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गेहूं- मक्का की फसल पर सैनिक कीट का खतरा

गेहूं- मक्का की फसल पर सैनिक कीट का खतरा मुजफ्फरपुर, दरभंगा, समस्तीपुर और मधुबनी में बरबादी की आशंका एक जगह से दूसरे स्थानों की दूरी तय करने में लगाते कम समय दरभंगा के इंस्पेक्टर ने हनुमान नगर में सैनिक कीट होने की दी थी जानकारी यहां से बंदरा होते हुए जिले के कई और प्रखंडों […]

गेहूं- मक्का की फसल पर सैनिक कीट का खतरा मुजफ्फरपुर, दरभंगा, समस्तीपुर और मधुबनी में बरबादी की आशंका एक जगह से दूसरे स्थानों की दूरी तय करने में लगाते कम समय दरभंगा के इंस्पेक्टर ने हनुमान नगर में सैनिक कीट होने की दी थी जानकारी यहां से बंदरा होते हुए जिले के कई और प्रखंडों में हो सकता है हमलावरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुरगेहूं और मक्का की फसल पर सैनिक कीट का खतरा मंडरा रहा है. पिछले वर्ष की तरह दोनों फसलों को यह कीट फिर से बरबाद कर सकते हैं. सैनिक कीट फिर से दरभंगा जिले के हनुमान नगर प्रखंड में सैनिक कीट देखा गया है. दरभंगा से हनुमान नगर प्रखंड होते हुए बंदरा, कटरा, गायघाट, मुरौल व सकरा में लगी फसलों पर आक्रमण बोल सकते हैं. संयुक्त निदेशक पौधा संरक्षण, पटना डॉ प्रभात कुमार ने सैनिक कीट के हमले को लेकर मुजफ्फरपुर, दरभंगा, समस्तीपुर और मधुबनी जिले के पौधा संरक्षण विभाग के सहायक निदेशक और कृषि विभाग के अधिकारियों काे अलर्ट करा दिया है. अधिकारी बोले, कीटों के बढ़ने का अनुकूल मौसम जेडीए पौधा संरक्षण डॉ प्रभात कुमार ने बताया कि दरभंगा के हनुमान नगर प्रखंड से स्थानीय इंस्पेक्टर ने सैनिक कीट होने की जानकारी दी है. इसके बाद चारों जिलों से हर दिन रिपोर्ट ले रहे हैं. अधिकारियों काे इस कीट से बचाव के लिए कीटनाशी दवाओं की जानकारी भी दे दी गई है. सहायक निदेशक पौधा संरक्षण देवनाथ प्रसाद बताते हैं कि अभी आसमान में बादल लगे हैं. उमस भरी गरमी है. ऐसे में इस कीट के बढ़ने का बड़ा अनुकूल मौसम है. किसानों को गेहूं को बचाने के लिए अलर्ट रहना होगा. वैसे सभी प्रखंडों में इसकी जांच करा रहे हैं. किसानों को सलाह भी दी जा रही है. इन दवाओं का करें छिड़काव अधिकारियों का कहना है कि यह कीट मिट्टी के ढेलों, खर-पतवार में छिपे रहते हैं. रात में निकलकर हरी-भरी फसलों को खाते हैं. यह काफी तेजी से फसलों को खाते हैं. विभाग ने सैनिक कीट से बचाव के लिए किसान क्लोरोपाइरीफॉस 20 प्रतिशत ईसी 2.5 एमएल प्रति लीटर पानी में, प्रोफेनोफॉस 40 प्रतिशत और साइपरमेथ्रीन 4 प्रतिशत ईसी 1.5 एमएल प्रति लीटर पानी में, क्लोरोपाइरीफॉस 50 प्रतिशत के साथ साइपर मेथरीन 5 प्रतिशत ईसी 1.5 एमएल प्रति लीटर पानी, लेम्डासाइलो हेलेथ्रीन 5 प्रतिशत ईसी एक एमएल प्रति लीटर पानी में, डायक्लोरभॉस 76 प्रतिशत ईसी 1 एमएल दो लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करने की अपील किसानों की है. सैनिक कीट को पक्षी बनायेगा भोजन किसान प्रारंभिक तौर पर इस कीट से बचाव के लिए कई और रास्ता अपना सकते हैं. अपने-अपने मेड़ पर, खेत के बीच में जगह-जगह पुआल का छोटा-छोटा ढेर लगा कर रख दें. धूप में सैनिक कीट छाया की खोज में इस पुआल में छिप जायेंगे. शाम को इन पुआल को एकत्र कर जला दें. जगह-जगह अंगरेजी के टी आकार का बर्ड पर्चर लगाना चाहिए. ताकि पक्षी इस पर बैठकर पिल्लुओं को अपना भोजन बना सके. दवा का छिड़काव प्रात:काल और देर शाम करना बेहतर होगा. खेत के चारो ओर पहले छिड़काव करते हुए पूरे खेत में छिड़काव करना अच्छा होगा. जो फसल बढ़वार अवस्था में हैं. उस खेत में सिंचाई करके भी इस कीट का नियंत्रित किया जा सकता है. क्योंकि यह कीट रेंगते हुए एक खेत से दूसरे खेतों में जाते हैं. सिंचाई के साथ पानी में क्लोरोपाइरीफॉस 20 ईसी मिलाना बेहतर होगा. पिछले वर्ष 10 प्रखंड की फसल को किया था तबाह सैनिक कीट पिछले वर्ष एक दो नहीं 10 प्रखंड की फसलों को तबाह कर दिया था. गेहूं व मक्का को चट करने के बाद गन्ना को भी नहीं छोड़ा. सभी फसलों की कोमल पत्तियों को चट कर गया. किसान, अधिकारी व वैज्ञानिक कीटनाशक दवाओं का प्रयोग करते रहे, लेकिन सैनिक कीट के आगे सभी पस्त कर गये हैं. बंदरा, सकरा, कटरा, औराई, गायघाट, बोचहां, मुरौल, कुढ़नी, मीनापुर, मुशहरी प्रखंड में गेहूं, मक्का के साथ गन्ना भी बरबाद हुए थे.

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