पोषण पुनर्वास केंद्र. 8 माह में 124 कुपोषित बच्चे का इलाज
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आये सिर्फ तीन प्रखंड के बच्चे
पोषण पुनर्वास केंद्र. 8 माह में 124 कुपोषित बच्चे का इलाज कुपोषित बच्चों के प्रति विभाग उदासीन खाली पड़ा पोषण पुनर्वास केंद्र कुपोषित बच्चों के इलाज के लिए सदर अस्पताल में 20 बेड का पोषण पुनर्वास केंद्र बनाया गया है. लेकिन इसका पूरा लाभ जिले के लोगों को नहीं मिल पा रहा है. आशा को […]
कुपोषित बच्चों के प्रति विभाग उदासीन
खाली पड़ा पोषण पुनर्वास केंद्र
कुपोषित बच्चों के इलाज के लिए सदर अस्पताल में 20 बेड का पोषण पुनर्वास केंद्र बनाया गया है. लेकिन इसका पूरा लाभ जिले के लोगों को नहीं मिल पा रहा है. आशा को पूरे जिले में कुपोषित बच्चों को केंद्र तक लाने की जिम्मेदारी दी गीय है. लेकिन अब तक सिर्फ तीन प्रखंड से ही बच्चे केंद्र तक आ पाये हैं.
मुंगेर : कुपोषित बच्चों के इलाज के नाम पर स्वास्थ्य विभाग भले ही करोड़ों रुपये खर्च कर रही हो, किंतु मुंगेर सदर अस्पताल में चल रहे पोषण पुनर्वास केंद्र में महज खानापूर्ति की जा रही है़ जमीनी हकीकत को यदि देखा जाये तो यहां कुपोषित बचों के प्रति स्वास्थ्य विभाग सजग नहीं दिख रही है़ हाल यह है कि पिछले 8 महीने में मात्र 124 कुपोषित बच्चों को ही इलाज के लिए भरती कराया जा सका है़ जबकि जिले भर में कुपोषित बच्चों की संख्या हजारों में है.
पोषण पुनर्वास के नाम पर खानापूर्ति: सदर अस्पताल के महिला विभाग परिसर में जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा संचालित पोषण पुनर्वास केंद्र के नाम पर महज खानापूर्ति की जा रही है़ यहां कुपोषित बच्चों के इलाज के लिए चिकित्सक, स्टाफ नर्स, रसोइया व फिडिंग डेमोंसटेटर की व्यवस्था दी गयी है़ बच्चों को भरती करने के लिए कुल 20 बेड उपलब्ध कराये गये हैं. किंतु ये बेड अक्सर खाली ही रहता है. यदा- कदा धरहरा, मुंगेर सदर व बरियारपुर से आये कुछ बच्चे को ही भरती किया जाता है. जबकि जिले के बाकी प्रखंडों से कुपोषित बच्चे नहीं के बराबर आ रहे हैं.
फ्लॉप हो रही पोषण पुनर्वास योजना: पोषण पुनर्वास की योजना मुंगेर जिले में फ्लॉप साबित हो रही है़ स्वास्थ्य विभाग ने इस उद्देश्य से पोषण पुनर्वास केंद्र को स्थापित किया था कि जिले भर के वैसे बच्चे जो जन्म से ही कुपोषित हों, उसे यहां पर भरती कर उसके कुपोषण को दूर किया जाये. ताकि हर बच्चा स्वस्थ जीवन जी सके़ इसके लिए प्रत्येक प्रखंड के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को अपने-अपने क्षेत्र के कुपोषित बच्चों की पहचान कर उसे आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से पोषण पुनर्वास केंद्र भेजना है. लेकिन इस दिशा में प्रखंड चिकित्सा पदाधिकारी दिलचस्पी नहीं ले रहे.
कहते हैं सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ श्रीनाथ ने बताया कि आशा कार्यकर्ताओं के सहयोग से कुपोषित बच्चों को यहां भरती करवाया जाता है़ इसके लिए उसे प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है़ पता करने की कोशिश होगी कि आशा कार्यकर्ता कुपोषित बच्चों को किस कारण से यहां नहीं पहुंचा पा रही हैं.
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