17.5 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

इंदिरा-पासवान मान गये थे, मगर नहीं पसीजे प्रभु

इरिमी का अहम कोर्स एससीआरए अब बंद पुष्यमित्र pushyamitra@prabhatkhabar.in जमालपुर : मुंगेर जिले के जमालपुर स्थित इंडियन रेलवे इंस्टीट्यूट ऑफ मेकैनिकल एंड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग (इरिमी) में इन दिनों उदासी पसरी है. इस तकनीकी संस्थान के सबसे महत्वपूर्ण पाठ्यक्रम स्पेशल क्लास रेलवे अप्रेंटिस (एससीआरए) में इस साल एडमिशन नहीं हो रहा है. इस कोर्स को यूपीएससी […]

इरिमी का अहम कोर्स एससीआरए अब बंद
पुष्यमित्र
pushyamitra@prabhatkhabar.in
जमालपुर : मुंगेर जिले के जमालपुर स्थित इंडियन रेलवे इंस्टीट्यूट ऑफ मेकैनिकल एंड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग (इरिमी) में इन दिनों उदासी पसरी है. इस तकनीकी संस्थान के सबसे महत्वपूर्ण पाठ्यक्रम स्पेशल क्लास रेलवे अप्रेंटिस (एससीआरए) में इस साल एडमिशन नहीं हो रहा है. इस कोर्स को यूपीएससी के सुझाव के आधार पर रेलवे ने बंद कर दिया है. 90 साल से संचालित हो रहे इस कोर्स को बंद करने के लिए यूपीएससी 30-35 साल से रेलवे पर दबाव डालती रहा है.
हालांकि, पूर्व सांसद स्व डीपी यादव और बिहार के विभिन्न स्थानीय नेताओं के हस्तक्षेप से रेलवे को अब तक इसे बंद करने की कार्रवाई को टालने पर मजबूर होना पड़ा. 1982 में आये प्रस्ताव को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने और 1997 में आये प्रस्ताव को तत्कालीन रेल मंत्री रामविलास पासवान ने मानने से इनकार कर दिया था. मगर इस बार जुलाई, 2015 में भेजे गये यूपीएससी के प्रस्ताव का कोई सशक्त विरोध नहीं हुआ और रेलवे ने अंततः यूपीएससी के सुझाव को स्वीकार कर लिया.
यूपीएससी का कहना है कि इस पाठ्यक्रम में सीटों की संख्या बहुत कम होती है, जबकि एंट्रेंस टेस्ट राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होता है.
ऐसे में उसके लिए इन परीक्षाओं का आयोजन एक श्रमसाध्य प्रक्रिया साबित होती है, जबकि यूपीएससी ही इंडियन इंजीनियरिंग सर्विसेज के जरिये रेलवे को प्रशिक्षित इंजीनियर उपलब्ध कराता है. यूपीएससी का कहना है कि ऐसे में रेलवे को अलग से मेकैनिकल इंजीनियरिंग का पाठ्यक्रम संचालित करने की क्या आवश्यकता है.
1982 से ही ऐसे प्रस्ताव यूपीएससी द्वारा किये जाते रहे हैं. मगर स्थानीय सांसद स्व डीपी यादव की कोशिशों की वजह से इससे पहले हर बार यूपीएससी के इस प्रस्ताव को रेलवे मंत्रालय ने खारिज कर दिया. वे इस रॉयल इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम को उसकी ऐतिहासिकता और बेहतरीन परंपरा के कारण बंद करने के खिलाफ थे.
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1982 में उन्हें आश्वस्त किया था कि रेलवे इस कोर्स को और बेहतर बनाने पर विचार कर रही है, वहीं 1997 में तत्कालीन रेल मंत्री रामविलास पासवान ने भी उन्हें पत्र लिख कर सूचित किया था कि रेलवे यूपीएससी के प्रस्ताव से असहमत है. मगर 2015 में यूपीएससी ने जब एक बार फिर से यह प्रस्ताव भेजा, तो रेलवे ने इसे स्वीकार कर लिया. डीपी यादव के स्वर्गवास होने के कारण कोई स्थानीय प्रभावी नेता भी नहीं था, जो इसके खिलाफ जोरदार अपील कर सके. लिहाजा यह पाठ्यक्रम इस दफा बंद हो गया.
इसे बंद करने के पीछे एक अंदरूनी वजह यह भी बतायी जाती है कि एससीआरए की वजह से इंडियन इंजीनियरिंग सर्विसेज और दूसरे रास्तों से आनेवाले इंजीनियर कैरियर में हमेशा पिछड़ जाते हैं. एससीआरए वालों का कैरियर पहले शुरू हो जाता है और वे अमूमन 40 साल की नौकरी करते हैं. यही वजह है कि रेलवे बोर्ड में एससीआरए पासआउट पदाधिकारियों का दबदबा रहता है.
आइइएस वाले इंजीनियरों का एक-दो साल आइइएस की तैयारी और परीक्षाओं में खप जाता है और वे देर से नौकरी शुरू करते हैं. सोशल मीडिया में इस मसले पर दोनों स्ट्रीम के लोगों के बीच तीखी बहस चलती रही है.
इस बीच स्थानीय हलकों में इरिमी के बंद होने की चर्चा भी तेज है. जमालपुर शहर में इरिमी बचाओ आंदोलन जैसे अभियान भी शुरू हो गये हैं. हालांकि, इरिमी के निदेशक अशोक कुमार गुप्ता ऐसी संभावनाओं को खारिज कर देते हैं. वे कहते हैं, इरिमी में कई तरह के अल्पकालीन और दीर्घकालीन प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित होते हैं. एससीआरए उनमें से एक है. इसलिए एससीआरए के बंद होने का मतलब इरिमी का बंद होना नहीं है. हमलोग इंडियन इंजीनियरिंग सर्विसेज से आये छात्रों को रेलवे में काम करने का प्रशिक्षण भी देते हैं और एससीआरए के बंद होने के बाद तो आइइएस कैडर में आनेवाले छात्रों की संख्या भी बढ़ेगी ही. रेलवे ने भी अपने आधिकारिक बयान में साफ-साफ कहा है कि इरिमी बंद नहीं होगा, यहां रेलवे विश्वविद्यालय शुरू किये की भी बात कही जा रही है.
यह सच है कि इरिमी, जमालपुर में एससीआरए के बंद होने के बावजूद इस साल 74 प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित होने हैं, जो पिछले साल के मुकाबले तीन अधिक हैं. मगर यह भी सच है कि इरिमी की पहचान 90 साल पुराने एससीआरए कोर्स से ही रही है. यहां के प्रोफेसर अभ्युदय बताते हैं कि इरमी देश में मेकैनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई वाला पहला तकनीकी संस्थान है. इससे पहले देश में सिर्फ एक ही इंजीनियरिंग संस्थान रूड़की में था, जहां सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई होती थी.
इरिमी की वेबसाइट के मुताबिक इसकी स्थापना 1888 में हुई और यहां एससीआरए की पढ़ाई 1927 में शुरू हुई. इस पाठ्यक्रम की खासियत यह है कि इसमें नामांकन के साथ ही छात्रों की नौकरी सुनिश्चित हो जाती है. पढ़ाई के दौरान छात्रों को 20 से 24 हजार रुपये प्रति माह का भत्ता मिलता है. छात्रावास की सुविधा मुफ्त होती है, सिर्फ उन्हें मेस चार्ज लगता है. इसके अलावा रेलवे के दूसरे अधिकारियों की तरह उन्हें कई तरह के मुफ्त रेलवे पास मिलते हैं. इन सुविधाओं के आकर्षण में छात्र एससीआरए को पहली प्राथमिकता देते हैं.
इरिमी के निदेशक एके गुप्ता बताते हैं कि 2015 में यहां नामांकन करानेवाले छात्रों में शत-प्रतिशत आइआइटी एंट्रेंस टेस्ट क्वालिफाई कर चुके थे. यहां एडमिशन लेने वाले छात्रों में 70 फीसदी आइआइटी एंट्रेंस पास होते हैं. इस तरह एससीआरए के जरिये रेलवे को देश की सर्वश्रेष्ठ प्रतिभा हासिल होती रही है. जमालपुर रेल कारखाना परिसर में रहने की वजह से उन्हें पढ़ाई के साथ प्रैक्टिकल का भी भरपूर मौका मिलता है और वे रेलवे के माहौल में रच-बस जाते हैं.
इरिमी की वेबसाइट पर एससीआरए के एल्यूमिनाइ की सूची देख कर भी इस बात को समझा जा सकता है. इस सूची में 27 ऐसे नाम हैं, जिन्होंने रेलवे बोर्ड को सेवाएं दी हैं. इनमें सात लोग तो रेलवे बोर्ड के चेयरमैन भी रह चुके हैं. बोर्ड के मेंबर मेकैनिकल तो ज्यादातर एससीआरए पासआउट ही रहे हैं. यहां के एल्यूमिनाइ बड़ी संख्या में दूसरी सेवाओं में भी कमांडिंग पोजिशन में रहे हैं.
चार पूर्व छात्रों को पद्मश्री से सम्मानित किया गया है और नोबेल पीस अवार्ड से सम्मानित आरके पचौरी भी एससीआरए पासआउट हैं.
एससीआरए पाठ्यक्रम के बंद होने को लेकर स्थानीय लोगों में काफी रोष है. हालांकि, इस पाठ्यक्रम में अब तक इक्का-दुक्का स्थानीय लोगों को ही प्रवेश मिला है. मगर फिर भी वे इरमी और एससीआरए को मुंगेर और जमालपुर के लिए सेंस ऑफ प्राइड समझते हैं. उनके मन में कहीं-न-कहीं यह बात भी है कि एससीआरए के बाद किसी बहाने से इरिमी जैसे ऐतिहासिक संस्थान को भी रेलवे बंद न करा दे. जमालपुर के रेलवे वर्कशाप का पहले ही हाल बुरा है. रेलवे की 70 फीसदी भूमि में बसा जमालपुर अब बस कहने को रेलनगरी रह गया है.
इस बीच रेलवे यूनिवर्सिटी की चर्चाएं भी हवा में हैं. कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार बड़ौदा के तर्ज पर देश के पांच अन्य रेल तकनीकी प्रशिक्षण संस्थानों में रेलवे विश्वविद्यालय खोल सकती है. इरमी से भी इस संदर्भ में संसाधनों की सूची मांगी जा रही है.
हालांकि, यह प्रस्ताव अभी शुरुआती स्थिति में है और रेलवे विवि में संचालित कोई पाठ्यक्रम एससीआरए जैसी रॉयल स्थिति वाला नहीं होगा कि एडमिशन के साथ ही नौकरी की चिंता से मुक्ति, भत्ता और दूसरी सुविधाएं मिलीं. रेल विवि के पाठ्यक्रम भी देश के दूसरे संस्थानों के तकनीकी पाठ्यक्रमों जैसे ही होंगे. इस तरह देखा जाये तो एससीआरए के बंद होने के साथ तकनीकी पढ़ाई की रॉयल ब्रिटिश परंपरा का भी अंत होने जा रहा है.
एससीआरए का रॉयल पाठ्यक्रम
कोर्स की शुरुआत- 1927 में
औसतन प्रति बैच छात्रों की संख्या-25
भत्ता- 20-25 हजार रुपये
छात्रावास मुफ्त
पढ़ाई के दौरान द्वितीय श्रेणी रेलवे पास की सुविधा
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन- 7 पूर्व छात्र
रेलवे बोर्ड के मेंबर- 21 पूर्व छात्र
नोबेल विजेता आरके पचौरी यहीं के एल्यूमिनाई हैं
इरिमी, जमालपुर एक परिचय
स्थापना- 1888 में
आइइएस समेत विभिन्न शार्ट टर्म और लॉंग टर्म ट्रेनिंग पाठ्यक्रम आयोजित होते हैं
देश का पहला मैकेनिकल इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम वाला संस्थान
यहां एससीआरए के अलावा 70 से अधिक शार्ट टर्म और लॉंग टर्म पाठ्यक्रम आयोजित होते हैं
इंदिरा ने दिया था इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग को भी शामिल कराने का आश्वासन
1982 में जब यूपीएससी ने एससीआरए को बंद करने का प्रस्ताव दिया गया था, तो तत्कालीन सांसद डीपी यादव की अगुआई में आठ अन्य नेताओं ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को पत्र लिख कर इसे रोके जाने की अपील की थी. तब सात दिसंबर, 1982 को डीपी यादव के नाम लिखे पत्र में इंदिरा गांधी ने उन्हें आश्वस्त किया था कि रेलवे इस पाठ्यक्रम को बंद करने का विचार नहीं कर रही, बल्कि सरकार इस प्रयास में है कि इंजीनियरिंग की मेकैनिकल शाखा के अतिरिक्त इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग को भी इस पाठ्यक्रम में शामिल किया जाये, जिसका प्रस्ताव रेलवे की एक कमेटी ने 1976 में दिया है. हालांकि, यह वादा पूरा नहीं किया जा सका.
वहीं 1997 में जब रामविलास पासवान रेल मंत्री थे, तब पूर्व सांसद हो चुके डीपी यादव ने उन्हें पत्र लिख कर कहा था कि इरिमी को किसी विवि से संबद्ध किया जाये. तब 28 जून, 1997 को लिखे पत्र में रामविलास पासवान ने उन्हें सूचित किया था कि यूपीएससी ने रेलवे को सुझाव दिया है कि हमलोग एससीआरए के पाठ्यक्रम को बंद कर दिया जाये. मगर हम इस पक्ष में नहीं हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें