मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि के केंद्रीय पुस्तकालय को यूजीसी के इन्फॉर्मेशन एंड लाइब्रेरी नेटवर्क (इनफिलिबनेट) से जोड़ने के लिए सोलह साल पूर्व ही पहल शुरू हो गयी थी. इसके लिए यूजीसी ने विवि प्रशासन को पहली किस्त के रू प में 1999 में ही 1.70 हजार रुपये मुहैया भी करा दी गयी थी. पर विवि […]
मुजफ्फरपुर: बीआरए बिहार विवि के केंद्रीय पुस्तकालय को यूजीसी के इन्फॉर्मेशन एंड लाइब्रेरी नेटवर्क (इनफिलिबनेट) से जोड़ने के लिए सोलह साल पूर्व ही पहल शुरू हो गयी थी. इसके लिए यूजीसी ने विवि प्रशासन को पहली किस्त के रू प में 1999 में ही 1.70 हजार रुपये मुहैया भी करा दी गयी थी. पर विवि प्रशासन इससे अनजान था.
यही कारण है कि अगस्त में होने वाले नैक की तैयारी के तहत केंद्रीय पुस्तकालय को इनफिलिबनेट से जोड़ने के लिए नये सिरे से पहल भी शुरू कर दी गयी. लेकिन जब यूजीसी से प्राप्त राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र भेजने के लिए जब संचिकाओं को खंगाला गया तो इस बात का खुलासा हुआ. यूजीसी ने दसवीं पंचवर्षीय योजना के तहत केंद्रीय पुस्तकालय को इनफिलिबनेट से जोड़ने के लिए कुल 6.5 लाख रुपये स्वीकृत किये थे.
मामला का खुलासा होने के बाद विवि प्रशासन ने यूजीसी से प्राप्त 1.70 लाख रुपये की राशि की खोजबीन शुरू कर दी है. मंगलवार को केंद्रीय पुस्ताकलय के प्रोफेसर इंचार्ज डॉ प्रसून कुमार राय को विवि बुलाया गया और उन्हें यूजीसी से प्राप्त राशि से संबंधित संचिकाएं दिखायी गयी. यूजीसी के पत्र में उन्हें इनफिलिबनेट का प्रशासक बताया गया है. हालांकि उन्होंने इस संबंध में कुछ भी जानकारी होने से इनकार कर दिया.
जांच के क्रम में पता चला कि इलफिलिबनेट के लिए राशि तो मिली, लेकिन अभी तक इसके लिए कोई पहल नहीं हुई है. ऐसे में संभावना जतायी जा रही है कि यूजीसी से प्रथम किस्त के रू प में मिली 1.70 लाख रुपये की राशि अभी भी विवि के खाते में ही है. विवि कार्यालय के अधिकारी व कर्मचारी देर शाम तक इसका पता लगाने में जुटे रहे.
यह है योजना का उद्देश्य
इनफिलिबनेट यूजीसी का स्वायत्त अंतर विवि केंद्र है. यह गुजरात में स्थापित है. इसके माध्यम से कॉलेज, यूजीसी सूचना केंद्रों, व देश के महत्वपूर्ण संस्थानों के लाइब्रेरी को एक साथ जोड़ा जाता है. जिससे छात्र-छात्रएं इंटरनेट के माध्यम से एक-दूसरे के संस्थानों की लाइब्रेरी में उपलब्ध पुस्तक, जर्नल, शोध पत्र को पढ़ कर लाभ उठा सकते हैं. विवि या कॉलेज के लाइब्रेरी को इनफिलिबनेट से जोड़ने का प्रस्ताव स्वीकृत होने पर यूजीसी उन्हें एक निश्चित राशि मुहैया कराती है. इस राशि का उपयोग कंप्यूटर, मोडेम, टेलीफोन, प्रिंटर, एसी, सॉफ्टवेयर आदि की खरीद में करना होता है. इनफिलिबनेट के स्थापना के पांच साल बाद तक यूजीसी विवि या कॉलेज को राशि उपलब्ध कराती रहती है, ताकि इसे चालू अवस्था में रखा जा सके. इसका मकसद कैंपस में आइटी के प्रचार-प्रसार के लिए वातावरण तैयार करना है.