मुजफ्फरपुर : कड़ाके की ठंड में जिले का वाटर लेबल नीचे जाने पर पीएचइडी विभाग की चिंता बढ़ा दी है. विभाग अभी से गर्मी की तैयारी में जुट गया है. पेयजल समस्या से निपटने के लिए सारी तैयारी के साथ खराब पड़े चापाकल को दुरुस्त करने के लिए एक्शन प्लान बनाया गया है.
कार्यपालक अभियंता प्रभात कुमार ने जल स्तर के स्थिति की रिपोर्ट सरकार को भेजी है. इसमें बताया है कि गर्मी में पेयजल संकट के मद्देनजर चापाकल को स्पेशल चापाकल में तब्दील करना होगा. चापाकल 10 फुट तक सेक्शन पाइप जोड़ना होगा.
इसके साथ इंडिया मार्का 2 एवं 3 ब्रांड चापाकल की मरम्मत करनी होगी. गर्मी में पानी के किल्लत को देखते हुए वाटर टैंकर की व्यवस्था करने के लिए विभाग से अनुरोध किया है. दरअसल पिछले चार साल से बारिश औसत से काफी कम होने के वजह से गर्मी के धमक के साथ जल संकट गहराने लगता है. लेकिन इस साल दिसंबर में पानी का लेबल नीचे जाने से गर्मी में स्थिति गंभीर होने की आशंका है.
कछुए की गति से चल रहा सात निश्चय. गर्मी में जल संकट पर काबू पाने में जल नल योजना कारगर होता. लेकिन योजना काम जिस गति से चल रहा है. इसमें ग्रामीण क्षेत्र के 25 प्रतिशत भाग में सप्लाइ वाटर पहुंचाना मुश्किल होगा. जल संचयन को लेकर भी जिला प्रशासन का आदेश कागजों पर ही सिमट कर रह गया. ग्रामीण क्षेत्र में पानी का जल स्तर काफी नीचे चला गया है.
वार्डों में लगेंगे चापाकल
मुजफ्फरपुर. शहर के सभी 49 वार्डों में दो-दो इंडिया मार्का टू चापाकल लगेगा. इसकी निविदा निगम प्रशासन ने निकाल दी गयी. इंडिया मार्का टू चापाकल की खासियत है कि यह गर्मी के पानी का लेयर नीचे जाने के बावजूद नहीं सूखेगा.
चूंकि इस चापाकल में पानी खींचने वाला बॉकेट जमीन के 60 फीट नीचे होता है. वार्ड 1 से 17 में 1820300 रुपये, वार्ड 18 से 33 में 1713220 रुपये, वार्ड 34 से 49 में 1713220 रुपये की लागत से इसे लगाया जायेगा. निर्माण कार्य को तीन माह के भीतर पूरा करना है. जो संवेदक इसे लगाएंगे उन्हें अगले पांच साल तक रख-रखाव को देखना है. 24 जनवरी तक आवेदक अपनी निविदा अपलोड कर सकते हैं.
- पानी कारोबारियों की डीटीओ से एसडीसी ने मांगी सूची
- सामान्य प्रशाखा के प्रभारी एसडीसी ने मांगी रिपोर्ट
- रिपोर्ट में देनी है कारोबारियों की विस्तृत जानकारी
मुजफ्फरपुर : जिला सामान्य प्रशाखा के प्रभारी एसडीसी ने डीटीओ से शहर के सभी पानी कारोबारियों की सूची मांगी है. इस संबंध में नगर निगम से सूची मांगी गयी थी, जिसे उपलब्ध नहीं कराया गया तो डीटीओ को इसकी जिम्मेदारी दी गयी.
इसमें पानी कारोबारी किस वार्ड, किस मोहल्ला में है, चल रहे प्लांट व ऑफिस का पता, जल व्यवसायी का नाम व मोबाइल नंबर, किस ब्रांड से वह पानी बिक रही है, प्लांट के बोरिंग का साइज, बोरिंग में लगे मोटर, प्लांट से पानी की आपूर्ति किस साइज के बोतल में हो रही है.
बोतल कहां सील होती है, प्लांट का कहां -कहां निबंधन है, पानी की टेस्टिंग करायी जाती है या नहीं. उसकी रिपोर्ट और प्रतिदिन उस प्लांट का कितने लीटर पानी का व्यवसाय होता है. प्लांट से निकाले गये पानी का फिल्ट्रेशन के बाद जो पानी बचता है उसे रेन हावेस्टिंग पद्धति से जमीन में डालने की सुविधा है या नहीं. ये पूरी विस्तृत रिपोर्ट देनी है.
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के प्रावधान के आलोक में यह जानकारी मांगी गयी है. इधर बताते चले कि शहर में पचास से अधिक पानी के छोटे बड़े प्लांट चल रहे है. जो प्रतिदिन जमीन से हजारों लीटर पानी निकालते है और उसे मशीन से फिल्टर कर उसका व्यवसाय करते है.
जितना पानी जमीन से निकाला जाता है उसमें का 60 प्रतिशत पानी वेस्ट होता है जिसे जमीन के अंदर डालने की व्यवस्था नहीं होने के कारण उसे नाले में बहा दिया जाता है. कई मोहल्ले में इस प्लांट के चलने के कारण वहां आस-पास के दो सौ मीटर के रेडियस में जल स्तर काफी नीचे चला गया है.
प्रतिदिन 72 से 96 लाख लीटर पानी बर्बाद करते गाड़ी धुलाई सेंटर
मुजफ्फरपुर. एक ओर शहर से लेकर गांव तक चारों ओर जमीन के अंदर का जल स्तर गिरता जा रहा है. लेकिन इस दिशा में प्रशासन की ओर से कोई पहल नहीं हो रही है. लगातार गिर रहे जल स्तर का एक बहुत कारण जमीन से भारी मात्रा में जल का दोहन है. केवल शहर व शहर से सटे एनएच पर नियम के खिलाफ दो सौ से अधिक निजी गाड़ी धुलाई सेंटर चल रहे हैं.
इसके अलावा वाहन शोरूम में अलग धुलाई सेंटर चल रहे हैं. जिससे प्रतिदिन हजारों लीटर पानी बर्बाद हो रहा है. इतना ही नहीं कई सेंटर में मोटर का कनेक्शन सीधे नगर निगम के पाइप लाइन से है. एक मिनट में मोटर से करीब 100 लीटर यानी एक घंटे 6000 लीटर पानी.
6 से 8 घंटे ये सेंटर चलते है तो 36 से 48 हजार लीटर पानी एक सेंटर द्वारा निकाला जाता है. ऐसे में एक दिन में शहर के 200 धुलाई सेंटर द्वारा करीब 72,00,000 से 96,00,000 लाख लीटर पानी बर्बाद किया जाता है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रतिदिन जमीन से कितना पानी गाड़ी धुलने के बाद नाले में चला जाता है.
ऐसे खुलेआम पानी की बर्बादी की जा रही है, लेकिन इसे रोकने वाला कोई नहीं है. जमीन का जल स्तर जब अधिक गिरता है प्रशासनिक महकमे में बैठक का दौड़ शुरू होता है, चर्चा होती है. लेकिन पानी के दोहन को रोकने को लेकर कोई कार्रवाई नहीं होती.
नदियां, पोखर व चापाकल सूखे
मनियारी. कुढ़नी प्रखंड के मनियारी क्षेत्र में विभिन्न जगहों पर दिसम्बर में भू-जलस्तर घटने से बड़ी व छोटी नदियां, पोखर व चापाकल सूख गये हैं. पकाही पंचायत के वार्ड 11 जगदम्बा स्थान में दो चापाकल, वार्ड 13 के दिलीप कुमार चौधरी के घर स्थित चापाकल पिछले 20 दिनों से सूख गये हैं.
मुखिया प्रतिनिधि सुरेश महतो, रालोसपा नेता राकेश कुमार, मुन्ना ठाकुर, किसान पिंकू सिंह, नरसिंग दास, अरुण कुमार ने बताया कि फसल धान के समय खेतों में मोटर पम्प से एक घंटा समय में तीन कट्टा जमीन में पटवन किया जाता था.
अभी एक कट्टा जमीन के लिये घंटे से भी ज्यादा समय लगता है. हरपुर बलड़ा पंचायत के किसान महेश राय, गणेश राय व किसान ने बताया कि नून नदी में जल सूखने से पशुओं के लिये समस्या उतपन्न हो गयी है.
अख्तियारपुर परेयां पंसस सतोष सिंह व सोनबरसा के दिलीप ठाकुर ने कहा कि क्षेत्र के सबसे बड़ी नदी कदाने में जलस्तर काफी घटने से कृषि समस्या बढ़ गयी है. अब सिर्फ कहीं -कहीं गढ़े में ही जल नजर आ रहे हैं. किसान मोटर पम्प के मदद से खेती करने पर मजबूर हो गये है. अमरख मुखिया प्रतिनिधि रविन्द्र पासवान ने बताया कि गेहूं की पटवन में जलस्तर गिरने काफी परेशानी हो रही है.
सामूहिक बोरिंग से दूर कर रहे पेयजल संकट
बोचहां. प्रखंड के कफेन चौधरी गांव में करीब दो दर्जन से अधिक घरों का चापाकल सूख गया है. लोगों के पास पेयजल संकट उत्पन्न हो गया है. ऐसी स्थिति में लोग सामूहिक बोरिंग कराकर पाइप के माध्यम से घर के ऊपर टंकी लगाकर उसमें पेयजल एकत्रित करते हैं.
नल का उपयोग कर किसी तरह लोग अपना पानी संकट को दूर करने का प्रयास करते हैं. ऐसी स्थिति दर्जनों घरों में है. कफेन चौधरी गांव निवासी उमाचरण कश्यप, श्यामा कश्यप, धीरेंद्र कुमार, चंदन कुमार, अजय कुमार, कन्हाई सिंह, मनोज झा, धीरेंद्र कुमार सहित दर्जन लोगों ने बताया कि सामूहिक बोरिंग पानी का सहारा है.
300 फीट से अधिक गहराई पर बोरिंग लगाने में करीब एक लाख रुपये खर्च आता है. सभी लोग इतना खर्च करने में असमर्थ हैं. बोरिंग के पाइप के द्वारा घरों में लगे टंकी में पानी को एकत्रित किया जाता है. नल के द्वारा पानी का उपयोग किया जाता है ताकि पेयजल संकट को दूर किया जा सके. वर्षा के समय आने पर संकट दूर हो जाता है. बारिश कम होने से दिसंबर माह में ही स्थिति खराब हो गई है.
सब्जी की खेती में परेशानी, किसानों की बढ़ी चिंता
मुरौल. प्रखंड क्षेत्र की इटहां रसूलनगर पंचायत में वाटर लेबल दिसम्बर में ही 30-35 फुट नीचे चले जाने से पानी की समस्या लोगों के सामने उत्पन्न हो गयी है. इस पंचायत में सब्जी की खेती अधिक होती है. उसमें सिंचाई की ज्यादा जरूरत होती है. वहां दिसम्बर में ही जलस्तर काफी नीचे चले जाने से किसानों की फसल मार खा रही है.
किसान बोरिंग के निकट बीस फुट गड्ढा खोदकर पम्पसेट नीचे लगाकर सिंचाई करते हैं. पंचायत में तीन गांव इंटहा, मालपुर व बिशनपुर मुरार है जिसमें करीब दो हजार पांच सौ परिवार हैं. उसमें साधारण चापाकल लगभग बंद हो गये हैं. पूरे पंचायत में पीएचइडी के करीब 25 चापाकल हैं लेकिन अधिकतर खराब पड़े हैं.
पंचायत में करीब 35 सबमर्सिबल भी लगे हैं, जिसमें दस सबमर्सिबल सरकारी और एनजीओ से लगे हैं. सात निश्चय से छह, विधायक योजना से दो व आगा खान ग्राम समर्थन से दो सबमर्सिबल लगे हैं. बाकी सबमर्सिबल लोगों ने खुद कराया है. इसका आंकड़ा देते मुखिया देवकुमार सिंह ने कहा कि पानी की समस्या इतना पहले होने से किसानों को काफी नुकसान हो रहा है.