वजूद रखने वाले मुखिया प्रत्याशी अपनी सीट तक नहीं बचा पाये
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दर्जन भर कद्दावर नेता को चुनाव में मिली शिकस्त
वजूद रखने वाले मुखिया प्रत्याशी अपनी सीट तक नहीं बचा पाये हवेली खड़गपुर : पंचायत चुनाव इस बार दिग्गजों, कद्दावर एवं रसूखदार लोगों के इज्जत पर बट्टा लगा दिया. वजूद रखने वाले मुखिया प्रत्याशी अपनी सीट तक नहीं बचा पाये. जबिक आरक्षण नियमावली के कारण किंग मेकर की भूमिका निभा रहे निवर्तमान मुखिया को भी […]
हवेली खड़गपुर : पंचायत चुनाव इस बार दिग्गजों, कद्दावर एवं रसूखदार लोगों के इज्जत पर बट्टा लगा दिया. वजूद रखने वाले मुखिया प्रत्याशी अपनी सीट तक नहीं बचा पाये. जबिक आरक्षण नियमावली के कारण किंग मेकर की भूमिका निभा रहे निवर्तमान मुखिया को भी पराजय का सामना करना पड़ा. लोकतंत्र में जनता मालिक है. जनता अपने वोट की चोट से कईयों राजनीतिक हैसियत तक बता दिया. इस बार के चुनाव में कई निवर्तमान मुखिया अपनी सीट तक नहीं बचा सके.
निवर्तमान की बात की जाय तो मुरादे पंचायत से विद्यानंद यादव, रतैठा से विनय पाठक, मुढ़ेरी से दीपक कुमार मुन्ना, रमनकाबाद पूर्वी से अनामिका सिन्हा, अग्रहण से देवनंदनी देवी, टेटिया से मीरा देवी, केशौली से मुरारी मोहन मुकुंद, बनहरा से अरुण सिंह मुखिया का चुनाव हार गये.
जबिक बैजलपुर की मुखिया रह चुकी पूनम देवी को जिला परिषद में हार का सामना करना पड़ा. कई ऐसे रसूखदार भी पर्दे के पीछे पंचायत की सरकार पर कब्जा करने की कोशिश में फेल हो गये. कौड़िया पंचायत के पूर्व मुखिया गोपाल शरण सिंह, दरियापुर -1 से पूर्व मुखिया दयानंद यादव निराला को भी निराशा हाथ लगी.
उनलोगों ने आरक्षण नियमावली के कारण अपना प्रत्याशी खड़ा किया था. जो हार गये. लिहाजा पंचायत चुनाव के पूर्व अपना राजनीति व पंचायत में दबदबा रखने वाले इन कद्दावरों की पराजय से इतना तो स्पष्ट हो गया कि जनता की अदालत में मतदाता मालिक होता है.
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