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सिस्टम हो दुरुस्त, नहीं डूबेगा शहर

देवेश कुमार मुजफ्फरपुर : सिस्टम दुरुस्त हो, तो हमारा शहर हर साल हल्की सी बारिश में नहीं डूबेगा. स्थिति ये है कि बनने के बाद शहर के बड़े नालों की सफाई आज तक नहीं करायी गयी. ड्रेनेज सिस्टम का प्लान पांच साल से बन रहा है, लेकिन इस पर अमल अब तक नहीं हो सका […]

देवेश कुमार
मुजफ्फरपुर : सिस्टम दुरुस्त हो, तो हमारा शहर हर साल हल्की सी बारिश में नहीं डूबेगा. स्थिति ये है कि बनने के बाद शहर के बड़े नालों की सफाई आज तक नहीं करायी गयी. ड्रेनेज सिस्टम का प्लान पांच साल से बन रहा है, लेकिन इस पर अमल अब तक नहीं हो सका है, जो नाले व नालियां बनते हैं. वो सड़क से ऊंचे बना दिये जाते हैं, जिससे उनसे पानी नहीं बहता है, लेकिन उनसे टकरा कर लोग चोट जरूर खाते हैं.
अगर नालियों में पानी चला जाता है, तो उसी में सड़ता रहता है. ये सिलसिला लगातार जारी है. अभी भी शहर में ऐसे कई नालों व नालियों का निर्माण हो रहा है, जो सड़क से ऊंचे हैं, लेकिन उस पर किसी जिम्मेवार की नजर नहीं है.
प्रस्ताव नहीं आयेगा काम
2010 में नगर निगम ने जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीनीकरण मिशन (जेएनएनयूआरएम) के तहत शहर में ड्रेनेज सिस्टम के लिए डीपीआर तैयार किया था. इसमें 121 करोड़ रुपये खर्च कर शहर की ड्रेनेज सिस्टम ठीक करना था. प्रस्ताव को सीएम नीतीश कुमार की घोषणा के बाद 2010 में मंजूरी के लिए राज्य सरकार को भेजा गया, लेकिन चार सालों तक नगर विकास एवं आवास विभाग के पास ही प्रस्ताव लंबित रह गया.
2014 में जब शहर में जलजमाव की भीषण समस्या हुई. शहरवासियों ने हल्ला-हंगामा किया, तब राज्य सरकार डीपीआर को मंजूरी देते हुए राशि के लिए केंद्र को प्रस्ताव भेज दिया, जो अब तक लंबित है, हालांकि जेएनएनयूआरएम को खत्म कर दिया है. इस कारण प्रस्ताव भी ठंडा बस्ता में चला गया है.
शहर डूबने की ये है प्रमुख वजह
अपने शहर का कोई बेंच मार्क नहीं तय किया गया है, जिसको नालों व सड़कों के निर्माण का पैमाना मानें, जबकि ये किसी भी शहर के विकास के लिए जरूरी होता है. अपने यहां नाले की डिजाइन यू आकार की है, जबकि होनी वी आकार की चाहिए, ताकि उसकी तलहटी में सिल्ट ज्यादा नहीं जमे.
वी आकार का नाला रहने पर उसमें पानी के बहाव से सेल्फ क्लीनिंग प्रक्रिया चलती रहती है, जबकि यू आकार का नाला होने की वजह से सिल्ट ज्यादा जमता है. अपने यहां संप हाउस व साइफन का निर्माण भी सब जगह पर नहीं किया गया है, इससे भी परेशानी हो रही है.
यहां होती है सबसे ज्यादा परेशानी
मिठनपुरा के मदनानी गली, एमडीडीएम कॉलेज के समीप, जुब्बा सहनी पार्क व आसपास के इलाके में, चकबासु लेन, हरिसभा चौक, देवी मंदिर व एलआइसी कार्यालय के आसपास के मुहल्ले में, चतुभरुज स्थान चौक, जेल चौक, मोतीझील, कल्याणी, स्टेशन रोड, इस्लामपुर, सुतापट्टी, सिकंदरपुर बूढ़ी गंडक नदी किनारे बसे मुहल्ले में, चंदवारा, गन्नीपुर, सादपुरा, अघोरिया बाजार, आमगोला आदि इलाका शामिल है.
निगम हारा, तो मशीन बनी सहारा
शहर के जाम नालों की उड़ाही में नगर निगम फेल हो गया. प्रत्येक वर्ष नाला उड़ाही पर लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी नगर निगम जलजमाव से शहरवासी को निजात नहीं दिला सका, लेकिन दिल्ली से किराये पर मंगाये गये सुपर सकर मशीन ने एक सप्ताह की सफाई में ही शहरवासी को पानी की समस्या से निजात दिला दिया. नगर निगम इसके एवज में करीब पच्चीस लाख रुपये खर्च किया है.

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