मुजफ्फरपुर : मुजफ्फरपुर और उत्तर बिहार के कई जिलों में अज्ञात बीमारी से बच्चों की मौत की जांच को पहुंची केंद्रीय टीम ने माना है कि बच्चोंं की मौत की मुुख्य वजह हाइपोग्लेसिमिया नहीं है. नियोनेटल चाइल्ड हेल्थ के प्रभारी सह राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के सलाहकार व संस्थापक डॉ अरुण कुमार सिन्हा ने कहा […]
मुजफ्फरपुर : मुजफ्फरपुर और उत्तर बिहार के कई जिलों में अज्ञात बीमारी से बच्चों की मौत की जांच को पहुंची केंद्रीय टीम ने माना है कि बच्चोंं की मौत की मुुख्य वजह हाइपोग्लेसिमिया नहीं है. नियोनेटल चाइल्ड हेल्थ के प्रभारी सह राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के सलाहकार व संस्थापक डॉ अरुण कुमार सिन्हा ने कहा कि बच्चों में जो एइएस की बात आ रही है, वह कोई बीमारी नहीं है.
एईएस एक सिम्टम है. इसमें कोई बीमारी हो सकती है. हाइपोग्लेसिमिया भी कोई मुख्य बीमारी नहीं है, इससे भी बच्चे की मौत संभवत: नहीं हो सकती है. इससे शूगर कम होता है और इतनी जल्दी मौत नहीं हो सकती है. डॉ सिन्हा के नेतृत्व में विशेषज्ञ चिकित्सकों की एक टीम बुधवार की शाम एसकेएमसीएच पहुंची और उसने पीड़ित बच्चों की जांच की. साथ ही इलाज कर रहे चिकित्सकों से भी बात की.
डॉ सिन्हा ने पत्रकारों से कहा कि कई कारणों से बच्चों में चमकी, तेज बुखार और डायरिया हो होती है. इसमें कुपोषण एक महत्वपूर्ण कारण है. अभी इस पर जांच चल ही रही है, इस वजह से स्पष्ट तौर पर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है. लेकिन, अभी जो बातें सामने आ रही हैं,
उससे लगता है कि अचानक तेज धूप व आद्रता वाली गर्मी एक बड़ी कारण हो सकती है. उन्होंने कहा कि आवश्यकता होने पर अति प्रभावित गांवों में जाकर पीड़ित बच्चों के रहन सहन का जायजा लिया जायेगा. मालूम हो कि इसके पहले स्वास्थ्य विभाग ने बच्चों की मौत की वजह हाइपोग्लेसिमिया बताया था.
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के सलाहकार व संस्थापक डॉ अरुण कुमार सिन्हा ने अपनी टीम के साथ एसकेएमसीएच व स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ बैठक की. बैठक में अधीक्षक डॉ एसके शाही, शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ गोपाल शंकर सहनी, सीएस डॉ एसपी सिंह, तिरहुत प्रमंडल के क्षेत्रीय अपर निदेशक डॉ एके सिंह , राज्य वैक्टर बॉर्न डिजीज कंट्रोल अधिकारी डॉ एमपी शर्मा आदि शामिल थे. बैठक में उन्होंने बच्चों का इलाज कर रहे डॉक्टर गोपाल शंकर सहनी से जानकारी ली.