चिंता. गरीबी व मासूमियत का फायदा उठा रहे संगठित अपराधी
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अपराध से जुड़ रहे मासूम
चिंता. गरीबी व मासूमियत का फायदा उठा रहे संगठित अपराधी बचपन खेलने-कूदने के होते हैं. बचपन वह मिट्टी है जिसे कुम्हार अपनी चाक पर जैसा रूप देना चाहेगा उसी का निर्माण होगा. बालमन कोरे कागज की तरह होता है. जिसमें जो लिख दिया जायेगा, वह अमिट हो जायेगा. यही कुछ हो रहा है मुंगेर के […]
बचपन खेलने-कूदने के होते हैं. बचपन वह मिट्टी है जिसे कुम्हार अपनी चाक पर जैसा रूप देना चाहेगा उसी का निर्माण होगा. बालमन कोरे कागज की तरह होता है. जिसमें जो लिख दिया जायेगा, वह अमिट हो जायेगा. यही कुछ हो रहा है मुंगेर के मासूमों के साथ. गरीबी और मासूमियत का फायदा उठा कर संगठित आपराधिक गिरोह मासूमों को अपराध की दुनिया से जोड़ रहे हैं.
मुंगेर : हाल के दिनों में मुंगेर पुलिस ने कुछ आपराधिक कांडों का खुलासा किया. जिसमें कई नाबालिग ही गिरफ्तार हुए. चाहे मुफस्सिल थाना क्षेत्र के बिहार ग्रामीण बैंक नौवागढ़ी में चोर पकड़ाने का मामला हो अथवा कोतवाली थाना पुलिस द्वारा चोर गिरफ्तार करने का हो. सभी में नाबालिग चोर ही गिरफ्तार हुए. वासुदेवपुर थाना पुलिस ने भी 13 जनवरी को चोरी के लैपटॉप के साथ एक नाबालिग चोर को पकड़ा था. जो इस बात को पुख्ता कर रहा है कि बच्चे बहुत तेजी के साथ संगठित अपराध का हिस्सा बनते जा रहे हैं जो पारिवारिक एवं सामाजिक परिवेश के लिए खतरा की घंटी है.
नशा व फिजूलखर्ची की पूर्ति के लिए नाबालिग गिरोह से जुड़ रहे हैं
15 बच्चे हैं सुधारगृह में बंद
वर्तमान समय में बाल सुधार गृह में मुंगेर जिले के लगभग 15 बच्चे बंद हैं. जो चोरी, हथियार तस्करी, शराब तस्करी के मामले में गिरफ्तार होकर सुधार गृह पहुंचे हैं. इनमें अधिकांश बच्चे अशिक्षित हैं और गरीब परिवार के हैं. जो किसी न किसी के उकसावे पर आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिया है. कुछ ही बच्चे ऐसे हैं जो अपनी सुख सुविधा पूरा करने के लिए अापराधिक घटना को अंजाम दिया.
तीन माह में 37 बच्चे बेल पर निकले बाहर
बाल सुधार गृह में पिछले तीन माह में 37 बच्चे बेल मिलने पर बाहर निकले हैं. जो संगठित अापराधिक गिरोह के उकसावे पर आकर आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिया था. मात्र तीन माह में 37 बच्चों का बेल होना इस बात को दर्शाता है कि किस तरह से बच्चे अपराध की दुनिया से जुड़ते चले जा रहे हैं. जिन बच्चों को बेल पर छोड़ा गया उसमें अधिकांश बच्चे शराब एवं हथियार तस्करी से जुड़े हुए थे. जो बाल सुधार गृह से निकलने के बाद पुन: उसी धंधे में जुट गये.
बाल गृह से पलायन कर रहे बच्चे
बाल सुधार गृह से भी बच्चे पलायन कर रहे है. बताया जाता है कि कुछ माह पूर्व 8 बच्चे गृह से पलायन कर गया था. जिसमें 4 बच्चे ही लोट कर वापस बाल सुधार गृह पहुंचे. जबकि 4 बच्चे अपराध की दुनिया के अपने आका के पास जा पहुंचे. क्योंकि बच्चे अपने परिवार के पास भी नहीं पहुंचे है. तीन दिन पहले भी सुधार गृह से एक बच्चा पलायन कर गया. जो अब तक वापस लौट कर नहीं आया है. अंदाजा लगाया जा रहा है कि पलायन करने वाले बच्चे संगठित अपराधिक गिरोह के पास पहुंच जाते है.
कहते हैं किशोर न्याय परिषद के सदस्य
किशोर न्याय परिषद के सदस्य राजेश कुमार ने बताया कि बच्चे मन के साफ होते हैं. अपराधियों की नजर हमेशा गरीब परिवार के मासूमों पर रहती है. जो उसके गरीबी का फायदा उठा कर अापराधिक गतिविधियों में बच्चों को जोड़ देता है. कुछ ऐसे भी मामले हैं जिसमें पारिवारिक माहौल के कारण बच्चे बिगड़ जाते हैं. अापराधिक गिरोह संचालित कर रहे संचालक बच्चों को मोबाइल व पैसा का लोभ देकर गिरोह से जोड़ रहे हैं.
कहते हैं पुलिस अधीक्षक
पुलिस अधीक्षक आशीष भारती ने बताया कि कांडों के अनुसंधान में अमूमन यह देखा गया कि जो आपराधिक घटना में नाबालिग गिरफ्तार हो रहे हैं वह गरीबी के कारण अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए घटना को अंजाम दे रहे. इतना ही नहीं गलत संगति, नशा एवं फिजूलखर्ची की पूर्ति के लिए भी नाबालिग अपराधिक गिरोह से जुड़ जाते हैं. अभिभावक को इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. क्योंकि बुरा काम का नतीजा भी बुरा होता है. उन्होंने कहा कि मुंगेर पुलिस बाल अपराध को रोकने के लिए जल्द ही जागरूकता अभियान चलायेगी.
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