बिहारशरीफ : इन दिनों धान की फसल खेतों में पक कर तैयार है. धान की कटनी के कार्य में किसान जी जान से लगे हैं. प्रति दिन अहले सुबह उठ कर किसान घर वालों व मजदूरों को साथ लेकर खेतों की ओर रवाना हो रहे हैं. किसानों को अधिकांश समय खेतों में गुजर रहा है. सुबह में किसान धान की फसल को काटते हैं.
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रबी फसल की बोआई की सता रही चिंता
बिहारशरीफ : इन दिनों धान की फसल खेतों में पक कर तैयार है. धान की कटनी के कार्य में किसान जी जान से लगे हैं. प्रति दिन अहले सुबह उठ कर किसान घर वालों व मजदूरों को साथ लेकर खेतों की ओर रवाना हो रहे हैं. किसानों को अधिकांश समय खेतों में गुजर रहा है. […]
इसके बाद दूसरे खेतों कटी हुई धान की फसल को अटिया कर उसे खलिहान में पहुंचाते हैं. शाम में खलिहान में रखे गये धान के बोझा से पुंज लगाते हैं. इन दिनों किसान को खाना-पीना खेत खलिहान में ही हो रहा है.
किसानों के लिए यह समय सबसे कठिन है,क्योंकि खेतों से धान की फसल उठ जा रही है. उन खेतों में रबी फसल की बोआई भी करनी है. खेत की नमी कहीं खत्म न हो जाये. इस भय से खेतों में रबी फसल की बुआई भी करने को मजबूर हैं.
खेत में पकी हुई धान की फसल को काटने व इकट्ठा करने की प्रक्रिया को धनकटनी कहते हैं. धान की फसल की समय पर कटनी जरूरी है. पहले व देर से कटाई करने से फसल की गुणवत्ता और मात्रा दोनों ही कम हो जाती है. धान की बालिया निकलने के लगभग एक माह बाद धान की सभी किस्में पक जाती हैं. यह समय कटाई के लिए उपयुक्त है.
धनकटनी हसिया व शक्तिचालित मशीनों से भी की जा सकती है. हसिया से धान की कटनी की जाती है. यह पद्धति किसानों के लिए फायदेमंद है. मगर इसमें श्रमिक अधिक लगते हैं. जबकि ऊर्जा चालित मशीनों से कटनी में मजदूर की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ती है.
खलिहान निर्माण व जहाई, मडाई:
धान की फसल को रखने के लिए किसान खलिहान का निर्माण करते हैं. इसके लिए उस जगह की अच्छी तरह साफ-सफाई व पुताई की जाती है. खेतों में काट कर रखी फसल को पहले बंडल (आंटी) बनाया जाता है. इसके आटी का बोझा बना कर उसे खलिहान में लाया जाता है. आटी (बंडल) से धान के दाने निकालने की प्रक्रिया को जहाई कहा जाता है.
खोजे नहीं मिल रहे मजदूर:
किसानों को परेशानी इन दिनों धन कटनी के लिए मजदूर नहीं मिलने से भी बढ़ी हुई है. किसानों को मनमाना दाम देने पर भी धान काटने वाले मजदूर नहीं मिल रहे हैं.
धान की कटाई के समय निम्न बातों को ध्यान रखना जरूरी:
जब खेत में एक से अधिक प्रगति की फसल हो तो बीज के लिए अनुवांधिक शुद्धता का ख्याल रखना जरूरी है.
धान की कटाई के पूर्व विषय पौधों को सबसे पहले खेत से निकाल लें.
कटी हुई फसल को अधिक दिन तक खेतों में न छोड़ें. इससे फफूंद, रोग व कीटों के होने की संभावना बढ़ जाती है. बीज अंकुरित भी हो सकता है.
ज्यादा नमी होने पर चावल की प्राप्ति कम हो जाती है. अपरिपक्व, टूटे एवं कम गुणवत्ता के दोनों की संख्या अधिक हो जाती है.
कम नमी रहने पर कटाई करने से मिलिंग के दौरान धान टूटता है.
देर से कटाई करने पर फसल भूमि पर गिर सकती है. गिरे हुए फसलों को चूहे, चिडि़यां व कीटों के आक्रमण से नुकसान हो सकता है.
कटाई के समय धान की बालियों को एक दिशा में रखें, जिससे भड़ाई (थ्रेसिंग) में समस्या न हो.
कटाई के बाद फसल को अत्यधिक सुखने व बारिश से बचाना चाहिए.
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