मुजफ्फरपुर : जिले में मेडिकल कचरा को मानक के अनुसार डिस्पोजल नहीं करने वाले 210 नर्सिंग होम व हेल्थ फैसिलिटी मुहैया करानी वाली संस्थाओं पर कार्रवाई होगी. प्रदूषण विभाग ने इसके लिए अंतिम नोटिस जारी कर 30 जून तक का समय दिया है. इस अंतराल में संस्थाएं कचरा निष्पादन के लिए राज्य स्वास्थ्य समिति की ओर से अधिकृत एजेंसी मेडिकेयर इन्वॉयरमेंट मैनेजमेंट से निबंधित नहीं होती हैं, तो इनके खिलाफ केस किया जायेगा.
मेडिकेयर इन्वाॅयरमेंट मैनेजमेंट ने सर्वे कर जिले में बिना कचरा डिस्पोजल के लिए निबंधित संस्थाओं की सूची प्रदूषण विभाग को सौंपी थी. साथ ही सिविल सर्जन को पत्र लिख कर ऐसी संस्थाओं पर कार्रवाई की मांग की थी.
तीन साल के लिए एनओसी मिलने से परेशानी: नर्सिंग होम, क्लीनिक या हेल्थ लैब का लाइसेंस स्वास्थ्य विभाग की ओर से दिया जाता है. लाइसेंस के लिए प्रदूषण विभाग से एनओसी लेने का प्रावधान है. प्रदूषण विभाग किसी संस्था को लाइसेंस तभी देता है, जब मेडिकयर इन्वॉयरमेंट मैनेजमेंट से वह निबंधित हो. प्रदूषण विभाग से एक बार लाइसेंस मिल जाने के बाद स्वास्थ्य विभाग तीन साल तक हेल्थ लाइसेंस का नवीकरण करता है.
तीन साल के बाद प्रदूषण विभाग का नवीकरण लाइसेंस मांगा जाता है. इस अवधि में कई मेडिकल संस्थाएं मेडिकेयर इन्वॉयरमेंट मैनेजमेंट से कांट्रेक्ट तोड़ लेती है. इससे मेडिकेयर को कचरा डिस्पोजल के मद में राशि प्राप्त नहीं होती.
प्रदूषण विभाग को जिले में चलने वाले हेल्थ सेंटर की सूची भेजी थी. जिले में करीब 210 हेल्थ सेंटर हैं, जो बिना मेडिकेयर से निबंधन कराये चल रहे हैं. इनके खिलाफ कार्रवाई के लिए लिखा गया था.
राजीव कुमार, सीनियर मैनेजर, मेडिकेयर इन्वॉयरमेंट मैनेजमेंट