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आलू में निकौनी व पटवन के बाद करें इंडोफिल का छिड़काव

वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर ठंड पड़ने के साथ ही आलू की फसल पर झुलसा रोग का खतरा मंडराने लगा है. इसके बचाव के लिए उपाय करना काफी जरू री है. किसान एक माह पहले रोपे गये आलू में निकौनी करें. निकौनी के बाद प्रति हेक्टेयर 75 किलो नेत्रजन का छिड़काव कर मिट्टी चढ़ा दें. ठंड से […]

वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर ठंड पड़ने के साथ ही आलू की फसल पर झुलसा रोग का खतरा मंडराने लगा है. इसके बचाव के लिए उपाय करना काफी जरू री है. किसान एक माह पहले रोपे गये आलू में निकौनी करें. निकौनी के बाद प्रति हेक्टेयर 75 किलो नेत्रजन का छिड़काव कर मिट्टी चढ़ा दें. ठंड से बचाव के लिए जरू रत के अनुसार हल्की सिंचाई करें. अगात झुलसा रोग से बचाव के लिए दो से ढाई ग्राम इंडोफिल एम 45 फफूंदनाशक दवा का प्रति लीटर लीटर पानी में घोल कर छिड़काव कर दें. ताकि, आलू की फसल को नुकसान नहीं हो. पिछात राई की बुआई जल्दी समाप्त कर दें. एक माह पहले बोयी गयी तोरी-राई की फसल में निकौनी व बछनी कर दें. साथ ही, जरूरत के अनुसार सिंचाई देकर 30 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से नेत्रजन का प्रयोग छिड़काव कर दें. समय से बोई जाने वाली गेहूं की बोआई 10 दिसंबर तक कर लें. विलंब से बोयी जाने वाली गेहूं की किस्मों की बुआई के लिए खेत की तैयारी करे. बिलंब से बोआई के लिए पीबीडब्ल्यू 373, डीबीडब्ल्यू 14, एचपी 1744, एचडी 2643, एन डब्ल्यू 2036 व एच डब्ल्यू 2045 किस्में इस क्षेत्र के लिए बेहतर हैं. बोरों धान के लिए बीज नर्सरी के स्थान का चुनाव कर लें. वैसे स्थानों को प्राथमिकता दें, जहां पानी का जमाव होता है. नर्सरी के लिए चयनित जमीन की मिट्टी भारी होनी चाहिए. बोरो धान की बुआई के लिए गौतम, राजेंद्र भगवती, आरएयू 3055 किस्म इस क्षेत्र के लिए बेहतर उत्पादन देने वाले साबित हो सकते हैं. पशुओं को रात में खुले स्थान पर नहीं रखें. खाने में एक चम्मच नमक का मिश्रण सुबह शाम दें.

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