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स्मार्ट सिटी: पटना से आगे मुजफ्फरपुर
मुजफ्फरपुर : स्मार्ट सिटी को लेकर स्वघोषित स्कोर कार्ड में पटना के निचले पायदान पर जाने के साथ अपने शहर के स्मार्ट सिटी में शामिल होने का रास्ता साफ दिख रहा है. पटना नगर निगम ने चालू योजनाओं के आधार पर खुद से जो स्कोर कार्ड बनाया है, उसमें 100 में से 45 नंबर दिया […]
मुजफ्फरपुर : स्मार्ट सिटी को लेकर स्वघोषित स्कोर कार्ड में पटना के निचले पायदान पर जाने के साथ अपने शहर के स्मार्ट सिटी में शामिल होने का रास्ता साफ दिख रहा है. पटना नगर निगम ने चालू योजनाओं के आधार पर खुद से जो स्कोर कार्ड बनाया है, उसमें 100 में से 45 नंबर दिया है. जबकि, मुजफ्फरपुर नगर निगम ने 100 में 85 नंबर का स्कोर कार्ड बनाकर प्रस्ताव सरकार को भेजा है. सूत्रों के मुताबिक अन्य नगर निगमों ने भी मुजफ्फरपुर से कम अंक का स्कोर कार्ड बना सौंपा है.
हालांकि, यह तब संभव होगा, जब नगर निगम की ओर से स्वघोषित जनसुविधाओं से जुड़े स्कोर कार्ड में जो नंबर दिये गये हैं, उसकी सत्यता की जांच में निगम पास होगा. सोमवार को नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव अमृत लाल मीणा खुद बारी-बारी से स्कोर कार्ड पर दिये अंकों की जांच करेंगे. इसके लिए नगर आयुक्त को उनके नगर निगम क्षेत्र में चल रही सभी योजनाओं से जुड़े दस्तावेज के साथ बुलाया गया है.
प्रधान सचिव की निगरानी में होने वाली परीक्षा में नगर निगम जब पास करेगा, तब इसकी सूची मुख्यमंत्री के पास भेजी जायेगी. इसके बाद राज्य के तीन शहर को स्मार्ट सिटी के लिए चयनित कर सीएम केंद्र सरकार को भेजेंगे. बताया जाता है कि तीन अगस्त को केंद्र सरकार इस मुद्दे पर फैसला लेगी.
मुजफ्फरपुर : शहर के सौंदर्यीकरण व आम नागरिकों की सुविधा को बढ़ाने के लिए नगर निगम भी अब तीन एकड़ जमीन का आदान-प्रदान नि:शुल्क कर सकता है. बशर्ते जमीन देने व लेने वाले विभागों के बीच आपसी सहमति होती है. इसके बाद जमीन लेने व देने वाले विभाग को सिर्फ जिलाधिकारी से अनुमति लेनी होगी.
राज्य सरकार ने अन्य विभागों की तर्ज पर अब नगर निकायों में भी इस सिस्टम को लागू कर दिया है. सरकार की नयी नीति से मुजफ्फरपुर नगर निगम को आने वाले समय में काफी फायदा हो सकता है. केंद्र सरकार के वर्ष 2022 तक शहरी इलाके में रहने वाले बेघरों को घर देकर बसाने की योजना को सभी सफल बनाया जा सकता है.
इसके अलावा शहर के बीचों-बीच घनी आबादी वाले इलाके में राज्य सरकार के अधीन आने वाले विभागों के जमीन खाली पड़े है. उसको संबंधित विभाग से सहमति के बाद निगम अपने अधीन लेकर उसमें पार्क बना शहरवासी को नगरीय सुविधा उपलब्ध करा सकता है.
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