मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि में परीक्षा नियंत्रक स्नातक की परीक्षा से संबंधित संचिकाएं अब सीधे कुलपति कार्यालय नहीं भेज सकेंगे. वहां भेजने से पूर्व अब उस पर प्रतिकुलपति की अनुशंसा अनिवार्य होगी. कुलपति डॉ रवि वर्मा ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है. माना जा रहा है कि यह फैसला पिछले दिनों स्नातक पार्ट वन की कॉपियों की जांच के लिए मूल्यांकन निदेशक की नियुक्ति व परीक्षा केंद्र के निर्धारण को लेकर हुए विवाद को देखते हुए लिया गया है.
विवि की सबसे बड़ी फजीहत स्नातक पार्ट वन परीक्षा की कॉपियों की जांच के लिए मूल्यांकन निदेशक बनाये जाने को लेकर हुआ था. परीक्षा नियंत्रक की अनुशंसा पर स्नातक विषयों की कॉपी जांच के लिए पहले वाणिज्य कॉलेज पटना के एक शिक्षक को मूल्यांकन निदेशक नियुक्त किया गया था.
निर्णय के आलोक में कॉपियों को पिकअप वैन में लाद कर पटना ले जाया भी जा रहा था. पर ऐन मौके पर कुलपति को जानकारी मिली कि जिस शिक्षक को मूल्यांकन निदेशक बनाया गया है, वे पूर्व में विवादित रह चुके हैं. इसके बाद कॉपियों को वापस मंगा लिया गया.
बदलना पड़ा निदेशक को
बाद में दूसरे शिक्षक को उन कॉपियों की जांच के लिए मूल्यांकन निदेशक बनाया गया. इसी तरह स्नातक पार्ट वन की सब्सिडयरी विषय की कॉपियों की जांच के लिए विवि राजनीति विभागाध्यक्ष डॉ बीके सिन्हा को मूल्यांकन निदेशक बनाया गया. पर पूर्व में उनके विवादित रहने के कारण कुलपति को अंतिम क्षणों में उन्हें बदल कर वाणिज्य विभागाध्यक्ष डॉ शिवजी सिंह को मूल्यांकन निदेशक नियुक्त करना पड़ा. डॉ बीके सिन्हा की नियुक्ति परीक्षा नियंत्रक डॉ अरुण कुमार सिंह की अनुंशसा पर की गयी थी.
इस मामले में कुलपति ने उनसे रिपोर्ट भी तलब किया था. यही नहीं पिछले दिनों परीक्षा नियंत्रक व राजदेव राय डिग्री कॉलेज किरतपुर के प्रबंधकों के बीच स्नातक पार्ट वन की प्रायोगिक परीक्षा के लिए बनाये गये परीक्षा केंद्र के बदलाव के लिए विवाद हुआ था. इस मामले में कुलसचिव डॉ विवेकानंद शुक्ला को विवि थाना में प्राथमिकी भी दर्ज करानी पड़ी थी.