मुंगेर : बाढ़़ की त्रासदी ने इस बार जिले के लगभग तीन लाख की आबादी को पूरी तरह पस्त कर दिया है़ दियारा क्षेत्र के पीड़ित परिवार जहां पिछले एक माह से दर- बदर हो कर खानाबदोश की जिंदगी जीने को मजबूर हैं. वहीं गंगा के इस पार रहने वाले पीड़ित परिवार पिछले एक पखवाड़े से कैदियों से भी बदतर जिंदगी जीने को विवश हैं.
बाढ़़ की मार ने पीड़ितों के उपभोग की वस्तुएं भी गंगा की तेज धारा बहा ले गयी़ प्रशासनिक स्तर पर भले ही प्रतिदिन पचास हजार लोगों को दो वक्त का भोजन उपलब्ध कराया जा रहा हो़, लेकिन भोजन के इतर उन्हें साबुन- सर्फ व अन्य जरूरी सामग्रियों की नितांत आवश्यकता है, जिसके आपूर्ति न जो प्रशासनिक स्तर पर हो रही है और न ही स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा ही़ ऐसा लेगता है कि सिर्फ भोजन उपलब्ध करा देने मात्र से ही पीड़ितो को बचाया जा सकता है, जबकि आपदा के दौरान भोजन- पानी के अलावे लोगों को संक्रामक बीमारियों से बचाने के लिए साफ- सफाई पर भी विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है़