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मुजफ्फरपुर : एमबीए-बीएचएमएस की परीक्षा पर लगी मुहर

मुजफ्फरपुर : बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के एमबीए व बीएचएमएस सहित अन्य परीक्षाओं पर गुरुवार को हंगामे के बीच सिंडिकेट की मुहर लग गयी. साथ ही 55 बीएड कॉलेजों व विभिन्न कॉलेजों में वोकेशनल के 5684 सीटों को भी सिंडिकेट सदस्यों ने मंजूरी दे दी. हालांकि, विवि के अधिकारियों की कार्यशैली व परीक्षा से जुड़े मुद्दों […]

मुजफ्फरपुर : बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के एमबीए व बीएचएमएस सहित अन्य परीक्षाओं पर गुरुवार को हंगामे के बीच सिंडिकेट की मुहर लग गयी. साथ ही 55 बीएड कॉलेजों व विभिन्न कॉलेजों में वोकेशनल के 5684 सीटों को भी सिंडिकेट सदस्यों ने मंजूरी दे दी. हालांकि, विवि के अधिकारियों की कार्यशैली व परीक्षा से जुड़े मुद्दों पर सदस्यों ने जमकर हंगामा किया. एजेंडे में शामिल दो दर्जन से अधिक बिंदुओं पर अधिकारियों की घेराबंदी की. सदस्यों की नाराजगी इस बात को लेकर भी थी कि सिंडिकेट की बैठक नियमित नहीं बुलायी जाती है. साथ ही जो सुझाव दिये जाते हैं, उस पर अधिकारी पहल नहीं करते.
गुरुवार को सेंट्रल लाइब्रेरी स्थित सीनेट हॉल में सिंडिकेट की बैठक हुई. इसमें परीक्षा बोर्ड व एकेडेमिक काउंसिल सहित अन्य विवि की बॉडी में स्वीकृत प्रस्ताव भी रखे गये, जिसे शोर-शराबे व आरोपों के बीच मंजूरी मिल गयी. सदस्यों के दबाव को देखते हुए महीने के अंत में सिंडिकेट की बैठक बुलाने पर सहमति बनी. बैठक में सदस्यों ने स्नातक पार्ट-टू की प्रायोगिक परीक्षा के लिए तैयार परीक्षकों की सूची पर सवाल उठाया.
कहा कि आरडीएस कॉलेज केंद्र पर जिस कॉलेज का केंद्र बनाया गया है, उसी कॉलेज के शिक्षकों को ही परीक्षा विभाग ने परीक्षक बना दिया है. सदस्यों ने कहा कि कॉपी जांच के लिए भी परीक्षक बनाये जाने के लिए प्राचार्यों से सूची मांगी जाती है, जबकि विवि के पास वरीयता के आधार पर सूची पहले से ही उपलब्ध है. आरोप लगाया कि इसमें भेदभाव किया जाता है.
निरीक्षण की तरह अन्य कामों में तत्पर रहते, तो सुधर जाता हाल: बीएड कॉलेजों की संबद्धता के प्रस्ताव पर सदस्यों ने विवि प्रशासन की खिंचाई की. डॉ हरेंद्र कुमार व डॉ शिवानंद सिंह ने कहा कि विवि अधिकारी बीएड कॉलेजों के निरीक्षण के लिए तत्पर रहते हैं. इसी तरह से यदि विवि के अन्य कार्यों में भी तत्परता दिखाते, तो छात्रों के साथ ही शिक्षक व कर्मचारियों का भी भला हो जाता. बैठक में यह भी कहा कि कोर्स की मंजूरी के कई मामले राजभवन में वर्षों से लंबित हैं.
परीक्षा विभाग की कार्यशैली पर भी घेरा: विधान पार्षद डॉ संजय कुमार सिंह ने परीक्षा विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठाये. इस बात को लेकर नाराज दिखे कि समय से परीक्षा नहीं करायी जाती, जिससे छात्रों का भविष्य बर्बाद हो रहा है. इससे विवि की साख भी गिर रही है.
हफ्ते भर में होगा रिटायर शिक्षकों को भुगतान: रिटायर शिक्षकों के मुद्दे पर भी सदस्यों ने विवि प्रशासन को घेरा. कहा कि 20 करोड़ रुपये विवि के खाते में हैं. इसके बाद भी उनका भुगतान नहीं किया जा रहा है.
रिटायर शिक्षक व कर्मी विवि का चक्कर लगाकर थक चुके हैं. विवि की ओर से एक हफ्ते के भीतर कार्रवाई का आश्वासन दिया गया. इधर, एमएसकेबी कॉलेज व सीएन कॉलेज आदि के कर्मियों के स्थायीकरण पर भी सहमती बन गयी. तय हुआ कि महीने के अंत में सिंडिकेट की बैठक होगी. वहीं, बेतिया के शिक्षक डॉ राजेश्वर प्रसाद यादव के मुद्दे को पर डॉ हरेंद्र कुमार ने विवि प्रशासन को घेरा. इस पर करीब 45 मिनट तक गरमा-गरम बहस हुई. डॉ कुमार ने कहा कि अग्रवाल कमीशन के विपरीत तिथि को बदल दिया गया.
कहा कि इस मामले में विवि की दो अलग-अलग लीगल रिपोर्ट आयी है. एलएस कॉलेज लॉ विभाग में शिक्षक की मनमानी पर प्रोवीसी की अध्यक्षता में कमेटी बनाने की बात कही गयी. मामले में रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की बात कही गयी.
डिग्री के लिए कॉलेज में ही जमा होगा शुल्क व आवेदन: सदस्यों ने डिग्री के लिए कॉलेज व विश्वविद्यालय के बीच दौड़-भाग में हो रही छात्रों की परेशानी का मुद्दा भी उठाया. इस पर विवि की ओर से कहा गया कि छात्रों को कॉलेज में ही डिग्री के लिए आवेदन व शुल्क जमा करना है. तय समय के बाद कॉलेज से ही उन्हीं डिग्री दी जाएगी. इसके लिए विवि का चक्कर नहीं लगाना है.
राजभवन से पेंडिंग मामले क्लीयर करायेंगे विधान पार्षद
राजभवन के स्तर पर पेंडिंग कई कोर्सों के रेगुलेशन सहित अन्य मामलों पर भी देर तक चर्चा हुई. विवि की ओर से बताया गया कि लगातार प्रयास के बाद भी कई मामले अटके हुए हैं. बैठक के दौरान तय हुआ कि राजभवन स्तर पर पेंडिंग मामलों के निबटारे की जिम्मेदारी सिंडिकेट सदस्य विधान पार्षद देवेश चंद्र ठाकुर व डॉ संजय कुमार सिंह को दी जाये. दोनों विधान पार्षद अपने स्तर से प्रयास करके राजभवन से समस्याओं का समाधान निकलवायेंगे. सिंडिकेट ने अन्य कई मुद्दों पर भी सहमति बन गयी.

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