मुजफ्फरपुर : डीसीएलआर एक बार फिर निजी या रैयती जमीन से संबंधित विवादों की सुनवाई करेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने रोक से संबंधित हाइकोर्ट के आदेश को निरस्त कर दिया है. इसके साथ ही 24 जून, 2014 से पूर्व भूमि विवाद से संबंधित मामलों में डीसीएलआर के फैसले भी प्रभावी होंगे.
हाइकोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने उन फैसलों को स्थगित कर दिया था. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के प्रधान सचिव विवेक कुमार सिंह ने प्रमंडलीय आयुक्त व डीएम को पत्र भेज कर इस फैसले की जानकारी दी है.
भूमि विवाद निराकरण अधिनियम, 2009 की धारा-4(4) के तहत डीसीएलआर को निजी जमीन का टाइटल तय करने का अधिकार दिया गया है. 24 जून, 2014 को पटना हाइकोर्ट ने महेश्वर मंडल व अन्य बनाम बिहार सरकार व अन्य के मामले में फैसला सुनाते हुए इन धाराओं को असंवैधानिक बताते हुए निरस्त कर दिया था. साथ ही आदेश दिया था कि यदि भविष्य में डीसीएलआर के समक्ष ऐसा कोई मामला आता है, वे निश्चित तौर पर उसे बंद कर दें. यही नहीं, कोर्ट ने फैसले की तिथि से पूर्व के सभी आदेश भी स्थगित करने का आदेश जारी किया.
राज्य सरकार ने हाइकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर किया. सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 28 मार्च, 2017 को अपना फैसला सुनाया, जिसमें कहा गया कि 24 जून, 2014 का पटना हाइकोर्ट का फैसला कानूनी रूप से वैध नहीं है.
राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर विधि विभाग व बिहार के महान्यायवादी से राय मांगी. उनके अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने पटनाहाइकोर्ट के आदेश को निरस्त कर दिया है. इसके बाद सरकार नेफैसला लिया है कि जब तक पटना हाइकोर्ट इस मामले में कोई नया
आदेश जारी नहीं करती, 24 जून, 2014 का उसका फैसला निरस्त माना जायेगा.