।। देवेश कुमार ।।
मुजफ्फरपुर : निगरानी की जांच रिपोर्ट में बिहार विवि में निजी कंपनी के सुरक्षा कर्मी की तैनाती के तरीके पर गंभीर सवाल उठाये गये हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि जिस तरह सुरक्षा कर्मी नियुक्त किये गये, उसमें गोलमाल हुआ है. इसके लिए तत्कालीन वीसी डॉ विमल कुमार व कुलसचिव डॉ एपी मिश्र पर सवाल उठाये गये हैं. वहीं तत्कालीन कुलसचिव के खिलाफ कड़ी टिप्पणी की गयी है. विवि में निजी सुरक्षा कर्मियों पर तत्कालीन वीसी व कुलसचिव ने लगभग 11 लाख रुपये खर्च किये थे. राशि का भुगतान वेतन मद में दिखाया गया.
* नोटिस नौ अगस्त को, अंतिम तिथि आठ अगस्त
रिपोर्ट में लिखा गया है कि नौ अगस्त 2011 को कुलसचिव की ओर से एक नोटिस निकाली गयी. इसमें निजी सुरक्षा कर्मियों की आवश्यकता का जिक्र करते हुए सिक्यूरिटी एजेंसियों से कोटेशन मांगा गया. जमा करने की अंतिम तारीख आठ अगस्त तय की गयी. सवाल यह है कि जब नोटिस ही नौ अगस्त को निकली तो अंतिम तिथि आठ अगस्त कैसे हो सकती है?
चौंकाने वाली बात यह है, नोटिस निकलने से पहले ही इंडस्ट्रीयल एवं पर्सनल सिक्यूरिटी सर्विस स्टेशन रोड व सुपर सिक्यूरिटी सर्विसेज लहेरियासराय दरभंगा ने आठ अगस्त को अपना कोटेशन जमा कर दिया. इसी तरह जय मिथिला सिक्यूरिटी एंड डिटेक्टिव सर्विसेज लहेरियासराय दरभंगा व प्राइमेक्स सिक्यूरिटी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड विश्वनाथ नगर बेगूसराय का कोटेशन कुलसचिव के यहां नौ अगस्त को जमा है.
सभी एजेंसियों ने विश्वस्त सूत्र से सुरक्षा कर्मियों की जरूरत होने की बात अपने कोटेशन में लिखी है. निगरानी रिपोर्ट में उन चीजों का भी जिक्र किया गया है, जिनके आधार पर सुरक्षा कर्मियों का वेतन तय किया गया है. इसमें श्रम संसाधन विभाग के 13 अगस्त 2010 को निकली अधिसूचना की फोटो कॉपी लगायी गयी है.
* सबसे कम था इंडस्ट्रीयल एंड पर्सनल का रेट
तत्कालीन कुलसचिव ने कोटेशन मिलने वाली एजेंसियों का तुलनात्मक चार्ट बनवाया था. इसमें इंडस्ट्रीयल एंड पर्सनल सिक्यूरिटी सर्विसेज स्टेशन के कोटेशन की दर को सबसे कम पायी गयी. इसी आधार पर उक्त एजेंसी को 40 निजी सुरक्षा गार्ड व दो सुपरवाइजर मुहैया कराने का निर्देश दिया गया था.
रिपोर्ट में पूर्व में निजी एजेंसी को गार्ड मुहैया कराने हेतु पूर्व के फैसले से संबंधित संचिकाओं में हेरफेर व बदलने का भी आरोप है. वहीं बिहार विवि अधिनियम 1976 की धारा 55 के तहत किसी भी फाइनेंस से संबंधित फैसला लेने से पूर्व फाइनेंस कमेटी से मंजूरी लेना है, लेकिन तत्कालीन वीसी ने बगैर मंजूरी लिये ही सुरक्षा कर्मियों को नियुक्त कर दिया.
* इसे बनाया गया था आधार
विवि में निजी सुरक्षा कर्मियों की नियुक्ति के लिए बनारस हिंदू विवि, पटना विवि, ललित नारायण मिथिला व कामेश्वर सिंह संस्कृत विवि दरभंगा का उदाहरण दिया गया है. इसमें कहा गया कि उक्त सभी विवि में निजी सुरक्षा गार्ड की तैनाती है. इन्हें कैंपस में गश्त लगाने के लिये गाड़ियां भी उपलब्ध करायी गयी है.
विवि ने दरबान की कमी को भी आधार बनाया है. कहा है कि पुराने दरबान रिटायर हो रहे हैं. नये की नियुक्ति नहीं हो रही है. ऐसे में विवि की संपत्तियों की सुरक्षा के लिए निजी सुरक्षा कर्मियों की नियुक्ति आवश्यक है. निगरानी ने इस आधार को सही माना है. वहीं इस बात का भी जिक्र किया है कि विवि थाने में बहुत कम पुलिसकर्मियों की तैनाती है.
* विवि में निजी गार्ड की तैनाती मामले में
* घिरे पूर्व वीसी व कुलसचिव
* निगरानी की जांच रिपोर्ट में सच आया सामने
* नोटिस बोर्ड पर निविदा लगाने से पहले ही पड़े टेंडर
* तत्कालीन वीसी पर रिश्तेदार की एजेंसी को टेंडर देने का आरोप
* अधिवक्ता सुधीर ओझा व अशोक कुमार ने दर्ज कराया था मामला