मढ़ही में दिखी कौमी एकता की मिसाल वारिसलीगंज. प्रखंड स्थित बाली गांव में वारिश पाक सूफी संत के मढ़ही पूजा में हिंदू-मुसलिम कौमी एकता का गजब दृश्य दिखा. सूत्रों के अनुसार, वर्ष 1972 से बाली मठ के पुजारी महंथ बनारस प्रसाद वारसी ने देवा शरीफ से चादर लाकर बाली गांव में वारिस पाक की गद्दी जमायी थी. तब से उनके मतावलंबी यहां चादरपोशी कर मन्नत मांगते आ रहे हैं. सालाना उर्स का यह सिलसिला पिछले 42 वर्षों से अनवरत जारी है. इस मौके पर बनारस से आये कौव्वालों ने उपस्थित जनसमुदाय का मन मोह लिया. उर्स में आये लोगों के लिए यहां भोजन की व्यवस्था मढ़ही के ग्रामीणों के तरफ से की गयी थी. गुरुवार की पूरे रात पूजा व इबादत कर दौर चलता रहा. मन्नतें पूरी होने पर औलाद पाये मुरीदों द्वारा दर्जनों बच्चों का मुंडन कार्य भी किया गया. विधि व्यवस्था के लिए शाहपुर थानाध्यक्ष समेत महिला पुलिस की भी तैनाती की गयी है. वारसी मढ़ही दरबार में वारसी मतावलंबियों ने भाईचारे व कौमी एकता की मिसाल पेश की. साथ ही अगले साल कार्तिक द्वितीय के दिन वारिस की गद्दी का दीदार करने की इच्छा अपने दिलों में दबाये अपने-अपने घर कूच कर गये. हालांकि, पुजारी महंथ बनारस प्रसाद की मौत 31 दिसंबर, 2014 को हो गयी. इस कारण इस साल पुजारी का कार्यभार उनके बेटा देवाश्रय कुमार चंचल ने संभाली. इस संबंध में ग्रामीणों का कहना है कि महंथ द्वारा कई साल पहले ही बेटे की ताजपोशी की गयी थी.
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मढ़ही में दिखी कौमी एकता की मिसाल
मढ़ही में दिखी कौमी एकता की मिसाल वारिसलीगंज. प्रखंड स्थित बाली गांव में वारिश पाक सूफी संत के मढ़ही पूजा में हिंदू-मुसलिम कौमी एकता का गजब दृश्य दिखा. सूत्रों के अनुसार, वर्ष 1972 से बाली मठ के पुजारी महंथ बनारस प्रसाद वारसी ने देवा शरीफ से चादर लाकर बाली गांव में वारिस पाक की गद्दी […]
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