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भगवान भरोसे : कई थानों के पास अपना भवन नहीं जिले में लोगों की सुरक्षा के लिए सरकार ने 26 थाने खोले हैं. इसमें 23 पहले से चल रहे हैं और तीन थानों की घोषणा कुछ समय पहले ही हुई है. इसमें कुछ थानों को छोड़ दें तो बाकी थानों का भवन सुंदर, सुरक्षित व […]

भगवान भरोसे : कई थानों के पास अपना भवन नहीं
जिले में लोगों की सुरक्षा के लिए सरकार ने 26 थाने खोले हैं. इसमें 23 पहले से चल रहे हैं और तीन थानों की घोषणा कुछ समय पहले ही हुई है.
इसमें कुछ थानों को छोड़ दें तो बाकी थानों का भवन सुंदर, सुरक्षित व मजबूत बनाये गये हैं. कुछ वर्ष पहले तक जिले के तमाम थानों का भवन काफी पुराना व जजर्र स्थिति में था. नक्सल प्रभावित जिला होने के कारण सभी थानों को मॉडल थाना का रूप दिया गया. परंतु, अभी भी शाहपुर, काशीचक, कादिरगंज व रोह थाने को अपना भवन नहीं मिल पाया है. भवन विहीन इन थानों की स्थापना वर्षो पहले हुई थी. इन सभी थानों में पुलिसकर्मी किसी तरह से अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं.
पुलिसकर्मियों की माने तो उनको यहां सोने, रहने, पानी, बिजली आदि को लेकर काफी मुश्किलें ङोलनी पड़ती है.
अन्य संसाधनों की कमी से जूझ रहे पुलिसकर्मी
थानों को गश्ती के लिए मिले वाहन भी हो गये खटारा
नवादा (सदर) : जिले में नक्सली गतिविधि तेज होने के कारण प्रदेश सरकार ने जिले में तीन स्थानों पर नेमदारगंज, थाली, परनाडाबर में नये थाने बनाने की घोषणा तीन माह पहले सरकार ने की है. लेकिन, इस दिशा में अब तक कोई जरूरी कदम नहीं उठाया गया है. इसके अलावा पहले से जिले में चल रहे 23 थानों में से चार की हालत ऐसी है कि वह अपनी सुरक्षा भी नहीं कर सकते हैं. वहां कई तरह की कमियां हैं.
छत से होता है रिसाव
पिछले कई वर्षो से विभागीय अनदेखी के कारण बरसात के समय इन थानों की छतों से पानी टपकना आम बात हो गयी है. इस कारण हथियारों, दस्तावेजों या पुलिस कर्मियों के अन्य सामान को सुरक्षित रखने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है. पुलिस वाले भी खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं.
काफी पुराने हैं वाहन
इन थानों के निर्माण काल के कुछ ही दिन बाद दिया गया वाहन जजर्र हो गया है. इससे पैट्रोलिंग व आरोपितों को पकड़ने में काफी परेशानी होती है. कभी-कभी जजर्र वाहन के कारण पुलिस आरोपितों को नहीं पकड़ पाते हैं. बहरहाल अपना भवन, हाजत की कमी व जजर्र होना सहित अन्य मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता नहीं होने के कारण पुलिस वाले शत प्रतिशत कार्य में सक्षम नहीं हो रहे हैं.
मालिकाना हक के लिए चला मुकदमा
शाहपुर ओपी के अस्तित्व में आते ही चंदे से डिस्ट्रिक बोर्ड की जमीन पर चंदे की राशि से एक कमरा व चहारदीवारी का निर्माण कराया गया. परंतु, ओपी के ठीक सामने जमीन मालिक रामेश्वर सिंह जिक्षा सिंह नये सर्वे के आधार पर ओपी की जमीन पर मालिकाना हक पाने का मुकदमा दायर किया. इसमें उन लोगों की जीत हुई. ओपी स्थानांतरित करने के लिए सम्मन भेजा गया. नतीजतन ओपी को पास के ट्राइसेम भवन में स्थानांतरण किया गया जहां आज तक चल रहा है.

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