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समाप्त हो जायेगा खुरी नदी का अस्तत्वि

समाप्त हो जायेगा खुरी नदी का अस्तित्व शहर के बुजुर्गों ने कहा-बचाओ अपनी संस्कृति 30 वर्षों में अतिक्रमणकारियों ने जमाया कब्जाप्रशासन की अनदेखी के कारण सिंचाई व्यवस्था प्रभावितफोटो-7 से 7-एफ तकप्रतिनिधि, नवादा,कार्यालय शहर के बीच से गुजरी खुरी नदी का अस्तित्व अगले पांच वर्षों में समाप्त हो जायेगा. लोग अब इसे खुरी नदी के बजाय […]

समाप्त हो जायेगा खुरी नदी का अस्तित्व शहर के बुजुर्गों ने कहा-बचाओ अपनी संस्कृति 30 वर्षों में अतिक्रमणकारियों ने जमाया कब्जाप्रशासन की अनदेखी के कारण सिंचाई व्यवस्था प्रभावितफोटो-7 से 7-एफ तकप्रतिनिधि, नवादा,कार्यालय शहर के बीच से गुजरी खुरी नदी का अस्तित्व अगले पांच वर्षों में समाप्त हो जायेगा. लोग अब इसे खुरी नदी के बजाय खुरी नाले के रूप में जानेंगे. अतिक्रमण के कारण नदी में पानी की धार नहीं आने से सिंचाई व्यवस्था भी बुरी तरह से प्रभावित हो रही है. जिला मुख्यालय के एक दर्जन से अधिक बुद्धिजीवियों ने खुरी नदी के अतीत व वर्तमान की कहानी बताते हुए कहा कि खुरी नदी अतिक्रमण के लिए मुख्य रूप से जिला प्रशासन जिम्मेवार हैं. उससे ज्यादा जिम्मेवार राजस्व कर्मी, अंचल अमीन व भू भाग से जुड़े अधिकारी हैं. खरी नदी का पाट पांच सौ फुट से अधिक चौड़ा था. खुरी नदी में सालों भर पानी रहता था. इससे आस-पास के 40 गांवों में खेती होती थी. खुरी नदी पार करने के लिए छाती तक पानी लगता था, परंतु अब हालात यह है कि नदी में पानी ही नहीं है. 1962-65 में गोविंदपुर के थाली मोड़ के समीप बैरिस्टर बलभद्र बाबू द्वारा नदी के जल स्तर को रोक दिये जाने के कारण पानी आना कम हो गया था. राजेंद्र प्रसाद सिंह, 75 साल, कचहरी रोड, नवादाखुरी नदी पार करना एक मुश्किल भरा काम था. दोपहर में खुरी नदी को पार करना एक सजा पाने के समान था. नदी के पश्चिमी छोर पर स्थित बुधौल गांव से नवादा आने के लिए नदी को पैदल पार करने में 15 मिनट का समय लग जाता था. परंतु, अब अतिक्रमण के कारण हालात यह है कि नदी से नाले का रूप ले चुकी खुरी नदी को पार करने में एक मिनट का समय भी नहीं लग पाता है. दिन के दोपहर में बड़े बुजुर्ग किसी बच्चे को अकेले नदी पार करने नहीं देते थे. अब तो रात के अंधेरे में भी कोई भी आ जा सकता है. मानिक चंद, 68 साल, चाय विक्रेता, प्रजातंत्र चौकखुरी नदी अतिक्रमण के लिए मुख्य रूप से जिला प्रशासन व संबंधित विभाग के अधिकारी जिम्मेवार हैं. अंग्रेज के जमाने में नवादा को पार नवादा से जोड़ने के लिए तीन सौ फुट की पुल बनी थी़ परंतु, अब नदी में बनाये गये कई पुलिया सौ फुट से भी कम हैं. नदी के अतिक्रमण का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है. नदी में जल स्तर ज्यादा होने पर लोग चचरी का सहारा लेकर पार होते थे. परंतु, अब हालात यह है कि बरसात के दिनों में भी लोग नदी में बेधड़क पार हो जाते है. राजा राम द्विवेदी, 75 वर्ष, सेवानिवृत शिक्षकप्रशासन की ओर से खुरी नदी अतिक्रमण को रोकने की दिशा में कार्रवाई नहीं की गयी तो खुरी नदी का अस्तित्व पूरी तरह समाप्त हो जायेगा. जिस तरह से बरहगैनिया पइन की स्थिति हो गयी है. उसी तरह खुरी नदी रह जायेगी. प्रशासन की ओर से ही नदी का अतिक्रमण कर छात्रावास, स्कूल, सामुदायिक भवन, डेयरी खटाल आदि का निर्माण कर दिये जाने के बाद अतिक्रमणकारी नदी को कब्जा करने में तनिक भी देरी नहीं करने लगे. नारदीगंज रोड में सत्कार होटल के बाद से नदी का इलाका शुरू होता था, परंतु अब यह इलाका सूर्य मंदिर से शुरू होता है. अस्तित्व नहीं बचने की स्थिति में स्थानीय लोगों को घरों के नालियों का पानी गिराने के लिए किसी बड़े नाले का निर्माण करना पड़ेगा. अरुण कुमार सिन्हा, 74 वर्ष, सेवानिवृत शिक्षक, बुधौल खुरी नदी का अतिक्रमण बिहारी घाट से लेकर मोती बिगहा तक हुआ है. नदी अतिक्रमण का सिलसिला वर्ष 2000 के बाद से तेज गति से बढ़ा है. नदी के दोनों किनारों पर अतिक्रमण करने की होड़ सी मची है. हद तो तब हो गयी जब नदी को कब्जा कर उसे मौखिक बेचा जा रहा है. नदी के भू-भाग पर बनाये गये कृष्ण मेमोरियल कॉलेज के पूर्वी छोर से भी नदी की जल धारा गुजरती थी़ परंतु, आज हालात यह है कि कॉलेज के पश्चिमी छोर को भी नदी की जल धारा छू नहीं पाती है. न्यू एरिया से लेकर मंगर बिगहा तक नदी का पिछले पांच वर्षों में काफी अतिक्रमण हुआ है. प्रशासन की अनदेखी का फायदा अतिक्रमणकारी उठा रहे हैं. सरयू पांडेय, 72 वर्ष, बुधौलपिछले दो वर्षों से खुरी नदी में आने वाली जल धारा से लोग घबराने लगे हैं. परंतु हकीकत है कि आज से 30 वर्ष पहले खुरी नदी में दो सौ फुट चौड़ी जल धारा होती थी. इससे किसान अपनी खेतों की सिंचाई करते थे. नदी अपने पहले के आकार में आ रही है. अतिक्रमण के कारण लोगों को नदी का बहाव बाढ़ सदृश्य लगता है. नदी की लगभग पांच सौ फुट चौड़ी पार्ट के किनारों पर 30 से 40 वर्ष पहले लोग अकेले आने से कतराते थे. इन क्षेत्रों के भू भाग खाता 609 में अंकित है. परंतु प्रशासन की अनदेखी का फायदा अतिक्रमणकारियों ने उठाया और आज नदी के दोनों किनारों पर वृहत मुहल्ला बस गया है. दिन प्रतिदिन हो रहे अतिक्रमण के कारण नदी नाला का रूप धारण कर रही है. राजेश्वर पांडेय, 67 वर्ष, हनुमान नगर, नवादाबोले पर्यावरणविदप्रकृति की संरचना के साथ छेड़छाड़ मानव के लिए काफी घातक सिद्ध होता है. जंगल, नदी, पइन, आहर का अतिक्रमण या विनाश करने के बाद पर्यावरण असंतुलित होता है. मनुष्य को प्रकृति की संरचना के साथ छेड़-छाड़ नहीं करना चाहिए. शहर के बीच से गुजरे खुरी नदी अतिक्रमण का असर आगामी 10 सालों के बाद लोगों के जीवन पर पड़ सकता है. जिस तरह से वृक्षों के कटाई के बाद वर्षा कम होने लगी है, उसी तरह नदी का अतिक्रमण होने के बाद लोगों को पेयजल के लिए तरसना पड़ेगा. अभी से ही सावधानी नहीं बरती गयी, तो आनेवाले समय में और भी गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं. एमपी सिन्हा, संयोजक, आहर-पइन बचाओ आंदोलन बिहार प्रदेश

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