आठ दिसंबर को हुई थी प्रधानाध्यापक प्रोन्नति स्थापना समिति की बैठक, अब तक नहीं हुआ पदस्थापन
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पैसे व पैरवी के खेल में फंसा पदस्थापन
आठ दिसंबर को हुई थी प्रधानाध्यापक प्रोन्नति स्थापना समिति की बैठक, अब तक नहीं हुआ पदस्थापन मुंगेर : मुंगेर जिले में प्रोन्नति के माध्यम से प्राथमिक व मध्य विद्यालय में प्रधानाध्यापक बनने वाले 154 शिक्षकों के पदस्थापन का मामला पैसे व पैरवी के खेल में फंस गया है. काफी टालमटोल के बाद शिक्षा विभाग ने […]
मुंगेर : मुंगेर जिले में प्रोन्नति के माध्यम से प्राथमिक व मध्य विद्यालय में प्रधानाध्यापक बनने वाले 154 शिक्षकों के पदस्थापन का मामला पैसे व पैरवी के खेल में फंस गया है. काफी टालमटोल के बाद शिक्षा विभाग ने 8 दिसंबर को प्रधानाध्यापक प्रोन्नति स्थापना समिति की बैठक तो की. किंतु प्रधानाध्यापक बनने वाले शिक्षकों का पदस्थापन 18 दिनों बाद भी नहीं हो पाया है. अलबत्ता मुंगेर के जिला शिक्षा पदाधिकारी केके शर्मा का कहना है कि ” इतना आसान थोड़े ही है पदस्थापन, इसमें समय तो लगेगा ही ”.
शिक्षा विभाग में चारों ओर धांधली ही धांधली हो रही है. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के नाम पर शिक्षक से लेकर शिक्षाधिकारियों तक की मनमानी चरम पर है. बदहाली यह है कि न तो समय पर विद्यालय खुल रहे और न ही विद्यालयों में शैक्षणिक व्यवस्था ही ठीक-ठाक चल रही. करोड़ों खर्च के बावजूद आज भी मुंगेर के लगभग एक लाख नामांकित बच्चे विद्यालय से बाहर हैं. अर्थात विद्यालय के नामांकन रजिस्टर में उनके नाम तो अंकित हैं. किंतु वे विद्यालय नहीं पहुंच पा रहे. दूसरी ओर मध्याह्न भोजन पूरी तरह बदहाल स्थिति में है. इस सब के बीच
विद्यालयों में स्थानांतरण व पदस्थापन के नाम पर लाखों का खेल चलता रहता है.
कहते हैं जिला शिक्षा पदाधिकारी : जिला शिक्षा पदाधिकारी केके शर्मा ने कहा कि प्रोन्नति प्राप्त प्रधानाध्यापक का पदस्थापन इतना आसान काम नहीं है. इसमें बहुत कुछ देखना पड़ता है. समय तो लगेगा ही. लेकिन शीघ्र ही प्रधानाध्यापकों का पदस्थापन कर दिया जायेगा.
154 शिक्षक बने प्रधानाध्यापक
काफी मशक्कत के बाद शिक्षा विभाग मुंगेर में बीए, बीएससी शिक्षाधारी शिक्षकों को प्रधानाध्यापक में प्रोन्नति की प्रक्रिया प्रारंभ की और जिले के 174 योग्यताधारी शिक्षकों ने प्रधानाध्यापक बनने के लिए आवेदन किया. विगत 8 दिसंबर को प्रधानाध्यापक प्रोन्नति के लिए स्थापना समिति की बैठक की गयी.
जिसमें 154 शिक्षकों को प्रधानाध्यापक में प्रोन्नति देने पर सहमति बनी. जबकि 20 शिक्षकों के मामले में तकनीकी कारणों से उसे रोक दिया गया. लेकिन जिन 154 शिक्षकों को प्रोन्नति मिला है उनका पदस्थापन नहीं हो रहा. जबकि जिले में लगभग ढाई सौ विद्यालयों में प्रधानाध्यापक का पद रिक्त है. पदस्थापन में विलंब के कारण प्रोन्न्नति प्राप्त शिक्षक परेशान हैं.
क्या हैं गाइडलाइंस
पटना उच्च न्यायालय के सीडब्लूजेसी नंबर 594/2011 के तहत मानव संसाधन विकास विभाग के निदेशक ने जो निर्देश दिये थे उसके अनुसार :
वैसे प्रोन्नत शिक्षक जिसकी सेवा मात्र एक साल बची हो उन्हें इच्छानुसार प्रोन्नति के बाद पदस्थापन करें.
प्रोन्नति प्राप्त करने वाले शिक्षक के विद्यालय में यदि प्रधानाध्यापक का पद रिक्त है तो उसी विद्यालय में उन्हें प्रधानाध्यापक बनाया जाये.
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