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महागठबंधन टूटने के बाद कांग्रेस में बगावत

मुजफ्फरपुर : महागठबंधन टूटने के बाद अब कांग्रेस पार्टी में भी बगावत स्वर तेज हो गये हैं. पार्टी की इस हालत के लिए कार्यकर्ता बड़े पदवाले नेताओं की आरामतलवी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. ये कांग्रेस का भविष्य देख कर चिंतित हैं. कांग्रेस के सिद्धांतों के साथ लंबा अरसा गुजारने वाले इन नेताओं को समझ […]

मुजफ्फरपुर : महागठबंधन टूटने के बाद अब कांग्रेस पार्टी में भी बगावत स्वर तेज हो गये हैं. पार्टी की इस हालत के लिए कार्यकर्ता बड़े पदवाले नेताओं की आरामतलवी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. ये कांग्रेस का भविष्य देख कर चिंतित हैं. कांग्रेस के सिद्धांतों के साथ लंबा अरसा गुजारने वाले इन नेताओं को समझ में नहीं आ रहा कि कांग्रेस को बचाने के लिए क्या किया जाये. उधर, पार्टी से उपेक्षित कार्यकर्ता अंदर ही अंदर बड़े नेताओं की जमीन खिसकने से खुश हैं. पार्टी अब पूरी तरह अधर में है.

कांग्रेस से जुड़े कई वरीय नेताओं का मानना है कि कांग्रेस अपने कारणों से दुर्गति का शिकार हुई है. नीतीश व लालू के बीच रह कर पार्टी ने अपना अस्तित्व समाप्त कर लिया. महागठबंधन सरकार में पार्टी के चार मंत्री थे, लेकिन किसी ने पार्टी पर ध्यान नहीं दिया. सभी सत्ता के नशे में रहे. इस कारण कांग्रेस अपना विस्तार नहीं कर पायी. धीरे-धीरे यह सिमटती चली गयी.

कांग्रेस के वरीय नेता संजय सिंह कहते हैं कि कांग्रेस अब लालू की पिछलग्गू बन कर रहेगी. फिलहाल बिहार में कांग्रेस के लिए कोई विकल्प नहीं है. कांग्रेस ने पिछले दस सालों में जमीनी स्तर पर कोई काम किया होता, तो आज स्थिति ऐसी नहीं होती. श्री सिंह पार्टी की अराजक स्थिति से कार्यकर्ताओं के मोहभंग होने से भी इनकार नहीं करते हैं. हालांकि पार्टी के जिलाध्यक्ष कांग्रेस में फूट की स्थिति से इनकार करते हैं. वे कहते हैं महागठबंधन से कुछ मुश्किलें तो जरूर आयी है, लेकिन कांग्रेस अपनी एकजुटता से अपना विस्तार करेगा.

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