दुखद. डूबीं चारों बच्चियां पर्व के लिए लाने गयी थीं मिट्टी
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गहरे पानी में जाने से हुई मौत
दुखद. डूबीं चारों बच्चियां पर्व के लिए लाने गयी थीं मिट्टी घटना के बाद मृत छात्राओं के रोते- बिलखते परिजन. वहीं ढाढस देती महिला. स्कूल से छुट्टी के बाद घर आने पर गयी थीं मिरजापुर टाल परिजनों को सीओ ने दिया चार- चार लाख रुपये का चेक बिहारशरीफ/अस्थावां : बिंद के जिराइन नदी में डूबने […]
घटना के बाद मृत छात्राओं के रोते- बिलखते परिजन. वहीं ढाढस देती महिला.
स्कूल से छुट्टी के बाद घर आने पर गयी थीं मिरजापुर टाल
परिजनों को सीओ ने दिया चार- चार लाख रुपये का चेक
बिहारशरीफ/अस्थावां : बिंद के जिराइन नदी में डूबने से ताजनीपुर गांव के चार बच्चियों की मौत से क्षेत्र में मातम पसर गया है. प्रखंड से लेकर जिला मुख्यालय तक के लोग सदमें में हैं. चारों बच्चियां मध्य विद्यालय ताजनीपुर की छात्राएं थीं. शनिवार स्कूल में छुट्टी होने के बाद चारों बच्चियां अर्चना कुमारी, काजल कुमारी, जूही कुमारी व संजना कुमारी अपने घर आ गयी थी. घर से फिर चारों बच्यियां गांव की दो अन्य बच्चियों के साथ छठ व्रत में प्रसाद बनाने के लिए बनने वाले चूल्हे के लिए मिट्टी लाने मिरजापुर टाल में गयी थी. छठ व्रत के कार्यों में साफ सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है.
चारों बच्चियां इस परंपरा का निर्वहन करने के लिए मिट्टी लाने से पूर्व जिराइन नदी में स्नान करने लगी. नदी में स्नान करने के दौरान नदी के धार में बह कर गहरे पानी में चली गई. जिससे चारों बच्चियां डूब गई.
इन बच्चियों के साथ गयी गांव की दो अन्य बच्चियां इस मंजर को देख जोर जोर से चिल्लाने लगी. बच्चियों का शोर सुन जिराइन नदी में मछली मार रहे गांव के ही कमलेश बिंद, शिवदानी बिंद व शैलेन्द्र बिंद दौड़े. तीनों ग्रामीणों ने नदी में डूबे तीनों बच्चियों को पानी में डूबकी मार कर खोज निकाला और नदी से बहार निकाला. घटना की सूचना पाकर बिंद पुलिस घटनासथल पर पहुंची और आनन फानन में चार बच्चियों को बिंद अस्पताल लाया गया, जहां के चिकित्सकों ने चारों बच्चियों को मृत घोषित कर दिया.
मृतक बच्चियों को देखने बड़ी संख्या में स्थानीय ग्रामीण, पुलिस, जनप्रतिनिधि व प्रखंडस्तरीय अधिकारी बिंद अस्पताल पहुंचे. चारों मृतक बच्चियों के शव को पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल बिहारशरीफ भेज दिया गया.
अब रखिया कौन बांधतो हो बेटवा:
जिराइन नदी में डूबने से अर्चना कुमारी (12 वर्ष) की हुई मौत से पिता श्याम मिस्त्री व माता सुनैना देवी गम में डूब गई है. इस हादसे से पिता श्याम मिस्त्री को बड़ा सदमा लगा है. वे कुछ नहीं बोल पा रहे हैं. खेती बारी नहीं होने के कारण श्याम मिस्त्री मजदूरी का कार्य कर अपने बाल बच्चों को पाल रहे थे. माता सुनैनी देवी का रो रो कर बुरा हाल है. वह दहाड़े मार कर रोये जा रही थी. गांव की महिलाएं उसे सांत्वना देने में जुटी थी. सुनैना देवी को दो बेआ और एक बच्ची थी.
पुत्री सुनैना देवी के कार्यों में भी हाथ बंटाती थी. वह रुंधे हुए गले से कहती है अब रखिया कौन बंधतो हो बेटवा, एके गो दुलारी बहनी हलो, वो भी साथ छोड़ गेलो हो बेटवा, सुनैना देवी रोने के क्रम में बार बार बेहोश हो जा रही थी.
तीन भाइयों की एकलौती बहन थी काजल:
बिंद के ताजनीपुर गांव स्थित जिराइन नदी में स्नान के दौरान हुई मौतों में मृतक काजल कुमारी (12 वर्ष) तीन भाइयों की एकलौती बहन थी. वह मध्य विद्यालय ताजनीपुर के सप्तम वर्ग की छात्रा थी. इसे हादसे से पूरा परिवार गम में डूब गया है. काजल के पिता कपिल बिंद इस हादसे से सन्न हैं. दुलारी देवी अपनी प्यारी बेटी काजल के गम में तड़प रही है. मां का रो रो कर बुरा हाल है. गांव की महिलाएं उसे संभाल रहीं हैं. काजल के पिता कपिल बिंद भी मजदूरी कर अपने बाल बच्चों को पोषण कर रहे थे. दुलारी देवी रोते रोते अपने बेटों से कहती है कि अब बहिनी के रखिया बिना तोहर हाथवा सूने रह जायूतो हे बबूआ. अब रखियो बांधे लागि बहिनी न बचलो हो बेटवा.
विधायक ने पीड़ित परिवारों को दी सांत्वना:
इधर अस्थावां के विधायक डाॅ जितेन्द्र कुमार ने मृतकों के प्रति शोक संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि ईश्वर इनके परिजनों को यह आघात सहन करने की शक्ति दे. उन्होंने अधिकारियों को आपदा राहत कोष से मृतक के परिजनों को तत्काल चार चार लाख रुपये की राशि देने का आग्रह किया.
घटना के बाद मृत छात्राओं के रोते- बिलखते परिजन. वहीं ढाढस देती महिला.
दो भाइयों में अकेली बहन थी संजना
वहीं इस हादसे में मृतक बच्ची संजना कुमारी (12 वर्ष) अपने दो भाइयों की अकेली बहन थीं. घटना से संजना के पिता मुरारी बिंद को गहरा सदमा लगा है. मां रिंकु देवी इस हादसे के बाद रो रोकर बेसुध हो चुकी है. मुरारी बिंरद अपने बाल बच्चों का लालन पालन मजदूरी कर रहे थे.
दिव्यांग माता-पिता की संतान थी जूही
बिंद के जिहाइन नदी में हुए हादसे में मृतक जुही कुमारी (11 वर्ष) के माता पिता दिव्यांग हैं. दो बहनों में जुही बड़ी थी, जबकि छोटी बहन डेढ़ साल की है. मां मालती कम बुद्धि की है, जबकि पिता शंकर साव दिव्यांग हैं. घर को संभालने में जुही का बड़ा योगदान था. स्कूल की पढ़ाई के साथ ही वह घर संभालने में समय देती थी. इस हादसे से शंकर साव व उसकी पत्नी मालती देवी पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. पिता शंकर साव दुख भरे स्वर में कहते हैं कि अब हमर घरवा कौन संभालतो जी बिटिया. तोरे पर घरवा के जिम्मेदरिया हलो हो बिटिया.
मृतकों के परिजनों को चार चार लाख का चेक
बिंद के अंचलाधिकारी अफजल हुसैन ने चारों मृतक बच्चियों के परिजनों को आपदा राहत कोष से चार चार लाख रुपये प्रदान किये है. ताजनीपुर पंचायत की मुखिया प्रतिमा कुमारी ने कबीर अंत्येष्टि योजना के तहत चारों मृतक बच्चियों के परिजनों को तीन तीन हजार रुपये प्रदान किये.
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