मुजफ्फरपुर: फर्जीवाड़े के कारनामे के कारण बिहार विवि का परीक्षा विभाग एक बार फिर चर्चाओं में है. इस बार विवि पीजी के एक निष्कासित छात्र को प्रथम श्रेणी से पास का अंक पत्र देने का मामला सामने आया है.
मामले का खुलासा होने के बाद फर्जीवाड़ा में शामिल परीक्षा विभाग के अधिकारी से लेकर कई कर्मियों तक का गला फंस गया है. हालांकि, फर्जीवाड़ा में शामिल परीक्षा विभाग के कर्मचारी खुद का गला फंसते देख मामले की लीपापोती में जुट गये हैं. यह मामला वीसी डॉ पंडित पलांडे के संज्ञान में आने के कारण दबाने के बजाय परत-दर-परत खुल रहा है. दरअसल, पीजी थर्ड सेमेस्टर अर्थशास्त्र विभाग के एक छात्र ने पांच सितंबर को हुई परीक्षा में पहले दिन ही नकल के आरोप में निष्कासित कर दिया गया था.
केंद्राधीक्षक ने प्रवेश पत्र भी जब्त कर लिया था. जब रिजल्ट निकला तो निष्कासित छात्र प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण पाया गया. विभाग के बाकी छात्रों की अपेक्षा उसे काफी अच्छे अंक मिले हैं. लेकिन साथी छात्रों को यह बात पच नहीं पायी. फोर्थ सेमेस्टर का फॉर्म भरने से पहले ही कुछ छात्रों ने इसकी शिकायत वीसी से कर दी. वीसी ने जब जांच शुरू करायी, तब मामले का खुलासा होने लगा.
सवालों के घेरे में परीक्षा विभाग
अब सवाल है कि जब छात्र पहले दिन ही निष्कासित हो गया, फिर बाकी परीक्षा में वह किस प्रवेश पत्र के आधार पर व कैसे बैठा? यदि नहीं बैठा तो फिर उसे सभी पत्रों में कैसे पास किया गया? विभाग से मिलने वाले बीस अंक को किस आधार पर दिया गया? इन सारे सवालों के अलावा कई सवाल उठ रहे हैं. परीक्षा नियंत्रक डॉ अजय कुमार ने कहा कि जांच में निष्कासन का बात सामने आयी है. वीसी के पास संचिका भेज कार्रवाई को लेकर दिशा-निर्देश मांगा जायेगा.