बात कहते हैं. फिलहाल अस्पताल में किर्मीनाशक टैबलेट, जोंक की दवा, चिमोकन की दवा उपलब्ध है. जबकि, भूख लगने की दवा, मिनरल आदि दवा अनिवार्य रूप से रहना चाहिए. पशु अस्पताल में फैली कुव्यवस्था से खिन्न पशुपालक अस्पताल जाने की बजाय झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज कराना मुनासिब समझते हैं. प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी कृष्णकांत प्रसाद ने कहा कि जो पशुपालक ईलाज के लिए अस्पताल आते हैं. उन्हें उपलब्ध दवा के साथ- साथ पशुओं का ईलाज किया जाता है. जो दवा उपलब्ध नहीं है वह दवा लिखकर दी जाती है. जिले से दवा की मांग की गयी है.
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पशु अस्पताल में दवाओं की कमी
पशु अस्पताल में दवाओं की कमी वारिसलीगंज. प्रखंड में पशु अस्पतालों के बदहाल होने से इलाके के पशुपालक परेशान हैं. ऐसे में महंगे दुधारू पशुओं का ईलाज गैर अनुभवी चिकित्सकों से कराना पड़ता है. गर्भाधान कराने की उचित सुविधा नहीं हाने के कारण नुकसान हो रहा है. ऐसे तो प्रखंड में तीन प्रथमवर्गीय पशुपालक अस्पताल […]
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