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कचरे के ढेर पर बैठ कर दिलायेंगे स्वच्छता पुरस्कार!

केंद्र सरकार की पहल पर चल रहा स्वच्छ विद्यालय अभियान मुजफ्फरपुर : कहा जाता है कि किसी को बदलने से पहले खुद को भी सुधारना पड़ता है. शायद शिक्षा विभाग के अधिकारी इससे अनजान है. केंद्र सरकार की पहल पर स्वच्छ भारत-स्वच्छ विद्यालय अभियान चल रहा है. हैरानी की बात है कि मूर्त रूप देने […]

केंद्र सरकार की पहल पर चल रहा स्वच्छ विद्यालय अभियान

मुजफ्फरपुर : कहा जाता है कि किसी को बदलने से पहले खुद को भी सुधारना पड़ता है. शायद शिक्षा विभाग के अधिकारी इससे अनजान है. केंद्र सरकार की पहल पर स्वच्छ भारत-स्वच्छ विद्यालय अभियान चल रहा है. हैरानी की बात है कि मूर्त रूप देने की कार्ययोजना तैयार कर रहे शिक्षा विभाग के वरीय अधिकारी खुद कचरे के ढेर पर बैठ कर विद्यालयों को स्वच्छता पुरस्कार दिलाने के प्रयास में है. डीइओ कार्यालय के साथ ही बिहार शिक्षा परियोजना परिषद व अन्य विभागीय कार्यालय पूरी तरह अस्त-व्यस्त है. जरूरी अभिलेखों का रख-रखाव तो भगवान-भरोसे ही है, कहीं भी पेयजल की व्यवस्था नहीं है. और हां, शौचालय के मानक पर तो पूरी तरह फेल है.
स्वच्छता व सफाई के प्रति बच्चों को जागरूक करने वाले खुद ही सफाई के महत्व से अनजान है. वर्ग एक से आठ तक के स्कूलों में व्यवस्था सुधारने के लिए
प्लानिंग तैयार की गयी है. इसमें शौचालय, जल प्रबंधन, कचरा प्रबंधन सहित बाल संसद व शिक्षा समिति की सक्रियता पर मूल्यांकन के लिए 10 बिंदु तय किये गये हैं, जिस पर 100 अंक निर्धारित हैं.
शौचालय- मूत्रालय की व्यवस्था, शुद्ध पेयजल की आपूर्ति, जलनिकासी, चापाकल के पास जलजमाव, परिसर की साफ-सफाई व संसाधनों के रख-रखाव पर स्कोरिंग की जानी है. वैसे तो इसकी मॉनीटरिंग बिहार शिक्षा परियोजना को करनी है, लेकिन स्वच्छता के प्रति बच्चों व शिक्षकों को जागरूक करने का जिम्मा विभाग के सभी वरीय अधिकारियों को दी गयी है. इसके लिए बीइओ, बीआरपी व सीआरसीसी को प्रशिक्षण भी दिया गया है.
विभाग के प्रमुख दफ्तरों में गंदगी का अंबार, नहीं होती सफाई
यह है संयुक्त भवन में स्थित डीइओ के कार्यालय का हाल. मुख्य द्वार पर ही अघोषित थूकदान बना दिया गया है. गनीमत है गलियारे में हमेशा अंधेरा ही रहता है. गुटखा व पान खाकर लोग यहीं पर थूक देते हैं. कोई रोक-टोक नहीं. अंदर भी सबकुछ बिखरा हुआ ही है. बड़े से हॉल के एक हिस्से में पुरानी फाइलें बेतरतीब ढंग से रखी हुई है.
यह है गोशाला रोड स्थित बिहार शिक्षा परियोजना परिषद के कार्यालय के सामने का दृश्य है. खुले नाले की सड़ांध हवा के झोंके से कर्मचारियों के नाक में दम कर देती हैं. बरसात में और दिक्कत है. नाले को ढंकवाने की पहल शायद ही कभी हुई हो. अंदर परिसर में एक चापाकल व उसी के पास टंकी है, जहां बड़े-बड़े जंगली घास उग आये हैं.
शिक्षा विभाग की स्थापना शाखा का नजारा. परिसर में शौचालय नहीं होने से लोगों ने खुले में दीवार की आड़ में ही अघोषित शौचालय बना रखा है. वैसे तो स्वच्छता अभियान से इस कार्यालय का सीधे कोई लेना-देना नहीं है. यहां शिक्षकों का आना-जाना रहता है. सफाई के लिए उन्हें सीख दी जाती है, लेकिन इसको देखकर क्या सीखेंगे?

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