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सरकारी स्कूलों में नहीं हो रही कंप्यूटर की पढ़ाई

स्कूलों में शिक्षक नहीं होने से स्थिति बदहाल मेसकौर : एक ओर सरकार स्कूल में पढ़नेवाले बच्चों को तकनीकी शिक्षा देने की बात कह रही है, वहीं दूसरी ओर तकनीकी शिक्षा देनेवाले संसाधन कंप्यूटर और कंप्यूटर शिक्षक सरकारी स्कूलों में पढ़नेवाले बच्चों की पहुंच से काफी दूर है. प्रखंड के स्कूलों की हम बात करें, […]

स्कूलों में शिक्षक नहीं होने से स्थिति बदहाल
मेसकौर : एक ओर सरकार स्कूल में पढ़नेवाले बच्चों को तकनीकी शिक्षा देने की बात कह रही है, वहीं दूसरी ओर तकनीकी शिक्षा देनेवाले संसाधन कंप्यूटर और कंप्यूटर शिक्षक सरकारी स्कूलों में पढ़नेवाले बच्चों की पहुंच से काफी दूर है.
प्रखंड के स्कूलों की हम बात करें, तो कंप्यूटर शिक्षा की व्यवस्था पूरी तरह से ठप है. जबकि सरकार अलग-अलग एजेंसी के माध्यम से कंप्यूटर लैब और कंप्यूटर शिक्षा देने के लिए करोड़ों रुपये खर्च भी कर रही है .बावजूद इसके सरकारी विद्यालयों में आज कंप्यूटर लैब बदहाल स्थिति में हैं .बच्चे तकनीकी शिक्षा से जुड़ सकें इसके लिए प्रत्येक विद्यालय में कंप्यूटर लैब बनाये गये हैं. विभिन्न एजेंसियों के जरिये कंप्यूटर लैब व शिक्षा की व्यवस्था भी की गयी. लेकिन, न तो स्कूल में कंप्यूटर लैब में बच्चे पढ़ते हैं और न ही इनका उपयोग स्कूल के शिक्षक एवं शिक्षिका करती हैं
ज्यादातर स्कूलों में या, तो कंप्यूटर लैब बंद हैं या कंप्यूटर हैं ही नहीं. इससे आज भी बच्चे कंप्यूटर शिक्षा नहीं ले पा रहे हैं. शिक्षा विभाग द्वारा बूट मॉडल(बिल्ट ऑन ऑपरेटिंग ट्रांसफर) तहत वर्ष 2007 -8 में स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षा की पढ़ाई शुरू की गयी.
इसकी जिम्मेदारी बेल्ट्रॉन को सौंपी गयी. इसके बाद एनआइटी और एडूकॉन के जरिये स्कूलों में कंप्यूटर लैब स्थापित किये गये. योजना के अनुसार तीन वर्षों तक स्कूलों में कंप्यूटर लैब स्थापित कर इसकी ट्रेनिंग शिक्षकों को दी गयी है. इसके बाद स्कूलों में कंप्यूटर की पढ़ाई करानी थी़ लेकिन, एजेंसी का टर्म पूरा होते ही स्कूल प्रशासन की ओर से इसका संचालन बंद हो गया .वर्ष 2012-14 प्रियर्सन आईएलएफएस और कॉम्प्यूकोन जैसे सॉफ्टवेयर एजेंसियों के माध्यम से बिहार राज्य शैक्षणिक आधारभूत संरचना के जरिये प्रखंड के स्कूलों में विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से कंप्यूटर लैब की व्यवस्था की गयी
इसके लिए सभी स्कूलों में नाै लाख रुपये की लागत से लैब स्थापित किये गये .इसके लिए 7.30 लाख रुपये की राशि एक मुफ्त में दे दी गयी. शेष राशि अलॉटमेंट में ,कंप्यूटर शिक्षक के मानदेय ,जेनेरेटर इत्यादि पर खर्च के लिए दिये गये .इसका संचालन राज्य माध्यमिक शिक्षा पर्षद की ओर से किया गया है. स्कूल की मानेें, तो विद्यालयों में कंप्यूटर शिक्षक नहीं होने से कंप्यूटर की पढ़ाई नहीं हो पा रही है. कहीं एक वर्ष से तो कहीं दो वर्ष से तो, कहीं तीन वर्ष से कंप्यूटर लैब बंद पड़े हैं .क्योंकि इन कंप्यूटरों को चलानेवाले शिक्षक नहीं हैं
प्रखंड में चार इंटर विद्यालय हैं लेकिन, किसी में भी कंप्यूटर शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की गयी है. प्रखंड के चारों इंटर विद्यालयों में कंप्यूटर की चोरी हो चुकी है. बीइओ विद्यानंदन ठाकुर ने कहा कि विभाग को इसकी जानकारी दी गयी है. निर्देश मिलने पर पढ़ाई की व्यवस्था करायी जायेगी.

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