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सूरत-ए-हाल. आवास आवंटन में विवि ने किया जमकर गोलमाल

मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि को लेकर शुरू से ही विवादों में रहा है. आवास आवंटन के मामले में नियमों का उल्लंघन कर आवास आंवटित किए गए है. प्रोफेसर के आवासाें पर जनप्रतिनिधियों से सहित ठेकेदार व चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी अपना कब्जा जमाये हुए हैं. रीडर के आवास को शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के जिम्मे कर दिया […]

मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि को लेकर शुरू से ही विवादों में रहा है. आवास आवंटन के मामले में नियमों का उल्लंघन कर आवास आंवटित किए गए है. प्रोफेसर के आवासाें पर जनप्रतिनिधियों से सहित ठेकेदार व चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी अपना कब्जा जमाये हुए हैं. रीडर के आवास को शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के जिम्मे कर दिया गया है. इसकी वजह से विवि को वित्तीय नुकसान भी सहना पड़ रहा है. इसे लेकर विवि को काफी विरोध भी झेलना पड़ा, लेकिन विवि पर इसका कोई असर नहीं हुआ. जनप्रतिनिधियों ने तो विवि के आवासों में अच्छा खासा निर्माण भी करा लिया, लेकिन विवि उस पर कोई भी आपत्ति नहीं की.
हुआ था आमरण अनशन
संस्कृत विभाग के प्रोफेसर मनोज कुमार के आवास को विवि ने परीक्षा विभाग के एक कर्मचारी को सौंप दिया था. इस पर उन्होंने विवि के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए एक सप्ताह तक आमरण अनशन पर थे. इसके बाद विवि ने उनके आवास को फिर से आवंटित किया.
आवासीय भत्ता नहीं मिलता है. लेकिन इसके बाद भी प्रोफेसर और रीडर अपने वेतन से आवासीय भत्ता देते है. जिसके नाम से एलाटमेंट है, अगर उस आवास में वह नहीं रहता है तो विवि को इस पर कोई आपत्ति नहीं है.अब तक कोई शिकायत भी विवि के सामने आवास को लेकर नहीं आई है. अगर शिकायत मिलती है तो जांच कराई जाएगी. डॉ सतीश कुमार राय, प्राॅक्टर
केस नंबर एक
जूलॉजी विभाग के प्राेफेसर के नाम पर विवि ने आवास आवंटित किया. जबकि उनका खुद का मकान विवि से महज दो किलोमीटर की परिधि के कलम बाग चौक पर ही है. इसके बाद भी उन्हें आवास आंवटित कर दिया गया. जबकि आवास आवंटन में यह नियम है कि जिस प्रोफेसर का घर विवि के तीन किलोमीटर की परिधि के अंदर हैं, उनको विवि आवास आवंटित नहीं कर सकता है. मजे की बात यह है कि इन्होंने अपने आवास एक बड़े जनप्रतिनिधि को सौंप दिया है. जिन्होंने विवि के आवास में निर्माण भी करा लिए.
केस नंबर दो
रीडर क्वाटर बी-टाइप के आवास में परीक्षा विभाग के एक कर्मी को विवि ने सौंप दिया है. जबकि कर्मी संविदा पर तैनात है. इसी तरह एक प्रोफेसर के आवास को पेंट्रीकार कंस्ट्रशक्शन के एक ठेकेदार को दे दिया है. मामला यही नहीं रूकता कई ऐसे शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को भी विवि ने रीडर के आवास आवंटित कर रखे है. कुछ ऐसे भी है, जिनके अपने मकान शहर में है और उनको भी आवास आवंटित कर दिया गया है. और वह लोग किराये पर आवास को दे रखे है.

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