मुजफ्फरपुर: जिले में एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम से बचाव के लिए बुधवार को जिला स्तर पर टीम का गठन किया गया है. इसके तहत 3718 पोलियो कर्मी घर-घर जाकर बीमारी से बचाव की जानकारी देंगे. प्रत्येक घरों में वह बीमारी के लक्षण व बचाव के तरीकों को पढ़ कर सुनाएंगे. साथ ही इससे सबंधित हैंडबिल भी देंगे.
इसकी निगरानी के लिए ब्लॉक हेल्थ मैनेजर व अन्य स्वास्थ्यकर्मी होंगे. इसके अलावा प्रत्येक पीएचसी में प्रभारियों के नेतृत्व में डॉक्टर व सामाजिक कार्यकर्ताओं की टीम बनायी गयी है. सिविल सजर्न डॉ ज्ञान भूषण ने कहा कि एक से सात मई तक प्रत्येक घर में जागरूकता कार्यक्रम चलेगा.
सदर अस्पताल में बनी टीम
सदर अस्पताल में बीमारी से लड़ने के लिए डॉक्टरों की टीम बनायी गयी है. अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ अभिषेक कुमार, डॉ विमलेश कुमार के अलावा सरैया से मेडिसीन विभाग के डॉक्टर नवीन कुमार को अस्पताल में प्रतिनियुक्त किया गया है. सीएस डॉ भूषण ने कहा कि उनकी कोशिश है कि संविदा पर नियुक्त होने वाले 21 डॉक्टरों को भी एक सप्ताह के अंदर बहाल कर लिया जाए. इसके लिए संचिका डीएम को भेजी गयी है. उनमें से दो डॉक्टर शिशु रोग विशेषज्ञ हैं. इससे सदर अस्पताल में पांच डॉक्टरों की सेवा मिल पायेगी.
आयेगी एनसीडीसी की टीम
दिल्ली से एनसीडीसी की टीम इसी सप्ताह शहर में पहुंचेगी. वह पिछली बार प्रभावित रहे क्षेत्रों का दौरा करेगी. साथ ही वहां की मिट्टी व पानी की भी पड़ताल करेगी. जानकारी हो कि इस वर्ष बीमारी से पूर्व तीसरी बार टीम यहां पहुंच रही है. इससे पूर्व दो बार टीम यहां से बीमार बच्चों व क्षेत्र का डाटा लेकर गयी थी. इस बार टीम प्रभावित क्षेत्रों के मुआयना के साथ क्षेत्र का तापमान व वहां के परिवारों के रहन सहन का भी जायजा लेगी.
ओआरएस का आया पैकेट
स्टेट टास्क फोर्स की अनुशंसा पर जिले में एक लाख ओआरएस पैकेट मंगाये गये हैं. ये पैकेट ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में वितरित किये जाएंगे. स्टेट टास्क फोर्स ने इलाज के लिए जो प्रारूप बनाया है. उसमें ओआरएस घोल देने की बात कही गयी है. यदि पीड़ित बच्च पीने में सक्षम हो तो उसे तुरंत ओआरएस का घोल देने का निर्देश दिया गया है. सीएस ने कहा कि ओआरएस घोल डायरिया के लिए भी जरूरी है. अस्पताल व पीएचसी में इसकी कमी नहीं होगी.