मुजफ्फरपुर : सरकारी कॉलेजों में प्राचार्यों के रिटायरमेंट को लेकर जारी विवाद में सरकार ने एक अहम फैसला लिया है. इसके अनुसार, वैसे प्राचार्य जो 18 मई, 2017 से पूर्व 62 या उससे अधिक साल के हो गये हैं,वे रिटायर हो जायेंगे. मगध विवि के कुलसचिव के सवाल का जवाब देते हुए शिक्षा विभाग के अपर सचिव मनोज कुमार ने इसे सूबे के सभी विवि में लागू करने का निर्देश दिया है.
यदि यह लागू होता है, तो शहर के भी चार प्रमुख कॉलेजों के प्राचार्य सहित कई को रिटायर होना पड़ सकता है. वैसे प्रिंसिपल फोरम इसे कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी में है.
वर्ष 2012 में यूजीसी ने लेक्चरर, रीडर व प्रोफेसर के रिटायरमेंट के लिए 65 साल की आयु तय की थी. उसमें प्राचार्यों के रिटायरमेंट की आयु का
इस साल 18 मई…
जिक्र नहीं था. इसको लेकर काफी विवाद भी हुआ. तब कुछ नन टीचिंग स्टाफ की तर्ज पर प्राचार्यों को 62 साल की उम्र में, तो कुछ टीचिंग स्टाफ की तर्ज पर 65 साल की आयु में रिटायरमेंट देने के पक्ष में थे. बीआरए बिहार विवि में भी एलएस कॉलेज की पूर्व प्राचार्य डॉ सुनीति पांडेय को भी 62 साल की उम्र में रिटायरमेंट देने की बात उठी, जिन्हें उन्होंने हाइकोर्ट में चुनौती दी. उन्हें वहां सफलता मिली व वे 65 साल की उम्र तक प्राचार्य रहीं. पिछले साल यूजीसी ने एक गजट जारी किया.
उसमें भी प्राचार्य को टीचिंग स्टाफ की श्रेणी में रखा गया. प्राचार्यों को नन टीचिंग स्टाफ के रूप में ही इएल का लाभ मिलता है. इसको आधार बना कर डॉ शिवपूजन ठाकुर ने प्राचार्यों को नन टीचिंग स्टाफ मानते हुए 62 साल की उम्र में ही रिटायरमेंट देने की मांग उठायी. वहीं, प्रिंसिपल फोरम प्राचार्यों को नन टीचिंग स्टाफ माने जाने का विरोध कर रहा है. उसका तर्क है कि प्राचार्य की बहाली रीडर या प्रोफेसर संवर्ग में होती है. उन्हें टीचिंग स्टाफ की तरह अलाउंस भी मिलता है. जानकारी के अनुसार, सरकार ने भी उनका पक्ष मान लिया है. पर, चूंकि यह नियम 18 मई 2017 को लागू नहीं था, इसी आधार पर सरकार ने उक्त तिथि तक 62 साल पूरा कर चुके प्राचार्यों को रिटायरमेंट देने का फैसला लिया है.