मुजफ्फरपुर : जिले में गंभीर अपराध के मामलों के स्पीडी ट्रायल की संख्या में लगातार हो रही कमी के मामले में नया विवाद शुरू हो गया है. एसएसपी विवेक कुमार ने मामले में पुलिस की शिथिलता को सिरे से खारिज कर दिया है. उल्टे आरोप लगाया है कि गवाहों की उपस्थिति सुनिश्चित कराने के बावजूद सिर्फ अगस्त माह में सात कांड के अभियुक्तों को जमानत मिल गयी है.
ऐसा तब हो रहा है, जब पुलिस प्रशासन की ओर से मामलों में गवाही के लिए तय तिथि को गवाहों को उपस्थित सुनिश्चित करायी जा रही है. उन्होंने जिला अभियोजन पदाधिकारी व लोक अभियोजक को पत्र लिख कर पूछा है कि बताएं, मामले में किसकी जिम्मेवारी सुनिश्चित की जा सकती है? साथ ही उन्हें बीते छह माह में धारा-309 के तहत कितने कांडों में आगे की कार्रवाई की गयी है, इसकी रिपोर्ट देने को कहा है.
दरअसल, बीते 20 अक्तूबर को अपराध अनुसंधान विभाग के अपर पुलिस महानिदेशक ने पत्र लिख कर जिले में स्पीडी ट्रायल के तहत अपराधियों की संख्या में निरंतर हो रही कमी पर आपत्ति जतायी थी व इसे काम में शिथिलता का परिणाम बताया था. एसएसपी इसी बात को लेकर नाराज हैं. पत्र में एसएसपी ने कहा है कि बीते जुलाई से अक्तूबर माह तक 66 मामलों में जिला एवं सत्र न्यायाधीश से स्पीडी ट्रायल चलाने की अनुमति मांगी गयी है. यही नहीं, इन मामलों में गवाही के लिए अलग-अलग तिथियों में 491 गवाहों को कोर्ट में उपस्थित कराया गया था.
इसमें से महज 301 गवाहों की ही गवाही करायी गयी.
मामला स्पीडी ट्रायल का
अगस्त माह में सात मामलों में मिल चुका है लाभ
एसएसपी ने जिला लोक अभियोजक पदाधिकारी व लोक अभियोजक को लिखा पत्र
पूछा, बताएं मामले में किसकी जिम्मेवारी सुनिश्चित की जा सकती है