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नालंदा विश्व का विद्या तीर्थ : मोरारी बापू

मोरारी बापू ने प्रेस वार्ता को किया संबोधित शिक्षा के साथ-साथ विद्या देने के आवश्यकता पर जोर देश और विदेश में अब तक 771 जगहों पर राम कथा कर चुके प्रेम के बिना करूणा नहीं आ सकती जीवन में मौन बहुत आवश्यक है नालंदा : मोरारी बापू की 786 वीं रामकथा किसी मुसलिम देश में […]

मोरारी बापू ने प्रेस वार्ता को किया संबोधित

शिक्षा के साथ-साथ विद्या देने के आवश्यकता पर जोर
देश और विदेश में अब तक 771 जगहों पर राम कथा कर चुके
प्रेम के बिना करूणा नहीं आ सकती
जीवन में मौन बहुत आवश्यक है
नालंदा : मोरारी बापू की 786 वीं रामकथा किसी मुसलिम देश में होगी. पाकिस्तान से बुलावा आया तो वहां मानस मोहब्बत की कथा करेंगे. अंतरराष्ट्रीय कथाकार मोरारी बापू ने शनिवार को राजगीर में आयोजित प्रेस वार्ता में यह कहा. उन्होंने कहा कि देश में राजनीति के साथ-साथ राजप्रीत भी होनी चाहिए.
बापू की अब तक 771 रामकथा का आयोजन किया जा चुका है. 786 अंक मुसलमानों के लिए शुभ अंक माना जाता है. इसलिए उनकी हार्दिक इच्छा है कि 786 वां राम कथा किसी मुसलिम देश की जाय .नालंदा के गौरव की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि नालंदा विश्व का विद्या तीर्थ है.
आज स्कूल कॉलेज में शिक्षा दी जा रही है, लेकिन विद्या नहीं शिक्षा के साथ-साथ विद्या देने के आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने लाल बहादुर शास्त्री के जय जवान जय किसान नारे में जय विज्ञान जोड़ने के लिए प्रेरित किया. बापू ने एक सवाल के जवाब में कहा कि आज रावण घर-घर में है तो श्री राम घट-घट में है.
उन्होंने कहा कि लंकापति रावण का वध उनके दृष्टि में उचित नहीं है. उन्होंने रावण पर मानस की दस कथाएं की है. राजगीर और वीरायतन की चर्चा करते हुए मुरारी बापू ने कहा कि राजगीर महावीर की साधना भूमि है. यहीं से अहिंसा प्रस्फुटित हुआ था. आज भी वीरायतन भगवान महावीर के संदेशों को देश दुनिया में पहुंचा रहा हे. मोरारी बापू ने कहा कि जब वे 14 साल की आयु के थे तब उन्होंने अपने गांव में एक माह की रामकथा की थी तब उन्होंने पांच कथाएं की है. इसके बाद तो देश और विदेश में अब तक 771 जगहों पर राम कथा कर चुके हैं. बापू ने कहा कि मैं प्रिय सत के पक्ष में हु. कड़वा सत्य के नहीं. कड़वा सत्य कभी अप्रिय भी हो सकता है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि सत्य अमीत्य है.
उनका मानना है कि सत्य बिना अभय नहीं मिल सकता है उसी तरह प्रेम के बिना करूणा नहीं आ सकती है. जीवन में मौन बहुत आवश्यकता है. इससे संयम धैर्य दोनों मिलती है. साधक के लिए सुअध्याय जरूरी है. उन्होंने जेएनयू में देशविरोधी नारे लगाये जाने के सवाल पर उन्होंने राष्ट्रप्रेम आवश्यक है. इस अवसर पर वीरायतन संस्थापिका आचार्य श्री चंदना जी महाराज साध्वी यशा जी मजाराज, संप्रज्ञा जी महाराज, संघमित्रा जी महाराज सहित अन्य लोग उपस्थित थे.

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