मुजफ्फरपुर : जीव के कल्याण का एकमात्र साधन है, उसे भक्त का चरण रज प्राप्त हो जाये. इसकी प्राप्ति के बाद जीव का स्वाभाविक कल्याण सुनिश्चित है. उक्त बातें वृंदावन से आये पीठाधीश्वर राजेंद दास ने गुरुवार को सिकंदरपुर स्स्थित हनुमान बिहारी टिकमानी के आवास पर अायोजित कथा क्रम में कहीं. उन्होंने कहा कि संसार में सबसे सुलभ व सबसे दुर्लभ परमात्मा है. वह अपने प्रेमियों से क्षण भर भी ओझल नहीं होते. भगवान से संबंध जुड़ जाये,
तो प्रत्येक क्षण उनकी कृपा की अनुभूति व भावनाओं की पूर्ति सहज ढंग से होने लगती है. इसलिए भक्त के जीवन में कोई आश्चर्यजनक घटना दिखायी दे, तो आश्चर्य नहीं करना चाहिए. नाभा जीने भक्तमाल में कहा है कि संतन की महिमा सुनत अचरज कोऊ जनी करो. इस मौके पर बिहारी लाल टिकमानी, रमेशचंद्र टिकमानी, मोतीलाल छापड़िया, बेनीमाघव चांदगोठिया, कैलाश नाथ भरतीया, प्रह्लाद शर्मा, रेवती रमण गोयनका, प्रदीप बंका, सज्जन शर्मा, पुरुषोत्तम लाल पोद्दार व बनवारी लाल ढंढारिया प्रमुख रूप से मौजूद थे.