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शब्दों से जानी जा सकती है किताबों की उम्र

मुजफ्फरपुर: जिस तरह से किसी वस्तु की उम्र जानी जा सकती है, उसी तरह किताबों की भी सही उम्र जानी जा सकती है. प्राचीन वस्तु की उम्र जानने के लिए कार्बन डेटिंग की प्रणाली है. उसी तरह किताब की उम्र जानने के लिए यह जरूरी है कि वह किस भाषा में रची गयी है, उसके […]

मुजफ्फरपुर: जिस तरह से किसी वस्तु की उम्र जानी जा सकती है, उसी तरह किताबों की भी सही उम्र जानी जा सकती है. प्राचीन वस्तु की उम्र जानने के लिए कार्बन डेटिंग की प्रणाली है. उसी तरह किताब की उम्र जानने के लिए यह जरूरी है कि वह किस भाषा में रची गयी है, उसके कितने प्रतिशत शब्द संबंधित भाषा क्षेत्र में प्रचलित हैं.

ये बातें आरडीएस कॉलेज के हिंदी विभाग में वीर कुंवर सिंह महाविद्यालय के प्रोफेसर डॉ राजेंद्र प्रसाद सिंह ने कहीं. वे हिंदी विभाग में आयोजित भाषा की प्रकृति, प्रयोग एवं वैशिष्ट्य विषयक पर आयोजित संगोष्ठी में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि किसी भाषा में कौन सा शब्द अपना है और कौन बाहरी, उस भाषा के शब्द निर्माण से बखूबी पता चलता है.

विशिष्ट अतिथि एमएस कॉलेज मोतिहारी के प्राचार्य डॉ हरिनारायण ठाकुर ने शब्दों की महत्ता पर बल दिया. एलएस कॉलेज के भोजपुरी विभागाध्यक्ष डॉ जयकांत सिंह जय ने भोजपुरी को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी दी. अंत में राजनीति विज्ञान के अध्यक्ष डॉ अरुण कुमार सिंह ने स्थानीय भाषाओं के प्रति लोगों की उदासीनता पर चिंता व्यक्त की. कहा कि अपनी मातृभाषा को अधिक से अधिक बढ़ावा देना चाहिए.

संगोष्ठी की अध्यक्षता पूर्व प्राचार्य डॉ व्यास, संचालन डॉ रमेश प्रसाद गुप्ता व धन्यवाद ज्ञापन प्रो सत्येंद्र प्रसाद सिंह ने किया. मौके पर सहित्यकार डॉ रामविलास, डॉ एसके पाॅल, डॉ श्याम किशोर सिंह, डॉ अनीता घोष, डॉ अनीता सिंह, डॉ मंजू सिन्हा, डॉ श्याम बाबू शर्मा, डॉ संजय कुमार सुमन, डॉ प्रदीप कुमार चौधरी, डॉ राकेश कुमार सिंह, डॉ मकबूल हुसैन आदि माैजूद थे.

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