मुजफ्फरपुर: शहर के नया टोला निवासी एक व्यक्ति से जब यह जानने की कोशिश की गयी कि क्या आपके आसपास कोई सरकारी विद्यालय है, तो उन्होंने कहा कि आगे जो दुकान देख रहे हैं, वहां जाकर पूछ लीजिए. वहीं सही-सही बता पायेगा. यह हालात शहर के अधिकांश वार्ड का है जहां लोग अपने वार्ड में […]
मुजफ्फरपुर: शहर के नया टोला निवासी एक व्यक्ति से जब यह जानने की कोशिश की गयी कि क्या आपके आसपास कोई सरकारी विद्यालय है, तो उन्होंने कहा कि आगे जो दुकान देख रहे हैं, वहां जाकर पूछ लीजिए. वहीं सही-सही बता पायेगा. यह हालात शहर के अधिकांश वार्ड का है जहां लोग अपने वार्ड में सरकारी विद्यालय है या नहीं, इसके बारे में भी नहीं जानते. जबकि नया टोला में वर्षो से मध्य विद्यालय है.
शहर के पक्की सराय, रामदयालु, माड़ीपुर में जब जाकर लोगों से जानने की कोशिश की गयी तो दस में आठ लोग सरकारी स्कूल के बारे में अनजान की तरह बात करते रहे.
शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार के लिए शिक्षा विभाग की ओर से हर साल नयी योजनाओं को लागू किया जाता है. विभाग की कोशिश है कि प्रत्येक मोहल्लों के बच्चे सरकारी शिक्षा का लाभ उठा सकें. लेकिन रोचक बात यह है कि शहरी क्षेत्र में रहने वाले अभिभावक सरकारी स्कूल के बारे में ज्यादा नहीं जानते. हालात यह है कि उनके मोहल्ले व आसपास में सरकारी विद्यालय है या नहीं, इस बात से भी अभिभावक अनजान हैं.
शिक्षा विभाग के आकड़ों के अनुसार प्राथमिक, मध्य व हाइस्कूल को मिलाकर नगर क्षेत्र में कुल 105 स्कूल हैं. उसके बावजूद लोग इक्का-दुक्का चर्चित हाइस्कूल को मुश्किल से जानते हैं. वहीं निजी स्कूल की बात की जाये तो नगर क्षेत्र से बाहर जो भी स्कूल हैं, उसके बारे में अभिभावक बखूबी जानते हैं.
सरकारी स्कूलों में है इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी
रामदयालु निवासी प्रतिभा कुमारी का कहना है कि शहर के अधिकांश सरकारी विद्यालयों के पास भवन नहीं है. खेल का मैदान नहीं है. शिक्षा के अधिकार के तहत सरकारी विद्यालयों में बच्चों की सुविधाओं के नाम पर कुछ भी नहीं है. मिठनपुरा क्लब रोड निवासी अभिभावक मनोज कुमार ने कहा कि यदि सरकारी विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था मानक के अनुरूप हो जाये तो, निजी विद्यालयों से शोषित होने से अभिभावक बच जायेंगे.