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चखना विक्रेता हुए बेरोजगार

हर रोज कलाली जानेवालों में छायी रही मायूसी मुंगेर : पहली अप्रैल को सख्ती के साथ हुए शराब बंदी को लेकर विभिन्न क्षेत्रों का नजारा कुछ बदला-बदला सा लगा रहा था. जहां शाम होते ही मौसम रंगीन होने लगती थी, वहां शुक्रवार को वीरानी छायी हुई थी. ऐसा प्रतीत हो रहा था कि मानों वहां […]

हर रोज कलाली जानेवालों में छायी रही मायूसी
मुंगेर : पहली अप्रैल को सख्ती के साथ हुए शराब बंदी को लेकर विभिन्न क्षेत्रों का नजारा कुछ बदला-बदला सा लगा रहा था. जहां शाम होते ही मौसम रंगीन होने लगती थी, वहां शुक्रवार को वीरानी छायी हुई थी. ऐसा प्रतीत हो रहा था कि मानों वहां पहले कुछ था ही नहीं.
कुछ ऐसा ही नजारा क्षेत्र में खुले विभिन्न कलाली का था. शाम होते ही जाम छलकाने वाले कलाली फ्रेंडों के चेहरे पर शुक्रवार को मायूसी छायी रही. सबसे अधिक विरह की स्थिति तब बनने लगी, जब सूर्य अपनी किरणें समेट रहे थे. शाम होते ही कलाली फ्रेंड कलाली के ईद-गिर्द टहलने लगे. उन्हें लग रहा था कि कोई होगा जो साइड से शराब बेच रहा होगा.
कई बार चक्कर काट लेने के बाद जब वह थक जाते तब मायूस होकर घर की ओर रुख कर लेते. एक नशेड़ी ने बताया कि सरकार उन लोगों के साथ गलत कर रही है. इस तरह अचानक शराब की बिक्री पर रोक नहीं लगाना चाहिए था. ऐसे में तो हमलोग बीमार पड़ जायेंगे. हमसे तो कोई काम ही नहीं हो पायेगा. कहा गया था कि शहर में दुकानें खोली जायेंगी. किंतु शहर से भी बिना शराब के ही लौटना पड़ा.
ढूंढ़ना होगा दूसरा रोजगार
नौवागढ़ी बाजार स्थित कलाली में चखना का रोजगार करने वाले मनोज कुमार ने बताया कि कितना अच्छा- खासा रोजगार मिल गया था. अपने परिवार के दो वक्त की रोटी व कपड़ा के लिए सोचना नहीं पड़ता था. किंतु सरकार की इस नीति ने तो उसके रोजगार को ही चौपट कर दिया. अब तो परिवार के भरन- पोषण के लिए कोई दूसरा रोजगार ही ढूंढ़ना पड़ेगा.

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