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जिले के 50 गांव बनेंगे स्मार्ट
पहल. पहले चरण में 25 गांवों को स्मार्ट गांव योजना में किया जायेगा शामिल स्मार्ट सिटी की तर्ज पर अब स्मार्ट गांव भी बनाये जायेंगे. इसके लिए श्यामा प्रसाद मुखर्जी अरबन मिशन योजना शुरू की गयी है. इस योजना के तहत जिल के 50 गांवों को स्मार्ट गांव के रूप में विकसित किया जायेगा. इस […]
पहल. पहले चरण में 25 गांवों को स्मार्ट गांव योजना में किया जायेगा शामिल
स्मार्ट सिटी की तर्ज पर अब स्मार्ट गांव भी बनाये जायेंगे. इसके लिए श्यामा प्रसाद मुखर्जी अरबन मिशन योजना शुरू की गयी है. इस योजना के तहत जिल के 50 गांवों को स्मार्ट गांव के रूप में विकसित किया जायेगा. इस योजना का लक्ष्य गांवों को समूह के तौर पर विकसित करना है. जिसमें बुनियादी ढांचे की सुविधा के साथ कुशल कारीगर व लोगों को स्वरोजगारी बनाने के साधन उपलब्ध होंगे. रोजगार के साधन बढ़ेंगे.
अरुण
बिहारशरीफ : देश की संस्कृति गांवों में बसती है यह सच है. गांवों के विकास के बिना देश की तरक्की की बात बेमानी है. शहरों का विकास के साथ ही गांवों का विकास करने की पहल सरकार द्वारा जल्द ही शुरू की जायेगी. स्मार्ट शहरों के तरह गांवों को भी स्मार्ट बनाने की योजना है.
योजना का मार्गदर्शन आने के बाद जिला प्रशासन द्वारा कार्य शुरू की जायेगी. शहरों की तरह सभी तरह की बुनियादी सुविधाओं से गांवों को लैस किया जायेगा.
श्यामा प्रसाद मुखर्जी ग्रामीण विकास योजना से बदलेगी तसवीर:
स्मार्ट सिटी की तर्ज पर स्माट गांव बनाये जायेंगे. श्यामा प्रसाद मुखर्जी मिशन योजना के तहत गांवों की तसवीर बदल जायेगी. योजना के जरिये गांवों की सिरत से लेकर सुरत तक बदला जायेगा.
ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक विकास को गति दिया जायेगा. इसके लिए ग्रामीण कलस्तर बनाये जायेंगे. इन कलस्टरों से आर्थिक गतिविधियां, कौशल विकास, स्थानीय उद्यमिता के साथ ही कई सुविधाएं प्रदान की जायेगी. आबादी के अनुसार कलस्टर बनाने की सोच है.
जिले के पचास गांवों का पहले चरण में किया जायेगा चयन:
स्मार्ट गांव योजना के तहत पहले चरण में जिले के 50 गांवों का चयन किया जायेगा. गांवों का चयन के लिए प्रखंड स्तर व जिला स्तरीय के अधिकारियों द्वारा गठित टीम के द्वारा की जायेगी.
खासकर राजस्व गांवों को प्राथमिकता दी जायेगी. सरकार की सोच है कि गांवों का विकास कर शहरों पर बढ़ते लोड को कम किया जाये. इसी सकारात्मक सोच को अमली जामा पहनाया जायेगा. वर्तमान समय में गांवों से लोग शहरों की ओर पलायन कर रहे है.
गांवों से लोगों का पलायन रोकने के लिए योजना मील का पत्थर साबित होगा. गांवों में हर तरह की बुयिादी सुविधाओं की व्यवस्था की जायेगी. सभी तरह की सुविधाओं मिलने से शहरों की ओर दौड़ लोगों को नहीं करना पड़े इसके लिए गांवों में अस्पताल, शिक्षा, रोजगार की पर्याप्त की जायेगी. सभी तरह के सरकारी कार्यालयों की लोकल बॉडी के कर्मियों को बिठाया जायेगा जो जनहित से जुड़े समस्याओं का समाधान करेंगे. साथ ही गावों में शुद्व पेयजल, बिजली की मुक्कमल व्यवस्था करायी जायेगी.
गांवों का वातावरण शहरों से काफी बेहतर:
शहरी जीवन में कई तरह की परेशानियां लोग झेल रहे है मसलन सड़क जाम, बढ़ते प्रदुषण से बीमारी, तनाव व अन्य मसले. जबकि गांवों की वातावरण अभी भी काफी शुद्ध है. शुद्ध वातावरण का असर मानव जीवन को दीघार्यु बनाता है.
गांव हो रहे बूढे और खाली
स्मार्ट गांव योजना से लौटेगी गांवों की मुस्कान.
स्मार्ट गांव योजना से गांवों की रौनक लौटेगी और गांव में रहने वालों के उदास चेहरे पर मुस्कान लौटेगी. वर्तमान में गांवों की जो स्थिति है,उससे गांव और बूढ़े और खाली होते जा रहे है.
गांव का युवा वर्ग शिक्षा व रोजगार के लिए शहरों की ओर पलायन कर रहा है. गांवों में केवल बुजुर्ग लोग ही दिखलाई पड़ रहे हैं. किसान चक्रधर प्रसाद, रामखेलावन प्रसाद, अजीत कुमार बताते है कि कृषि प्रधान देश होने के बावजूद गांव खेत खलिहान आज अनेक प्रकार की समस्याओं से जूझ रहे हैं. कभी बाढ़ तो कभी सूखाड़ से प्रभावित होते रहत है.
कहीं सिंचाई के साधन नहीं है तो कही बिजली की समस्या है. सारी टेक्नालॉजी शहर तक ही सीमित हैं. इसके कारण अधिकांश छोटे किसान कर्ज में डूबे रहते है. खेती किसानी पूरी तरह प्रकृति के भरोसे छोड़ दी गयी है. किसानों के पास आय का अन्य कोई जरिया नहीं है.
जिसकी मदद से से विषम परिस्थिति में अपनी आजीविका चला सकें. गांवों के बच्चे शिक्षा, व्यापार व नौकरी के लिए पलायन कर शहरों में चले जाते है. इसके कारण गांव खाली हो रहे हैं. गंाव की मुस्कान शहर की तरफ बढ़ गयी है. यदि विकसित गांव होगे तो वहां फसल अच्छी होगी, किसानों के आय के श्रोत बढ़ेंगे. शिक्षा की व्यवस्था होने से गांव का बच्चा वहीं पढ़- लिखकर अपनी आजीविका में लग जायेगा.
गांवों की मुस्कान फिर से लौटने लगेगी.
ग्रामीणों को मिलेंगे ये लाभ
ग्रामीणों को बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा समेत स्वास्थ्य सेवाएं मिलेगी.
ग्रामीण इलाके के लोगों के लिए कौशल विकास का खास इंतजाम होंगे.
आबादी के अनुसार कलस्टर बनेगा जिसमें 25 से 50 हजार लोगों की होगी.
पहाड़ी व मरूस्थलीय क्षेत्र में पांच से 15 हजार कीजनसंख्या पर बनेगा.
गांव स्तर पर कलस्टर की जरूरी बातें
कौशल विकास प्रशिक्षण,कृषि से जुड़ी सेवाएं, भंडारण, वेयर हाउसिंग, डिजिटल साक्षरता, स्वच्छता, पाइप से जलापूर्ति, अपशिष्ट प्रबंधन सड़क व नाले, स्ट्रीट लाइट, मोबाइल हेल्थ इकाई, स्कूलों का उन्नयन, गांवांे को जोड़नेवासी सड़कें, एलपीजी गैस कनेक्शन, ई-ग्राम कनेक्टिविटी, सिटीजन सेवा केंद्र.
क्या कहते हैं अधिकारी:
डीडीसी कुंदन कुमार ने बताया कि मार्गदर्शन आने के बाद योजना पर कार्य शुरू किये जायेगे. गांवों के स्मार्ट बनने से शहरों पर बढ़ते लोड में कमी आयेगी. गांवों में ही बेहतर सुविधा मिलने लगेगी.
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