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इस वर्ष मकर संक्रांति 15 को
बिहारशरीफ : इस वर्ष की मकर संक्रांति में कई दुर्लभ संयोग बन रहे हैं, जो कई खूबियों से भरे होंगे. इस बार मकर संक्रांति पर ऐसे संयोग बन रहे हैं, जो न केवल सुख-समृद्धि बढ़ायेंगे बल्कि अनुकूल ग्रह नक्षत्र मुहूर्त का संयोग जातकों की तकदीर बदलने में भी सक्षम होगा. ज्योतिषाचार्य पंडित श्रीकांत शर्मा बताते […]
बिहारशरीफ : इस वर्ष की मकर संक्रांति में कई दुर्लभ संयोग बन रहे हैं, जो कई खूबियों से भरे होंगे. इस बार मकर संक्रांति पर ऐसे संयोग बन रहे हैं, जो न केवल सुख-समृद्धि बढ़ायेंगे बल्कि अनुकूल ग्रह नक्षत्र मुहूर्त का संयोग जातकों की तकदीर बदलने में भी सक्षम होगा.
ज्योतिषाचार्य पंडित श्रीकांत शर्मा बताते हैं कि इस वर्ष 14 जनवरी की शाम 7 बज कर 20 मिनट पर सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर रहा है. इसके कारण संक्रांति संध्या काल में हैं इसलिए पुण्य काल का समय अगले दिन यानी 15 जनवरी की सुबह 11 बज कर 20 मिनट तक रहेगा. इसी दिन ही दही-चूड़ा-तिलकुट सेवन करना शुभकर है. इसी दिन ही खिचड़ी खायी जायेगी.
इस बार मकर संक्रांति विषय अंक 15 पांच का संयोग बनायेगा. 21 वीं सदी के 15 वें साल की 15 तारीख को 15 वां नक्ष स्वाति और 15 मुहरूत तिथि होगी. श्री शर्मा बताते हैं कि 15 का मूल्यांक 6 है और 6 अंक का स्वामी शुक्र है, जो सुंदरता, प्रकृति सौदर्य और चकाचौंध का परिचायक है. यह प्रकृति और उन्नति का ग्रह माना जाता है.
क्या है मकर संक्रांति
खगोल शास्त्रियों का मानना है कि इस दिन सूर्य अपनी कक्षाओं में परिवर्तन करते हैं. सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायन होकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं. इस राशि में सूर्य की कक्षा का परिवर्तन होता है. इसलिए इसे संक्रमण या संक्रांति का काल कहा जाता है. मकर संक्रांति से दिन बढ़ने लगता है.
सूर्य की ऊर्जा में उष्णता आ जाती है. इसी दिन खरमास का समापन होता है और सभी तरह के शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं.
संक्रांति काल मनोवांछित फलदायक
पंडित श्रीकांत शर्मा बताते है कि मकर संक्रांति के दिन स्नान व दान करना अत्यंत पुण्य कारक व मनोवांछित फल दायक है. पौराणिक मत है कि मकर संक्रांति के दिन प्रयाग व गंगा सागर में स्नान करने वाले अत्यंत पुण्य के भागी होते हैं. इस दिन स्नान-ध्यान कर ब्राह्मण व दरिद्र को ति, घी, कंबल, जूता, गुड़ दान करने में मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. कहा जाता है कि इसी दिन देवता लोग रूप बदल कर प्रयाग में गंगा स्नान करने के लिए आते हैं.
गुड़-तिल से मिलती है ऊर्जा
श्री शर्मा बताते है कि गुड़-तिल का सेवन करने से शरीर में उष्णता बरकरार रहती है. दूध-दही अमृत भोजन के रूप में मान्य है. समयानुकूल यह गरमी में ठंडा व जाड़े में गरमी प्रदान करने का प्रतीक है. दही-चूड़ा गरिष्ठ भोजन का रूप माना जाता है. इसलिए सुपाच्य भोजन के रूप में इस दिन खिचड़ी भी खाया जाता है.
तिलकुट व चूड़े की बिक्री में तेजी
बिहारशरीफ : मकर संक्रांति के निकट आते ही बाजारों में तिलवा-तिलकुट, चूड़ा, गुड़ आदि की बिक्री में तेजी आ गयी है. दुकानों से लेकर शहर फुटपाथों पर तिलवा-तिलकुट की दुकानें सजने लगी है. राजगीर तिलकुट, गुड़ तथा चूड़ा आदि की खरीदारी कर रहे हैं. ग्रामीण क्षेत्र के लोग पर्व के पूर्व ही आवश्यक वस्तुओं की खरीदारी कर इत्मीनान हो जाना चाहते हैं.
संक्रांति को ले व्यवसायियों द्वारा भी जबरदस्त तैयारी की गयी है. बाजारों में कई तरह के चूड़े, गुड़, तिलवा-तिलकुट, भूरा आदि की भरमार है. जहां साधारण, मोटा चूड़ा 26 से 28 रुपये प्रति किलो उपलब्ध है. वहीं बासमती चूड़ा के साथ चीनी की जगह पर भूरा और गुड़ का उपयोग करते हैं.
व्यवसायी रंजीत कुमार ने बताया कि इस वर्ष काफी पहले से तिलकुट की बिक्री शुरू होने के बावजूद पर्व के मौके पर अच्छी बिक्री हो रही है. मकर संक्रांति में सर्वाधिक इस्तेमाल होने वाला दही जमाने में जहां लोग अभी से ही दूध संग्रह कर रहे हैं, वहीं दूध की कमी से भी दही का स्वाद खट्टा होने की संभावना रहती है. शहर के अधिकांश लोगों की दही सुधा के दूध पर ही निर्भर करती है. यदि दूध की आपूर्ति ठीक- ठाक रही तो लोगों को दही की समस्या उत्पन्न नहीं होगी.
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