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स्वास्थ्य मंत्री के जाने के बाद फिर सजीं अवैध दुकानें

मुजफ्फरपुर: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्ष वर्धन यहां दो दिन रूके. एसकेएमसीएच में पहुंचे, सबकुछ चकाचक था. लेकिन, इनके जिला से मंत्री जी जैसे ही गये. एसकेएमसीएच का नजारा बदल गया. चकाचक एसकेएमसीएच में फिर से सब कुछ पहले वाला था. अवैध दुकानें सज गई थी. निजी एंबुलेंस वाले अवैध तरीके से जमघट लगा चुके […]

मुजफ्फरपुर: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्ष वर्धन यहां दो दिन रूके. एसकेएमसीएच में पहुंचे, सबकुछ चकाचक था. लेकिन, इनके जिला से मंत्री जी जैसे ही गये. एसकेएमसीएच का नजारा बदल गया. चकाचक एसकेएमसीएच में फिर से सब कुछ पहले वाला था. अवैध दुकानें सज गई थी.

निजी एंबुलेंस वाले अवैध तरीके से जमघट लगा चुके थे. खाने पीने के सामान भी बाजार सज चुका था. यहां इलाजरत मरीजों की कोई सुन नहीं रहा था. व्यवस्था मस्त, मरीज पस्त जैसी हालत बन चुकी थी. एसकेएमसीएच ओपी के समक्ष पानी था. उसमें अंसख्य मच्छर था. मक्खियां भी थी. क्योंकि सोमवार की अहले सुबह बारिश हो गई थी. दोपहर में सफाई हुई थी, लेकिन मेडिकल वेस्टेज जहां का तहां ट्रॉली में पड़ा था.

सब डांट कर भगा देते हैं
एक्स रे रूम (कक्ष संख्या 16) अंधकार कक्ष में उजाला था. लेकिन फर्श की हालत ठीक नहीं थी. कक्ष संख्या 2 शिशु रोग विभाग के निकट दो कूड़ा बॉक्स रखे थे. एक काला व दूसरा हरा. काला ढका था. हरा वाला बिना ढक्कन का था. हरा वाले में पानी व खाने वाले समान मरीजों ने फेंक दिया था. इसमें पानी भी पड़ा था. इसी के पास सात वर्षीय काला चादर ओढ़े अफजल बुखार से तड़प रहा है. पेट की गंभीर बीमारी से जूझ रहा है. इसके पिता मड़वन प्रखंड के जीयन खुर्द निवासी असलम हाथ से बिढ़नी को भगा रहे हैं. लेकिन वह बार बार आकर यहां बैठ रही है. बोले, आखिर किसके पास जाये? मंत्री जी के आने का वक्त था. सब कोई पूछ रहा था. अब तो डांट कर लोग भगा देता है. खून नहीं था. इसकी मां गुलशन ने तीन सौ एमएल खून दिया. तो यह सांस ले रहा है. हम खून भी देते तो कहां से दे.

राजमिस्त्री के साथ जुगाड़ी करते हैं. लीवर में घांव हो गया था मुङो. 74 हजार रुपये लगे हैं तो सांस ले रहा हूं. अब इसकी इलाज कहां से करायें, समझ नहीं आता है. नर्स सुनती नहीं है. नर्स के बिना पुरजा दिये डॉक्टर साहब नहीं देखते हैं. नर्स को बोलते हैं पुरजा दीजिए तो वह भी नहीं सुनती. यहां नौ दिनों से हूं. ठीक होकर कब जायेगा मेरा संतान अल्लाह जाने.

बिढ़नी से मरीज परेशान
शल्य व हड्डी रोग विभाग कक्ष संख्या सात के गेट पर फकुली निवासी 60 वर्षीय राज किशोर पड़ा है. उसका पैर टूटा है. ऑपरेशन के बाद बेड पर है. इसका बेटा पिंटू कभी मक्की उड़ा रहा है. कभी बिढ़नी भगा रहा है. गुस्से में बिढ़नी को भला बुरा भी बोल जाता है. बोला, उसके पिता पेड़ में लगे मधुमक्की के छत्ते से शहद निकाल जीविका चलाते हैं. इसी दौरान सेमल के पेड़ से गिर गये. यहां एक सप्ताह से भरती है. पिंटू बताता है डॉक्टर साहब इधर नहीं आये हैं सिस्टर जी सुई लगाने आती हैं. जीविका के संबंध में राज किशोर बताता है तीन महीने शहद निकाल काम चलता है. फिर सिंदूर बेचते हैं. अब कब पैर ठीक होगा, समझ नहीं आता. पत्नी, बेटी व बेटा का क्या होगा, भगवान जाने.

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