मुजफ्फरपुर: साइंस एंड टेक्नोलॉजी के निदेशक सह एमआइटी के प्राचार्य डॉ धुव्र प्रसाद को दबोचने के लिए निगरानी टीम ने रविवार की दोपहर 11 बजे ही सारा प्लान तैयार कर लिया था. पटना साहिब ग्रुप ऑफ कॉलेज के प्रशासक चरणजीत सिंह को घूस की रकम प्राचार्य को देते ही निगरानी एसपी उपेंद्र प्रसाद सिंह के मोबाइल पर मिस कॉल करना था. इस कोड वर्ड का मतलब था कि डेढ लाख रुपये की डिलीवरी हो गयी है. निगरानी कार्यालय में प्राचार्य के आवास के इर्द-गिर्द का पूरा नक्शा जान कर अंधेरा होते ही शाम सात बजे के लगभग 34 सदस्यीय निगरानी टीम एमआइटी स्थित उनके आवास के पास पहुंच गयी थी.
छापेमारी की किसी को भनक नहीं लगे, इसलिए निगरानी एसपी सहित पटना से आयी गाड़ियों को लगभग एक किमी दूर खड़ा किया गया था. निगरानी एसपी खुद कॉलेज के मैदान में अंधेरे में खड़ा होकर कॉलेज कैंपस में आने वाली एक-एक गाड़ी नजरें गड़ाये थे. ठीक रात 9 बजे के करीब प्राचार्य के आवास के पास एक कार रुकते देख निगरानी टीम के सदस्य सतर्क हो गये. 10 मिनट के अंदर ही पैसे की डिलिवरी होते ही चरणजीत सिंह ने प्राचार्य के गेट पर आकर निगरानी एसपी को मिस कॉल किया. पांच मिनट के अंदर ही प्राचार्य को पैसे गिनते बरामदे पर ही दबोच लिया गया.
नौ बजे का दिया था समय
पड़ाव पोखर निवासी सतीश रंजन श्रीवास्तव का डॉ ध्रुव प्रसाद से पूर्व का संबंध था. पटना साहिब ग्रुप ऑफ इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रशासक चरणजीत सिंह ने सतीश के माध्यम से ही निदेशक से संपर्क साधा था. दूसरे शिफ्ट में कॉलेज को अनुमति देने के एवज में दस लाख की डिमांड की गयी थी, लेकिन मामला दस लाख से पांच लाख पर आकर अटक गया था. कुछ दिन पूर्व निदेशक को 50 हजार की रकम एडवांस दे दी गयी थी.
एडवांस रकम मिलने के बाद डॉ ध्रुव प्रसाद ने कॉलेज को प्रारंभिक पत्र भी जारी कर दिया था, लेकिन बाकी के पैसे नहीं मिलने पर पटना साहिब कॉलेज की संचिका में कमी निकालते हुए रोक लगा दी थी. रोक लगने पर सतीश के माध्यम से निदेशक को संपर्क साधा गया, तो ध्रुव प्रसाद ने रविवार की रात 9 बजे आवास पर आने को कहा था.
लालच में फंस गया सतीश
महुआ स्थित एक्सॉल्ट कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के निदेशक सह प्राचार्य सतीश रंजन श्रीवास्तव 25 हजार रुपये की लालच में निगरानी के हत्थे चढ गया. उसके माध्यम से ही चरणजीत सिंह ने ध्रुव प्रसाद से संपर्क साधा था. कॉलेज को दूसरे शिफ्ट में चालू करने की इजाजत दिलाने के एवज में सतीश ने 25 हजार रुपये रिश्वत की मांग की थी. सतीश रविवार को ही निदेशक को दिये जाने वाले डेढ लाख की रकम में से पैसे देने की बात पर जोर डाल रहा था, लेकिन उसे बताया गया कि अगर ध्रुव प्रसाद को पूरे पैसे नहीं मिले तो वह फिर से संचिका को फंसा देगा. इसलिए चरणजीत उसे अलग से 25 हजार की रकम देने की बात कही थी.