मुजफ्फरपुर: शहर के युवाओं में आई ड्राइनेस (आंख सूखने की बीमारी) तेजी से फैल रही है. सदर अस्पताल में हर दिन इस बीमारी से ग्रसित दो से तीन युवा अपना इलाज कराने पहुंच रहे हैं. इनमें बच्चे व युवा के अलावा मोतियाबिंद के मरीज भी शामिल हैं. सदर अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ मनोज […]
मुजफ्फरपुर: शहर के युवाओं में आई ड्राइनेस (आंख सूखने की बीमारी) तेजी से फैल रही है. सदर अस्पताल में हर दिन इस बीमारी से ग्रसित दो से तीन युवा अपना इलाज कराने पहुंच रहे हैं. इनमें बच्चे व युवा के अलावा मोतियाबिंद के मरीज भी शामिल हैं.
सदर अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ मनोज कुमार ने बताया कि वातावरण में प्रदूषण का स्तर बढ़ने से यह बीमारी हो रही है. इस बीमारी का कारण शहर में प्रदूषण, अल्ट्रावायलेट और इंफ्रारेड किरणों की मात्रा का बढ़ना है. यह बीमारी अंडर ऐज, छोटे बच्चों, युवाओं व बुजुर्गों को भी अपनी चपेट में ले रहा है. दो साल पहले तक ऐसे मरीजों की संख्या महीने में दस से 15 थी, यह बढ़ कर अब 70 से अधिक हो गयी है.
डॉ मनोज की मानें तो आंखों में पानी के सूखने से देखने की क्षमता प्रभावित होती है. नुकीले धातु और धूल कण रेटिना को नुकसान पहुंचा सकते हैं. समय पर इस बीमारी का उपचार कराना जरूरी है, अन्यथा आंखों की रोशनी भी जा सकती है. हाईपर टेंशन, डायबिटीज, मोतियाबिंद के मरीजों को यह बीमारी जल्दी होती है. आंखों की जांच कराने वाला हर 20वां मरीज इस बीमारी से पीड़ित है.
प्रमुख लक्षण
बार-बार पलकें झपकाना, आंखों में जलन होना, आंखों का लाल होना, आंखों में चूभन महसूस करना, बोझिल महसूस करना, आंखों का पानी सूखना.
ऐसे करें बचाव
रंगीन चश्मा लगा कर गाड़ी चलाएं, विटामिन ‘ए’ वाले खाद्य सामग्रियों को भोजन में शामिल करें, लगातार कंप्यूटर, मोबाइल का उपयोग नहीं करें, आंखों को ठंडे, साफ पानी से दिन भर में चार-पांच बार धोएं.
आंखों में सूखेपन की बीमारी पहले की अपेक्षा बढ़ गयी है. इसका बड़ा कारण प्रदूषण है. इसकी चपेट में सबसे ज्यादा अंडर एज ग्रुप आ रहा है. ज्यादा दिनों तक आंखों में लालिमा या जलन होने पर किसे नेत्र विशेषज्ञ से संपर्क करें.
डॉ मनोज कुमार, नेत्र विशेषज्ञ, सदर अस्पताल