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पारा @ 41 डिग्री सेल्सियस

गरमी का पारा शुक्रवार को 41 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया. जिसके कारण लोगों की परेशानी बढ़ गयी है. छोटे बच्चों को अभिभावक घर से निकलने नहीं दे रहे हैं. मुंगेर : गरमी का पारा शुक्रवार को 41 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया. जिसके कारण लोगों की परेशानी काफी बढ़ गयी है. एक ओर जहां लोगों के […]

गरमी का पारा शुक्रवार को 41 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया. जिसके कारण लोगों की परेशानी बढ़ गयी है. छोटे बच्चों को अभिभावक घर से निकलने नहीं दे रहे हैं.
मुंगेर : गरमी का पारा शुक्रवार को 41 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया. जिसके कारण लोगों की परेशानी काफी बढ़ गयी है. एक ओर जहां लोगों के शरीर जल रहे हैं. वहीं दिहाड़ी मजदूरों को रोजगार का टोटा हो गया है. अभिभावक द्वारा बच्चों को घर से निकलने नहीं दिया जा रहा है.
अप्रैल माह में इतनी गरमी लोगों को परेशान कर रखा है. कहा जाता है कि अप्रैल माह में इतनी गरमी कभी नहीं पड़ी थी. ग्लोबल वार्मिंग का ही असर है कि अप्रैल की गरमी रिकार्ड तोड़ रही है. अगर यही हाल रहा तो मई व जून की गरमी लोगों को जीना मुहाल कर देगी. गरमी के कारण 11 बजे के बाद शहर की सड़कें वीरान हो जाती है. जब शाम ढलता है तो बाजार की रौनक लौटती है. इस गरमी के कारण व्यवसाय भी बुरी तरह प्रभावित हो रहा है.
दिहाड़ी मजदूरों की बढ़ी परेशानी
दिहाड़ी मजदूरी करने वाले लोगों के समक्ष रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो गयी है. गरमी में दिहाड़ी मजदूरों को काम नहीं मिल पा रहा है. अगर काम मिलता है तो गरमी उसे परेशान कर रखी है. रिक्शा चालक व ठेला चालक बाजार में सवारी को तलाशते रह जाते हैं. लेकिन अन्य दिनों की तरह उसे सवारी नहीं मिल पाती.
घर में कैद हैं बच्चे
आसमान से गिर रहे आग का गोला बच्चों को बेबस और लाचार बना दिया है. बच्चों को उनके अभिभावक घरों से निकलने नहीं देते. जिससे बच्चे अपने आप को असहज महसूस कर रहे हैं. उनके घर किसी कैदखाना से कम नहीं है. पूरी तरह जब सूर्य की किरणें खत्म होती है तो थोड़ी देर के लिए घर से बच्चे बाहर निकल पाते हैं. बच्चों की मस्ती पर गरमी ने ब्रेक लगा दिया है.
मुंगेर : चैत की धूप लोगों के हलक को सुखा दे रही है और जहां पेयजल संकट गहराता जा रहा है. वहीं जिले के ताल-तलैया भी सूख गये हैं. जिसके कारण लगभग 250 तालाबों में दरारें आ गयी है. ताल-तलैया सुखने के कारण सबसे अधिक परेशानी मवेशियों को हो रही. जल क्रीड़ा तो दूर पीने का पानी तक नसीब नहीं हो रहा.
सूख गये 250 तालाब : सरकारी आंकड़े के अनुसार 204 तालाब जिले के विभिन्न क्षेत्रों में है. जबकि निजी क्षेत्र में तालाब की संख्या 200 के आसपास है. इन तालाबों में मार्च तक पानी था. जिसमें मछलियां भी थी. लेकिन अप्रैल में आसमान से आग का गोला धरती पर गिरने लगा. देखते ही देखते 250 तालाब पुरी तरह सूख गये है. पानी सूखने के कारण इसमें दरारे उभर आयी है. जबकि 154 तालाब सूखने के कगार पर पहुंच चुका है. एक से तीन फिट तक पानी है जो रोजाना सूखता जा रहा है. अगर यही स्थिति रही तो बचे हुए तालाब भी सुख जायेंगे.
भाग रहा जल स्तर : ताल-तलैया लगातार सूखता जा रहा है. जिसके कारण जल स्तर तेजी से भाग रहा है. तालाब वाले क्षेत्र के चापाकल, कुआ लगातार सूख रहे हैं. जिसकी वजह से लोगों के समक्ष पेयजल की समस्या उत्पन्न हो गयी है. आने वाले दिनों में पेयजल संकट गहराने की उम्मीद है.
मवेशियों को हो रही परेशानी : तालाब सुखने के कारण सबसे अधिक मवेशियों एवं पशुपालकों की परेशानी बढ़ गयी है. मवेशी को चराने के लिए पशुपालक खेत-बहियार ले जाते हैं. चरी करने के बाद भैंस जहां तालाब के पानी में बैठ कर गरमी से राहत पाती थी. वहीं भैंस, गाय, बकरी सभी उसी तालाब में पानी पीते थे. लेकिन तालाब सुखने के कारण उनके समक्ष पेयजल की समस्या उत्पन्न हो गयी है. खड़गपुर के पशुपालक रामाधार सिंह, सूचित मंडल ने बताया कि दो-तीन तालाब इस क्षेत्र में ऐसे थे जहां मवेशी को पानी पिलाने के साथ ही उसे स्नान कराया जाता था. जो आजतक पूरी तरह सूख चुका है. जिससे परेशानी बढ़ गयी है.
ठप हो गया मछली उत्पादन : मुंगेर सदर में 24, जमालपुर में 15, बरियारपुर में 9, धरहरा में 8, हवेली खड़गपुर में 51, तारापुर में 33, टेटियाबंबर में 10, असरगंज में 35, संग्रामपुर में 19 तालाब है. जिसमें 80 प्रतिशत तालाब पूरी तरह से सूख गया है. जबकि शेष बचे तालाब में नाम मात्र का पानी रह गया है. जिसमें मछली पालन नहीं हो सकता है. तालाब सुखने के कारण जिले में मछली का व्यवसाय पूरी तरह ठप हो गया है.

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