जिले के विभिन्न थानों में सैकड़ों गाड़ियां बेकार पड़ी जंग लग रही हैं. इनके मालिक ने इन्हें कागज के अभाव में छोड़ दिया है. नीलामी प्रक्रिया जटिल होने की वजह से थाने में पड़े सड़ रहे हैं. ऐसे में वाहन कबाड़ बन जाते हैं. यदि समय रहते इसे नीलाम किया जाये, तो सरकार को राजस्व भी मिलेगा. साथ ही यह खरीदनेवाले के काम भी आ सकेगा.
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सड़ रहे करोड़ों के वाहन लापरवाही. थानों में जब्त गाड़ियों की नहीं हो रही नीलामी
जिले के विभिन्न थानों में सैकड़ों गाड़ियां बेकार पड़ी जंग लग रही हैं. इनके मालिक ने इन्हें कागज के अभाव में छोड़ दिया है. नीलामी प्रक्रिया जटिल होने की वजह से थाने में पड़े सड़ रहे हैं. ऐसे में वाहन कबाड़ बन जाते हैं. यदि समय रहते इसे नीलाम किया जाये, तो सरकार को राजस्व […]
मुंगेर : जिले के विभिन्न थानों में लावारिस अवस्था में बरामद व अलग-अलग कांडों में जब्त की गयी सैकड़ों मोटरसाइकिल सड़ रही है. वहीं ट्रैक्टर, ट्रक व अन्य चार पहिया वाहन भी वर्षों से जंग खा रहे हैं. इसे विधिवत नीलाम करने की दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की जा रही. हरेक थाने में 20 से 25 बाइक व दो-चार चारपहिया व बड़े वाहन सालों से खड़े-खड़े कबाड़ बन चुके हैं. कई बड़े वाहनों के ढांचे भी सड़ कर मिट्टी बन चुके हैं. हद तो यह है कि किस थाने में कितनी गाड़ियां पड़ी हुई हैं, इसकी समुचित जानकारी भी विभाग के पास नहीं है.
थाने में सड़ रहे वाहन
जिले के सभी 18 थाने, 7 ओपी एवं 6 टीओपी में सैकड़ों की संख्या में वाहन पड़े हैं. खुले आसमान के नीचे धूप और बारिश ने उन वाहनों को अब पूरी तरह कबाड़ा बना दिया है. खासकर, कोतवाली, मुफस्सिल, कासिम बाजार, नयारामनगर, जमालपुर थाने में वाहनों की भरमार है. कोतवाली सहित कई ऐसे थाने हैं जहां वाहन बरामदगी के बाद लगाने तक की जगह नहीं बची है. इस बात को थाना स्तर पर पुलिस पदाधिकारी भी स्वीकारते हैं कि इसे नीलाम करने व हटाने की व्यवस्था होनी चाहिए. किंतु न्यायिक अनुमति व ऊपर के पदाधिकारी भी इस मामले में निर्णय ले सकते हैं.
जटिल है वाहनों की नीलामी की प्रक्रिया
नियमानुसार लावारिस अवस्था में बरामद या जब्त वाहन के छह माह बाद निस्तारण की प्रक्रिया शुरू की जानी होती है. वाहन बरामद होने पर पुलिस पहले उसे धारा 102 के तहत पुलिस रिकॉर्ड में लेती है. बाद में न्यायालय में इसकी जानकारी दी जाती है. न्यायालय के निर्देश पर सार्वजनिक स्थानों पर पंपलेट आदि चिपका कर या समाचार पत्रों के माध्यम से उस वाहन से संबंधित जानकारी सार्वजनिक किये जाने का प्रावधान है ताकि वाहन मालिक अपना वाहन वापस ले सकें. लावारिस या किसी मामले में जब्त वाहन के निस्तारण की प्रक्रिया काफी लंबी होती है. पहले तो पुलिस थाना स्तर पर इंतजार करती है कि वाहन मालिक आकर अपना वाहन ले जायें. काफी इंतजार के बाद भी जब मालिक नहीं आता है, तब न्यायिक प्रक्रिया शुरू की जाती है. इससे काफी समय लगता है. कांडों में जब्त वाहन की नीलामी में समस्या जानकारों की मानें तो विभिन्न मामलों में अगर वाहन को जब्त किया जाता है, तो उसकी नीलामी सालों तक नहीं हो पाती है. कुछ थानाध्यक्ष ने बताया कि नीलामी प्रक्रिया जटिल नहीं है. परंतु अनक्लेमड वाहनों की संख्या बहुत अधिक नहीं रहती है. अधिक वाहन कांडों से संबंधित रहते हैं. इसके अलावा मालखाना का प्रभार लेन-देन में भी समय लगता है, जिससे नीलामी कराने में कठिनाई होती है.
हथियार तस्करी व चोरी के है अधिकांश वाहन
थाना परिसर में रखे हुए वाहनों में अधिकतर वाहन या तो चोरी के हैं अथवा हथियार तस्करी मामले में गिरफ्तार तस्करों से जब्त किये गये हैं. इसकी बरामदगी के बाद इन्हें परिसर में रख दिया जाता है. वाहन चोरी की घटनाओं में कोर्ट से वाहन की सुपुर्दगी नहीं मिलने तक ये बदहाल हालत में थाने में ही पड़े रहते हैं. मंजूरी मिलने के बाद ही संबंधित को वाहन पुलिस सौंपती है. लेकिन यह संबंधित मालिक को कबाड़ की स्थिति में ही मिलती है. थानों में इस तरह के सैकड़ों वाहन यूं ही पड़े हुए हैं, जिनके मालिक उन्हें अबतक लेने नहीं पहुंचे हैं.
कबाड़ के अलावा किसी काम के नहीं रहते वाहन
कहते हैं पुलिस अधीक्षक
सभी थानों से जब्त वाहनों की सूची मांगी गयी है. साथ ही कितने वाहन कबाड़ हो चुके हैं, कौन वाहन कितने दिनों से जब्त है और किसी स्थिति में है, यह भी मांगा गया है. वाहनों की नीलामी के लिए न्यायालय से अनुरोध किया जायेगा.
आशीष भारती, पुलिस अधीक्षक, मुंगेर
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