72 घंटे हिरासत में रहे नाबालिग
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विक्टा से पिस्तौल, कारतूस के साथ लड़की व तीन लड़कों की गिरफ्तारी का मामला
72 घंटे हिरासत में रहे नाबालिग बाल कल्याण समिति ने जतायी नाराजगी मुंगेर : एक विक्टा वाहन से पिस्तौल व कारतूस के साथ लड़की और तीन लड़कों की गिरफ्तारी का मुद्दा गहराता जा रहा है. क्योंकि 24 घंटे के अंदर इन नाबालिगों को सक्षम न्यायालय में उपस्थिति नहीं कराया गया. जबकि 72 घंटे बाद नाबालिग […]
बाल कल्याण समिति ने जतायी नाराजगी
मुंगेर : एक विक्टा वाहन से पिस्तौल व कारतूस के साथ लड़की और तीन लड़कों की गिरफ्तारी का मुद्दा गहराता जा रहा है. क्योंकि 24 घंटे के अंदर इन नाबालिगों को सक्षम न्यायालय में उपस्थिति नहीं कराया गया. जबकि 72 घंटे बाद नाबालिग लड़की को बाल कल्याण समिति के समक्ष उपस्थित कराया गया है. जिस पर समिति ने नाराजगी व्यक्त की है. विदित हो कि 18 जनवरी को ब्रह्मस्थान पूरबसराय के समीप पुलिस ने एक वाहन को पकड़ा.
जिस पर सवार तीन युवक एवं एक युवती को बरामद किया. तीनों नाबालिग है. जब वाहन की तलाशी ली गयी तो उससे एक देशी पिस्तौल, चार जिंदा कारतूस बरामद किया था . कानून मान्यता है कि 24 घंटे के अंदर गिरफ्तार अभियुक्तों को न्यायालय में उपस्थित करा कर बालिग रहने पर मंडल कारा एवं नाबालिग रहने पर बाल सुधार गृह में भेजना है. लेकिन पुलिस द्वारा इन लोगों को समय पर सुधार गृह नहीं भेजा गया. लड़कों को जहां 20 जनवरी को बाल सुधार गृह भेजा गया. वहीं लड़की को 21 जनवरी को बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत की गयीत्र्.
समिति ने जतायी नाराजगी : बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष डॉ शिखा सिन्हा एवं सदस्य मृदुला कश्यप ने 72 घंटे बाद लड़की की उपस्थिति पर नाराजगी व्यक्त की हैं. उन्होंने कहा कि कानूनन 24 घंटे के अंदर लड़की को यहां उपस्थित कराना चाहिए था. लेकिन पुलिस ने इस मामले में लापरवाही बरती है. .
समिति के अध्यक्ष द्वारा जब पूरबसराय ओपी प्रभारी को फटकार लगायी गयी तो लड़की को पुलिस द्वारा 21 जनवरी को समिति के समक्ष उपस्थित कराया गया. जो न्यायोचित नहीं है. उन्होंने कहा कि इस मामले को बाल संरक्षण पदाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक के समक्ष रखा जायेगा.
आखिर तीन रात कैसे बिताया समय : आखिर लड़की ने तीन रात पुलिस कस्टडी में कहां और कैसे बिताया होगा. आखिर क्यों नहीं समय पर सक्षम न्यायालय में उपस्थित करा कर उचित जगह लड़की को रखा गया. जो एक बड़ा सवाल है. जबकि नियमानुसार लड़की को समिति के समक्ष उपस्थित कर अल्पावास गृह में रखा जाना है.
चार दिनों में भी नहीं मेडिकल : नाबालिग लड़की का चार दिनों बाद भी मेडिकल जांच नहीं कराया जा सका. जो पुलिस की उदासीनता को जग जाहीर कर रहा है. जबकि मेडिकल कराने के नाम पर पुलिस अपना पक्ष मजबूत करने फिराक में है. .
ओपी प्रभारी से कारण पृच्छा :
जब तीनों आरोपी बालक को पुलिस द्वारा 20 जनवरी को न्याय परिषद के समक्ष प्रस्तुत किया गया तो किशोर न्याय बोर्ड के सदस्यों ने नाराजगी व्यक्त किया. सदस्य राजेश कुमार ने बताया कि किशोर न्याय ( बालकों की देख रेख और संरक्षण ) अधिनियम 2000 की धारा 10 की उप धारा (1) एवं नियम 2007 के नियम 11 (2) के अनुसार विधि विवादित किशोर को 24 घंटे के अंदर बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत करना है. किशोर को किस परिस्थिति में में ससमय बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया . इस संबंध में बोर्ड ने पूरबसराय ओपी पुलिस से कारण पृच्छा मांगा है.
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