मुजफ्फरपुर : दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकी संगठन आइएस के निशाने पर एशिया प्रसिद्ध सोनपुर मेला है. माह भर चलनेवाले मेले के दौरान आइएस आतंकी किसी बड़ी घटना को अंजाम दे सकते हैं. इसकी आशंका स्पेशल ब्रांच ने जतायी है. इसके अलावा मेले को पाकिस्तान समर्थित आतंकियों व माओवादियों ने भी खतरा बताया गया है. इससे संबंधित पत्र सारण व मुजफ्फरपुर के आलावा अधिकारियों को स्पेशल ब्रांच के एडीजी की ओर से भेजा गया है.
एडीजी ने खासतौर से वैशाली व सारण के डीएम व एसपी को मेला की सुरक्षा के पुख्ता तैयारी करने का निर्देश दिया है. साथ ही तिरहुत व सारण प्रमंडल के सभी आला अधिकारियों को हर स्थिति से निबटने के लिए अलर्ट रहने को कहा है.
मेला क्षेत्र में मेटल डिटेक्टर, सीसीटीवी कैमरा व एनटी सबोटेज जांच की व्यवस्था करने को कहा है. इधर, सोनपुर मेला में माओवादी हमले की आशंका भी स्पेशल ब्रांच की ओर से जतायी गयी है. एडीजी ने पत्र में बताया है कि वैशाली व मुजफ्फरपुर जिला उग्रवाद प्रभावित हैं. उग्रवादी संगठन के उत्तर बिहार पश्चिम जोनल कमेटी इस क्षेत्र में सक्रिय है. हाल के दिनों सोनपुर के आस-पास क्षेत्रों में उग्रवादी गतिविधि देखी जा रही हैं. मेला क्षेत्र के पास से होकर गंडक नदी बहती है, जिसके दियारा में माओवादियों की ओर से गुप्त बैठक की सूचनाएं आती रहती है. इस इलाके में माओवादियों का मूवमेंट भी रहता है.
वैशाली पर रखें विशेष नजर . स्पेशल ब्रांच की ओर से माओवादी खतरे को देखते हुये वैशाली कुछ क्षेत्रों में विशेष चौकसी की निर्देश दिया गया है. इसमें वैशाली जिले के सदर, सराय, लालगंज, कठहरा ओपी, भगवानपुर, देशरी, वैशाली, बलीगांव, तिसौठा, सहदेई बुजुर्ग, बेलसर, महनार, राजा पाकड़, गोरौल, पातेपुर, महुआ, जनदाहा क्षेत्र को काफी संवेदनशील बताया गया है. इन क्षेत्रों में सुरक्षा बलों को पैनी नजर रखने को कहा गया है. कच्ची सड़कों पर लैंड माइंस के बिछे होने की आशंका जतायी गयी है.
थियेटरों पर बरतें सख्ती. पत्र में मेला में लगने वाले थियेटरों पर सख्ती बरतने का निर्देश दिया गया है. इनमें आपराधिक व असमाजिक तत्वों के जुटने की संभावना व्यक्त करते हुए कहा गया है कि थियेटरों में आने जाने वाले लोगों पर विशेष निगरानी रखें. भीड़ जुटाने को लेकर थियेटर संचालक ईल कार्यक्रम आयोजित करते हैं, तो उन पर कड़ी कार्रवाई की जाये.
देश-विदेश से आते हैं पर्यटक . सोनपुर मेला गंगा व गंडक के संगम के किनारे हरिहरनाथ मंदिर के पास लगता है. ये केवल एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला ही नहीं है, बल्कि धार्मिक आस्था व श्रद्धा का केंद्र भी है. मेले देश के विभिन्न स्थानों से लोग तो आते ही हैं. साथ ही विदेशी पर्यटक भी मेला देखने के लिए पहुंचते हैं.