मुजफ्फरपुर: चंपारण सत्याग्रह भारत में गांधी के विचारों की प्रथम स्थली रही है. इसकी नींव मुजफ्फरपुर में पड़ी. ऐसे में गांधी की मुजफ्फरपुर यात्र उतनी ही महत्वपूर्ण है, जितनी दांडी यात्र. यह बात जाने-माने सामाजिक चिंतक सच्चिदानंद सिन्हा ने कहीं. वे मंगलवार को एलएस कॉलेज सभागार में आयोजित व्याख्यानमाला को संबोधित कर रहे थे. इसका आयोजन कॉलेज व गांधी शांति प्रतिष्ठान के तत्वावधान में हुआ. विषय था, वर्तमान विकास के विनाशकारी पहलू.
उन्होंने कहा, मनुष्य ने विकास के विभिन्न चरण पार करते हुए औद्योगिकीकरण को बढ़ावा दिया. प्राकृतिक संसाधनों का दोहन किया. इसके कारण धरती का हरित आवरण नष्ट हो रहा है. विद्युत परियोजनाओं के कारण नदियों के बहाव को मोड़ कर ऊंचाई से गिराया जाता है. पहाड़ों को डायनामाइट से उड़ा कर रास्ता बनाया जाता है. इस प्रक्रिया में कच्चे नष्ट हो जाते हैं. औद्योगिकीकरण व विकास के नाम पर आदिवासियों से उनकी जमीन छीनी जा रही है. पर उनके पुनर्वास का कोई प्रयास नहीं किया जा रहा. यूरेनियम के खनन से मनुष्य की नस्लें खराब हो रही है. बच्चे अपाहिज व विकलांग पैदा हो रहे हैं. प्रकृति ने 2013 में उत्तराखंड में विनाशलीला कर मानव को सचेत करने का प्रयास किया है कि वे संभले नहीं, तो वह उसका विनाश कर सकती है.
श्री सिन्हा ने वर्तमान विकास के मॉडल पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा, विकास का आदर्श मॉडल वही है जो सरल व समतामूलक जीवन का निर्माण करता है. ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने के लिए उन्होंने सौर व पवन ऊर्जा के उपयोग पर बल दिया. साथ ही प्राकृतिक संसाधनों के उपभोग की लक्ष्मण रेखा खींचने की जरूरत भी बतायी.
अध्यक्षता प्राचार्य डॉ अमरेंद्र नारायण यादव, मंच संचालन गांधी शांति प्रतिष्ठान के सचिव अरविंद वरुण, स्वागत डॉ भोजनंदन प्रसाद सिंह, विषय प्रवेश डॉ प्रमोद कुमार व धन्यवाद ज्ञापन डॉ जयकांत सिंह जय ने किया. मौके पर गांधी शांति प्रतिष्ठान के जिलाध्यक्ष डॉ अरुण कुमार सिंह, डॉ उदय शंकर सिंह सहित कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे. व्याख्यान के बाद सच्चिदानंद सिन्हा ने एलएस कॉलेज में आयोजित रक्तदान शिविर में रक्तदान करने वाले 26 छात्र-छात्रओं को प्रमाण पत्र व एक-एक हजार रुपये नगद देकर सम्मानित किया.