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मरीज मरा, तो अस्पताल पर कार्रवाई

सख्ती सुविधाविहीन नर्सिंग होम पर प्रमंडलीय आयुक्त का बड़ा फैसला, मेिडकल बोर्ड को अिधकार मुजफ्फरपुर : आमतौर पर निजी नर्सिंग होम में इलाज के दौरान मरीज की मौत पर परिजन हंगामा करते हैं. ऐसी हर घटना के बाद यह बहस शुरू हो जाती है कि आखिर गलती किसकी है, चिकित्सकों की या फिर हंगामा करने […]

सख्ती सुविधाविहीन नर्सिंग होम पर प्रमंडलीय आयुक्त का बड़ा फैसला, मेिडकल बोर्ड को अिधकार

मुजफ्फरपुर : आमतौर पर निजी नर्सिंग होम में इलाज के दौरान मरीज की मौत पर परिजन हंगामा करते हैं. ऐसी हर
घटना के बाद यह बहस शुरू हो जाती है कि आखिर गलती किसकी है, चिकित्सकों की या फिर हंगामा करने वाले परिजनों की! गुरुवार को यह मामला आयुक्त अतुल प्रसाद की अध्यक्षता में प्रमंडलीय सभागार में आयोजित क्षेत्रीय गुणवत्ता यकीन समिति की बैठक में भी उठा.
आयुक्त ने सदस्यों से पूछा, यदि सुविधा के बिना किसी मरीज को नर्सिंग होम में भरती कर लिया जाता है
व इलाज के दौरान उसकी मौत हो जाती है, तो क्या उसे हत्या नहीं माना जाये! उन्होंने साफ किया कि यदि कोई ऐसा मामला सामने आता है, तो निश्चित तौर पर संबंधित नर्सिंग होम पर कार्रवाई होनी चाहिए. कार्रवाई का फैसला लेने का अधिकार मेडिकल बोर्ड को होगा.
बोर्ड समीक्षा करेगा कि उस नर्सिंग होम में संबंधित बीमारी के इलाज की सुविधा है या नहीं. बैठक में मरीजों को बहला-फुसला कर सरकारी की जगह निजी नर्सिंग होम में भरती करवाने का मामला भी उठा. सदस्यों का मानना था कि ऐसे मामलों में आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका पर भी सवाल उठाये. प्रमंडलीय आयुक्त ने निर्देश दिया कि ऐसे मामले की जानकारी मिलने पर दोषी चाहे निजी नर्सिंग होम हो, एंबुलेंस चालक हो या फिर कोई आशा कार्यकर्ता, उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. सदस्यों की शिकायत थी कि कई निजी नर्सिंग होम में कचरा निष्पादन की उचित व्यवस्था नहीं है. तो कई स्वास्थ्य सेवाओं के मापदंड को भी पूरा नहीं करते. आयुक्त ने इस पर नाराजगी जतायी.
‘पूरा वर्ष दिशा-निर्देश मांगने में ही बीता दिये’. बैठक में शिवहर जिला में आयरन, फॉलिक एसिड टेबलेट की किल्लत का मामला भी उठा. वहां के प्रतिनिधि ने बताया कि टेंडर नहीं होने के कारण इनकी खरीद नहीं हो सकी है. इस मामले में सरकार से दिशा-निर्देश मांगा गया है. प्रमंडलीय आयुक्त ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि सालभर आप दिशा-निर्देश ही मांगते रहें. सरकार का ऐसा संकल्प है कि निविदा नहीं होने पर बगल के जिले के दर पर भी सामग्री की खरीद की जा सकती है.

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